RSS chief reached Laxmibai’s tomb | आरएसएस प्रमुख पहुंचे लक्ष्मीबाई की समाधि: डॉ. भागवत ने वीरांगना की परिक्रमा कर हाथ जोड़े, आजादी की नायिका को दी पुष्पांजलि – Gwalior News

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वीरांगना की समाधि पर पुष्प अर्पित करते हुए आरएसएस सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत।
ग्वालियर के केदारपुर धाम में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चार दिवसीय अखिल भारतीय विविध संगठन प्रचारक वर्ग का आज तीसरा दिन है। शनिवार सुबह सत्र की शुरुआत से पहले आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत सहित संघ के अन्य पदाधिकारी रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थ
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RSS के विभाग संघचालक प्रहलाद सबनानी ने बताया कि, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जिस शहर में होते हैं, वे उस शहर में मौजूद आजादी के नायक और शहीदों की प्रतिमा पर जाते हैं। इसी कड़ी में वह रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर भी पहुंचे।

लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर रही कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था।
ग्वालियर में चल रहा चार दिवसीय प्रचारक वर्ग ग्वालियर की जमीन पर 31 अक्टूबर (दीपावली) से 4 नवंबर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का विविध संगठन प्रचारक प्रशिक्षण वर्ग शुरू हो चुका है। इसमें आरएसएस के 31 संगठनों के 554 प्रचारक भाग ले रहे हैं। इस प्रशिक्षण वर्ग में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी सहसरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए हैं। इस चार दिवसीय प्रचारक वर्ग में वे कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं, जो सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं। यह एक तरह का प्रशिक्षण वर्ग माना जा रहा है। जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्र और वर्ग के बीच संघ कार्यों की समीक्षा और आगामी वर्षों के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा हो रही है।
हिंदू समाज में सामाजिक समरसता लाने का टारगेट दिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक वर्ग में कई मुद्दों पर मंथन हो रहा है, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता है। आरएसएस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को प्रचारक वर्ग में सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत और सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में कार्यकारी मंडल के पदाधिकारियों ने संगठन के सभी 11 क्षेत्र तथा 46 प्रांत प्रचारकों को संघ के एजेंडे जिसमें पंच परिवर्तनों के द्वारा हिन्दू समाज में सामाजिक समरसता लाने के प्रयास के लिए इस संदेश को निचले स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही सभी पदाधिकारियों से संघ का संदेश घर-घर पहुंचाने का आह्वान किया गया था।
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