मध्यप्रदेश

Bhaskar Exclusive-President Murmu came to MP 6 times in 10 months | आदिवासी और महिला मुद्दों पर खूब बोलीं; यूपी में चुनाव से पहले चर्चा में थीं कोविंद की यात्राएं

योगेश पांडे। भोपाल27 मिनट पहले

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लगातार प्रदेश दौरों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। गहलोत ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री आए और अब उपराष्ट्रपति अप-डाउन कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति अगर राष्ट्रपति बनेंगे तो भी हम स्वागत करेंगे, लेकिन अभी मेहरबानी रखें। बार-बार सुबह-शाम आ रहे हैं। दौरे कर रहे हैं। इसका कोई तुक नहीं है। राजस्थान में चुनाव चल रहे हैं। आप बार-बार आओगे तो लोग क्या समझेंगे? संवैधानिक संस्थाओं का मान-सम्मान रहना चाहिए, चाहे कोई भी सरकार हो।

इधर, मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दौरे लगातार हो रहे हैं। राष्ट्रपति बीते 10 महीने में 6 बार एमपी आ चुकी हैं। मुर्मू खुद ये कह चुकी हैं कि राष्ट्रपति बनने के बाद वे सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश आई हैं। यहां के स्वागत को वे कभी नहीं भूल सकतीं।

राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है और उनके तमाम दौरे सरकारी हैं, लेकिन ये भी दिलचस्प है कि निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उत्तर प्रदेश में चुनाव से ऐन पहले लगातार दौरे कर रहे थे। उन्होंने चुनावी साल में सबसे ज्यादा यूपी के दौरे किए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से हैं और देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने से पहले उनकी जिंदगी बहुत ही मुश्किलों भरी रही है। वे संघर्षों की मिसाल हैं।

25 जुलाई को मुर्मू का राष्ट्रपति पद का एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से 18 पेज की एक बुकलेट भी प्रकाशित की गई थी। इसमें बताया गया है कि राष्ट्रपति मुर्मू ने एक साल में कहां-कहां दौरे किए। ये भी बताया गया कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के 1750 से अधिक सदस्यों सहित 16 हजार व्यक्तियों से मुलाकात की है।

अब तक राष्ट्रपति अपने 6 दौरों में 9 कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुकी हैं। उनके भाषण का फोकस महिला, आदिवासी, धर्म और साहित्य पर ही रहा है। दैनिक भास्कर ने जानने की कोशिश की कि आखिर राष्ट्रपति अपने दौरों में क्या कहती हैं और उससे क्या फर्क पड़ता है। सीनियर एडवोकेट व कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा कहते हैं कि भाजपा का ये स्टाइल ही है कि हर बात का राजनीतिक फायदा लिया जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि देश के सर्वोच्च पद पर महिला का सुशोभित होना पूरे भारत के लिए सौभाग्य का विषय है। हम यही उम्मीद करेंगे कि महामहिम देश के लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था की गरिमा को कायम रखने के लिए नियंत्रण बनाए रखेंगी, तभी पूरा देश गौरवान्वित होगा।

शहडोल में राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।

शहडोल में राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।

15 नवंबर 2022 को कहा- आदिवासियों के बीच होना मेरे लिए गौरव

शहडोल में बिरसा मुंडा जयंती पर 16 मिनट के अपने भाषण में राष्ट्रपति ने कहा था- MP की संस्कृति को संभालना, जनजातियों की विरासत है। कार्यक्रम में 11 जिलों से आए भाई-बहनों में ज्यादातर संख्या जनजातीय समुदाय की है। आज गोंड, बैगा, भील, भिलाला, पल्लू, कोल, भरिया, सहरिया के बीच में होना गौरव की बात है।

पंचायत ​चुनाव में जनजातियों को आरक्षण देना अच्छी बात है। आज देश में 10 फीसदी आबादी जनजातियों की है, जिनमें से अकेले 1.50 करोड़ लोग मध्यप्रदेश में​ निवास करते हैं। ये चंबल, बघेलखंड, बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा सहित महाकौशल में रहते हैं। भारत देश की आजादी से लेकर विकास कार्यों में जनजातियों का योगदान है। आज अगर जंगलों की वन संपदा सुरक्षित है तो उसका श्रेय आदिवासियों का ही है।

मायने- मध्यप्रदेश में 21 फीसदी आदिवासी वोटर हैं और 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए रिजर्व हैं।

16 नवंबर 2022 को स्वसहायता सम्मेलन में कहा- आप अगर पीछे रहीं तो देश आगे नहीं बढ़ पाएगा

भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित स्व-सहायता समूह सम्मेलन में महिलाओं को संबोधित करते राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- समाज में बेटियां अब बेटों से भी आगे निकल रही हैं। महिला शिक्षित होती है तो परिवार शिक्षित होता है और पूरा समाज शिक्षित होता है। पुरुष और महिला दोनों को ही शिक्षित करना होगा। सशक्त करना होगा, तभी देश विकास करेगा। महिलाओं में पंचायत से लेकर संसद तक जाने की योग्यता है। आप मेहनत, लगन और सच्चाई से काम करोगे तो आगे बढ़ोगे, सरकार आपके साथ है। आप अगर पीछे रहीं तो देश आगे नहीं बढ़ पाएगा।

