मध्यप्रदेश

Kamalnath’s media advisor lashed out at MP government | पीयूष बबेले ने पूछा-विदिशा में अवैध खनन किसके संरक्षण में चल रहा

भोपालएक घंटा पहले

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मप्र की भाजपा सरकार प्रदेश भर में चल रहे अवैध खनन को रोकने में नाकाम साबित हुई है। मप्र सरकार ऑफ द माफिया, फॉर द माफिया एवं बाय द माफिया है। ये बात कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही। बबेले ने कहा कि लोकतंत्र में वैसे तो ऑफ द पीपुल, बाय द पीपुल, फॉर द पीपुल की सरकार होती है, लेकिन मध्य प्रदेश में तो ऑफ द माफिया, फॉर द माफिया एवं बाय द माफिया की सरकार है। मप्र में अवैध खनन सरकार के संरक्षण में चल रहा है। बबेले ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र विदिशा में चल रहे पहाड़ों के अवैध खनन के पीछे किन-किन नेताओं का हाथ है।

बबेले ने कहा- कमलनाथ सरकार ने माफियाओं पर कार्रवाई की थी। यही कारण है कि हमारा केवल रेत खनन से आने वाला राजस्व 5 गुना बढ़ गया था, जो कि 250 करोड़ से करीब 1250 करोड़ हो गया था, लेकिन भाजपा के लोगों ने खनन माफिया से गठबंधन करके यह सरकार गिरा दी, ताकि वह राजस्व भाजपा के नेता कमा सकें और जनता तक उसका लाभ ना पहुंचे। यह खनन माफियाओं की सरकार है।

बबेले ने अवैध खनन की घटनाओं का दिया हवाला

  • 8 मार्च 2012 को मुरैना में अवैध खनन रोकने के दौरान एक ट्रैक्टर आईपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार के ऊपर चढ़ा कर खनन माफिया ने उनकी हत्या कर दी। नरेंद्र के पिता केशव देव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर कहा था कि उनके बेटे को खनन माफिया के खिलाफ काम करने की सजा दी गई है। आखिर भाजपा सरकार में ऐसा माहौल क्यों है कि एक आईपीएस अधिकारी को भी खनन माफिया कुचल देता है बिना किसी डर के।
  • साल 2015 के जून महीने में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के गांव शुजालपुर इलाके में मौजूद खनन इलाके में महिला माइनिंग इंस्पेक्टर रीना पाठक टीम के साथ छापा मारने गई थीं. खनन माफिया के गुंडों द्वारा हमला किया गया, जिसमे होमगार्ड के तीन जवान बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
  • जून 2015 में ही दूसरी घटना बालाघाट जिले में घटी, उस घटना में बौखलाए रेत खनन माफियाओं के गुंडों ने एक पत्रकार संदीप कोठारी का अपहरण करके उसे जिंदा जला दिया था, 40 साल के पत्रकार की लाश महाराष्ट्र के वर्धा इलाके में स्थित एक खेत में जली हुई लावारिस हालत में पुलिस ने बरामद की थी।
  • सितंबर 2018 में मुरैना जिले के देवरी गांव में खनन माफिया के गुंडों ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर को ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला। डिप्टी रेंजर सूबेदार सिंह कुशवाहा मुरैना में ट्रैक्टर के पिछले टायरों के नीचे कुचल दिए गए।
  • साल 2018 में भिंड के पत्रकार संदीप शर्मा द्वारा रेत माफिया और पुलिस की मिलीभगत सामने लाने के बाद से उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही थी। पीएम और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर उन्होंने सुरक्षा देने की मांग भी की थी। भिंड कोतवाली से कुछ कदम पहले एक ट्रक ने उन्हें कुचल दिया। सरकार की इस माफिया को दी गई खुली छूट का विपक्ष के साथ ही सरकार के ही कुछ लोगों ने विरोध भी किया लेकिन उनकी भी बात सरकार ने नहीं सुनी।
  • जून 2021 रेत कारोबारियों को सरकार द्वारा राहत के प्रस्ताव का विरोध मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने किया उन्होंने कहा कि रेट के ठेकेदार बहुत पैसा कमा रहे हैं, इन्हें राहत देने की आवश्यकता नहीं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार में उनकी बात को न मानते हुए माफिया को राहत दी, जनता को राहत नहीं दी।
  • जून 2021 आईएएस ऑफिसर लोकेश कुमार जांगिड़ ने कहा बड़वानी से मुझे इसलिए हटाया क्योंकि वहां का कलेक्टर पैसा नहीं खा पा रहा था।
  • अगस्त 2021 चंबल में पदस्थ जिन श्रद्धा पांधारे ने खनन माफिया पर कार्रवाई की उन पर खनन माफिया ने 11 बार हमले किए तो खनन माफिया पर कार्रवाई के बदले श्रद्धा पांधरे का ही तबादला कर दिया गया। क्या ईमानदार अफसर के साथ ऐसा ही बर्ताव करने के निर्देश खनन माफिया ने इस सरकार को दिए हैं?मई 2022 में मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में खनन माफियाओं की गुंडागर्दी सामने आई। अवैध खनन कर रेत ले जा रहे माफियाओं को वन कर्मियों ने पकड़ा तो माफियाओं ने वन कर्मियों पर लाठी डंडों से हमला कर दिया। उन पर पत्थर फेंके और रेंजर से राइफल छुड़ाने की कोशिश की। माफिया के हमले में वन विभाग के एक अधिकारी के हाथ में फ्रैक्चर हो गया।
  • भगवान श्रीराम वनवास के समय चित्रकूट में काफी समय रहे। यहां के सिद्धा पहाड़ पर ऋषि-मुनियों और संतों की अस्थियों का ढेर देखकर भगवान, दुखी और आवेशित हुए थे। उन्होंने अपनी भुजाएं उठाकर धरती को निशाचरों से विहीन करने की प्रतिज्ञा ली थी। 2022 में सरकार ने उसी सिद्धा पहाड़ को अब नष्ट-ध्वस्त और खोखला करने की तैयारी कर ली थी। इसको लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए तब जाकर मामला रुका।

बबेले ने कहा- सरकार किस तरीके से कम कर रही है उसका एक उदाहरण अभी की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक टिप्पणी भी है,एनजीटी ने कहा था कि बिना पढ़े ही सीएस पक्ष रखने आए भगवान ही मालिक। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अफरोज अहमद को जूरी ने कहा हमें लगता है कि मध्य प्रदेश शासन का पूरा सिस्टम ही इनकॉम्पपिटेंट है,यही हाल आपके वकीलों का भी है।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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