Stone statue of Lord Narasimha floated in water 3 times | नृसिंह घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, पहली बार राजकीय सम्मान के साथ हुआ आयोजन

देवास27 मिनट पहले
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देवास जिले के नृसिंह घाट पर भगवान नृसिंह की साढ़े 7 किलो वजनी पाषाण मूर्ति भमोरी नदी में तैरती रही। पंडित गोपालदास वैष्णव ने ऐसा तीन बार किया। हर बार मूर्ति तैरती रही। स्थानीय लोगों की मान्यता अनुसार प्रतिमा तैरने का अर्थ है कि आने वाला साल सुख-समृद्धि लाएगा। मूर्ति के तैरते ही घाट पर मौजूद हजारों लोगों ने भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए।
हर साल यह आयोजन डोल ग्यारस के मौके पर होता रहा है। लेकिन, पंडितों ने मुहूर्त देखने के बाद मंगलवार आयोजन करने की सलाह दी थी। इसके चलते कलेक्टर ने सोमवार के स्थानीय अवकाश की जगह अगले दिन मंगलवार को छुट्टी घोषित की थी। जिसमें दोपहर में मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद आरती हुई। भमोरी नदी घाट से लेकर मंदिर तक कालीन बिछाई गई। जिस पर भगवान नृसिंह का ढोल-ढमाके के साथ चल समारोह निकाला गया। चल समारोह में पुलिस बैंड भी शामिल था। आयोजन को लेकर पहले से ही विशेष तैयारी की गई थी। इस मौके पर विधायक मनोज चौधरी, नगर परिषद अध्यक्ष चंद्रकांता राठौर, अध्यक्ष प्रतिनिधि अरूण राठौर, उपाध्यक्ष नरभेसिंह तलाया सहित श्रद्धालु उपस्थित थे।

पुलिस बैंड हुआ शामिल, दिया गार्ड ऑफ ऑनर
पार्षद दीपक धोसरिया ने बताया कि भगवान नृसिंह का सैकड़ों वर्ष पुराना इतिहास है। नपाध्यक्ष और पार्षदों ने विधायक मनोज चौधरी के साथ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात कर भगवान नृसिंह को राजकीय सम्मान देने की मांग की थी। इसके बाद गृहमंत्री ने उज्जैन आईजी और देवास एसपी को निर्देश थे। विधायक मनोज चौधरी एवं नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि अरूण राठौर के प्रयास से पहली बार पाषाण प्रतिमा के चल समारोह में पुलिस बैंड शामिल हुआ। साथ ही पाषाण प्रतिमा को डोल में विराजित करने के बाद तथा नृसिंह घाट पर पाषाण प्रतिमा के तैराए जाने के पूर्व भगवान नृसिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

प्रतिमा तैराने के पूर्व आंधी तूफान के साथ हुई बारिश
पाषाण प्रतिमा को तैराये जाने के ठीक पूर्व शाम करीब 5.25 बजे हवा आंधी के साथ तेज बारिश शुरू हो गई जिससे प्रतिमा तैराये जाने को लेकर चिंता होने लगी। करीब 10 मिनट तक बारिश होने के बाद जैसे ही नृसिंह मंदिर डोल नृसिंह घाट पर पहुंचा, वर्षा का दौर थम गया। जिससे सभी ने राहत की सांस ली और पाषाण प्रतिमा को तैराने का कार्यक्रम विधिवत रूप से संपन्न हुआ। इस घटना को भगवान नृसिंह के चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है। इस बारिश को उपस्थित श्रद्धालुओं के पवित्रीकरण के रूप में देखा जा रहा है।

अखाड़े के कलाकारों का किया सम्मान
नृसिंह घाट सहित अनेक स्थानों पर चल समारोह के दौरान अखाडे़ के कलाकारों का सम्मान किया है। चल समारोह में नगर परिषद ने नाचे मयूरी के कलाकारों को बुलवाया था। जिन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया। साथ ही नृसिंह घाट पर भजन गायक द्वारका मंत्री एवं उनकी टीम द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी।

यह है मान्यता
साढ़े सात किलो की पाषाण प्रतिमा को डोल ग्यारस पर 3 बार पानी में तैराया जाता है। जितनी बार मूर्ति तैर जाती है। उससे आने वाले वर्ष का आंकलन किया जाता है। यह नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में हाटपीपल्या सहित आसपास के क्षेत्रों के हजारों लोग घाट पर पहुंचते हैं।
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