मायने- सरकार का पूरा फोकस महिला वोटर्स पर है। महिलाओं के लिए नई स्कीमें लॉन्च की जा रही हैं। ऐसे में देश का प्रथम नागरिक महिलाओं के हक की बात करता है तो ये उनके लिए बहुत ही प्रेरक है।

10 जनवरी 2023- 27 प्रवासी भारतीयों का सम्मान

इंदौर में तीन दिन तक चले प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में राष्ट्रपति मुर्मू पहुंचीं। यहां उन्होंने देश के बाहर रहने वाले 27 भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान किया था। राष्ट्रपति ने कहा था कि यह प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है। यह प्रवासी भारतीयों द्वारा देश के लिए किए गए कार्यों और योगदान को प्रदर्शित करता है।

मायने– जब लोग ये देखते हैं कि देश के बाहर रहने वाले प्रवासी भारतीयों को सर्वोच्च सम्मान एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति प्रदान कर रही हैं तो उन्हें गर्व महसूस होता है।

इंदौर में प्रवासी भारतीयों का सम्मान करतीं राष्ट्रपति मुर्मू।

इंदौर में प्रवासी भारतीयों का सम्मान करतीं राष्ट्रपति मुर्मू।

3 मार्च 2023 को कहा- धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं

भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में कहा कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं। धर्म-धम्म की अवधारणा भारत चेतना का मूल स्तर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है कि धारयति- इति धर्मः अर्थात जो सब को धारण करे, वही धर्म है। धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है।

राष्ट्रपति भवन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसके सबसे प्रमुख कक्ष में भगवान बुद्ध की लगभग 1500 साल पुरानी प्रतिमा शोभायमान है, जो अभय मुद्रा में सभी को आशीर्वाद देती है। भगवान बुद्ध से जुड़ी अनेक कलाकृतियां भी हैं।

मायने- मध्यप्रदेश में 16 फीसदी दलित हैं। इनके लिए विधानसभा की 35 सीटें रिजर्व हैं। धम्म सम्मेलन में राष्ट्रपति की धर्म और धम्म की बातें उनके मन पर असर करती हैं। साथ ही ये बताना भी असर करता है कि राष्ट्रपति भवन में भगवान बुद्ध की 1500 साल पुरानी एक प्रतिमा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में कहा था कि धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में कहा था कि धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है।

13 जुलाई 2023 को दीक्षांत समारोह में छात्रों से कहा- उन लोगों के बारे में भी सोचें, जो पीछे रह गए

ग्वालियर के IIITM के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा- ग्वालियर खूबसूरत और सांस्कृतिक शहर है। यहां सिंधिया वंश की उल्लेखनीय भूमिका रही है। मध्यप्रदेश में मुझे पेसा एक्ट लागू करने का मौका भी मिला। यह एक्ट जनजाति समुदाय के हित में है। मध्यप्रदेश में जनजाति समुदाय की सबसे बड़ी आबादी है। इस समुदाय के हित में केंद्र और राज्य सरकारें कई कदम उठा रही हैं।

राष्ट्रपति ने यहां छात्रों से कहा- आप समाज के उन लोगों के बारे में भी सोचें, जो विकास की यात्रा में थोड़ा पीछे रह गए हैं। यह आपके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। दूसरों की सहायता से आपकी भी क्षमताओं का विकास होता है। यह मेरा निजी अनुभव है। पिछड़े और कमजोर वर्ग की सहायता करने में आप विशेष ध्यान दें, यह मेरा आग्रह है। जीवन की पहली नौकरी मिलने की खुशी अलग ही होती है।

उन्होंने स्टूडेंट्स से पूछा- होती है या नहीं। आगे कहा- संस्थान के स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट के लिए बधाई। जिनकी प्लेसमेंट नहीं हुई, उनकी क्षमता कम नहीं है, उन्हें आगे अनगिनत अवसर मिलेंगे। इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जय विलास पैलेस भी पहुंचीं। यहां सिंधिया दंपती ने उन्हें महल में भोजन परोसा था।

मायने- राष्ट्रपति का छात्रों से ये कहना अपील करता है कि समाज में पीछे छूट गए लोगों की भी चिंता करें। इससे युवाओं में एक प्रेरणा जागती है।

राष्ट्रपति मुर्मू ग्वालियर में सिंधिया परिवार की मेहमान बनी थीं।

राष्ट्रपति मुर्मू ग्वालियर में सिंधिया परिवार की मेहमान बनी थीं।

3 अगस्त 2023 को कहा- राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं एमपी में हुईं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भोपाल के रविंद्र भवन में ‘उत्कर्ष’ और ‘उन्मेष’ उत्सव का शुभारंभ किया। कहा- राष्ट्रपति बनने के बाद मेरे सर्वाधिक दौरे एमपी में ही हुए हैं। यह पांचवां मौका है, जब मैं राष्ट्रपति के रूप में यहां आई हूं। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जनजातीय भाई-बहनों की प्रगति आवश्यक है। हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि हम संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करते हुए विकास में भागीदार बनें।

