अजब गजब

लोगों के लिए दोहरा फायदा देने वाली गाय है NPS, वेल्थ तो बनाती ही है, साथ ही बचाती है टैक्स

हाइलाइट्स

नेशनल पेंशन सिस्टम 2004 में लागू हुआ था.
2004 में ही ओपीएस को बंद किया गया था.
एनपीएस सरकारी व गैर-सरकारी दोनों कर्मचारियों के लिए है.

नई दिल्ली. रिटायरमेंट के बाद एक आम आदमी के बुढ़ापे का सहारा उसकी पेंशन ही होती है. अगर आपके पास विरासत में मिली संपत्ति है तो भले आपको रिटायरमेंट के बाद की चिंता न हो लेकिन एक आम आदमी को इसकी खूब जरूरत होती है. ऐसे में एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम आपके लिए एक बेहतरीन निवेश विकल्प हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पैसा तो बढ़ता ही है आपका टैक्स भी बचता है.

एनपीएस केंद्र सरकार की पेंशन योजना है जिसका संचालन पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) करती है. एनपीएस की शुरुआत 2004 में हुई थी, जब केंद्र ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बंद कर दिया था. पहले इसकी शुरुआत केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए की गई थी. हालांकि, 2009 में इसे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया है.

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टैक्स बचत
एनपीएस में निवेश करने पर आपको टैक्स बचाने का मौका मिलता है. एनपीएस में निवेश पर आयकर अधिनियम 80सी के तहत छूट मिलती है. इसके जरिए आप हर साल 1.5 लाख रुपये तक की छूट ले सकते हैं. इससे आपकी टैक्स योग्य आय घटती और साथ में टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है. इसके अलावा एनपीएस के जरिए 80CCD (1B) में भी अतिरिक्त 50,000 रुपये तक का डिडक्शन मिलता है. यह अतिरिक्त कटौती टैक्स सेविंग में बड़ी मदद करती है. अगर आप एनपीएस में से 60 फीसदी तक रकम निकालते हैं तो उस पर भी कोई टैक्स नहीं देना होता है.

रिटायरमेंट के लिए धन जुटाना
यह स्कीम मार्केट लिंक्ड है. इसलिए इसमें पैसा लगाना रिटर्न के लिहाज से काफी अच्छा होता है. एनपीएस में आपको अलग-अलग निवेश विकल्प में से चुनने को भी मिलता है. आप इक्विटी , कॉर्पोरेट डेट, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और वैकल्पिक संपत्तियों में से चुन सकते हैं. इससे आपको अपना पोर्टफोलियो रिस्क और रिटर्न के लिहाज से मैनेज करने में मदद मिलती है. लंबी अवधि में कंपाउंडिंग की मदद से एनपीएस एक बड़ा रिटायरमेंट फंड बनाने में सफल होती है. इसमें लगातार निवेश करना आपको आर्थिक अस्थिरता के समय भी सहारा देता है. यह सबसे सस्ते निवेश विकल्प में से एक है.

Tags: Business news in hindi, NPS, Pension scheme, Pensioners


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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