राष्ट्रपति ने कहा- भारत में एक मजबूत कल्चरल ईको सिस्टम विकसित हो रहा है। देवर्षि नारद, महर्षि वाल्मीकि, रवींद्रनाथ टैगोर, जयशंकर प्रसाद और रामधारी सिंह दिनकर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य लोगों से सीधा जुड़ता है और उन्हें आपस में जोड़ता है। वही साहित्य और कलाएं सार्थक हैं, जो मैं और मेरा से ऊपर उठकर रचे जाते हैं।

मायने- राष्ट्रपति जब खुद ये कहें कि मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं एमपी की हुई हैं, तो ये बात खासतौर पर उस वर्ग को प्रभावित करती है, जिसका प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति करती हैं।

27 सितंबर 2023- इंदौर को बेस्ट स्मार्ट सिटी का अवॉर्ड दिया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 सितंबर को इंदौर में इंडिया स्मार्ट सिटी अवॉर्ड 2022 के तहत 66 अवॉर्ड प्रदान किए। मध्यप्रदेश को बेस्ट स्टेट और इंदौर को बेस्ट स्मार्ट सिटी का अवॉर्ड मिला। इंदौर को देश की नंबर वन स्मार्ट सिटी के साथ अर्बन एन्वायर्नमेंट, वाटर, सेनिटेशन कैटेगरी में पहला स्थान मिला। ​​​​​इकोनॉमी, बिल्ड एन्वायर्नमेंट कोविड इनोवेशन में दूसरा स्थान मिला।

राष्ट्रपति मुर्मू ने संबोधन की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ काम के लिए इंदौर की तारीफ की। उन्होंने मध्यप्रदेश के लोगों को भी शुभकामनाएं दीं। ​​​कहा- इंदौर भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में अपना पहला स्थान बनाए हुए है। अब तो इंदौर स्मार्ट सिटी में भी नंबर वन है। उन्होंने यहां के अधिकारियों और सभी जन प्रतिनिधियों की कर्तव्यनिष्ठा को सराहा। मध्यप्रदेश को नंबर वन स्टेट का दर्जा मिलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगुभाई पटेल को बधाई भी दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शहरी विकास में समग्र निवेश पिछले दशकों में दोगुना हुआ है। स्मार्ट सिटी मिशन का इसमें बड़ा योगदान है।

यूपी चुनाव से पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दौरे किए थे

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पहले केआर नारायणन देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं, जो दलित वर्ग से आते थे। ​​​​​कोविंद भी चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के लगातार दौरे कर रहे थे। 10 फरवरी 2022 को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए फर्स्ट फेज की वोटिंग हुई थी। इससे पहले के महीनों में राष्ट्रपति कोविंद के यूपी दौरे अचानक बढ़ गए थे।

साल 2021 में 25 जून को निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद सबसे पहले प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर आए थे। इस दौरान वे अपने गांव परौंख भी गए थे। उन्होंने करीब 63 घंटे कानपुर में बिताए थे। इसके बाद लखनऊ और फिर दिल्ली वापसी हुई। इसके एक महीने बाद वे दोबारा 26 अगस्त को चार दिन के दौरे पर उत्तर प्रदेश आए। इस दौरान कोविंद ने लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या का दौरा किया था। अयोध्या में कोविंद ने हनुमानगढ़ी में पूजा और रामलला के दर्शन भी किए थे। इसके बाद 24 नवंबर 2021 को वे कानपुर में समाजवादी नेता हरमोहन सिंह यादव के जन्मशताब्दी समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे।

प्रशासनिक सिस्टम चुनावी काम में जुटा, सरकार में बैठे लोगों के लिए भी मुश्किल

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल कहते हैं- मैंने वह बयान पढ़ा है, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उपराष्ट्रपति से आग्रह कर रहे हैं कि वे यात्राओं को नियंत्रित कर सकें तो ज्यादा बेहतर होगा। दूसरी बात ये है कि प्रशासनिक सिस्टम चुनाव के काम में जुटा है, ऐसे में संवैधानिक प्रतीकों को अपनी यात्राएं टाल देनी चाहिए।

मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और राष्ट्रपति की कई यात्राएं हो चुकी हैं। इनसे सरकार में बैठे लोगों के लिए मुश्किल होती है। एक और अहम बात है कि राष्ट्रपति तो अपने संवैधानिक पद का ख्याल रखते हैं, लेकिन उनके कार्यक्रमों में जो मंत्रीगण होते हैं, वे कार्यक्रमों का चुनावी फायदा लेने की कोशिश करते हैं। इंदौर में भी यही हुआ था।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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