Inside story of 5 murders in Datia | चार दिन पहले गाय हांकने पर हुई थी मारपीट, 33 साल पहले भी हुआ था ऐसा ही हत्याकांड

दतिया20 मिनट पहलेलेखक: संतोष सिंह
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दतिया से 10 किमी दूर रेड़ा गांव दो गुटों के खूनी संघर्ष में पांच लोगों की हत्या के बाद से सुर्खियों में है। एक पक्ष के 4 लोग घायल हैं, जिसमें एक की हालत नाजुक है और उसका ग्वालियर में इलाज चल रहा है। 33 साल बाद फिर रेड़ा गांव दो खेमों में बंट चुका है। पहली बार नहीं है, जब यहां की दांगी और पाल बिरादरी में खून बहा हो। 33 साल पहले भी सरपंच चुनाव को लेकर इस गांव में खून बहा था।
ताजा विवाद की बात करें तो इसकी नींव 9 सितंबर की रात में पड़ी गई थी। हुआ यूं कि जब पाल परिवार ने अपने खेत में घुसी गाय हांकी, तो वह दांगी परिवार के खेत में घुस कर फसल चरने चली गई। एक-दूसरे के खेत में गाय हांकने की बात पर उनके बीच लाठी-डंडे चले थे। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट, धमकी देने की एफआईआर भी दर्ज कराई थी। बावजूद पुलिस ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया।
बुधवार सुबह दोनों पक्ष समझौते के लिए बुलाई गई पंचायत से पहले ही आपस में भिड़ गए। दोनों ओर से एक-दूसरे पर कट्टा-बंदूक, कुल्हाड़ी से वार कर 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
पढ़िए क्यों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए दांगी और पाल बिरादरी के लोग और क्या हुआ था 33 साल पहले।
दतिया के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में आने वाला रेड़ा गांव लगभग 125 घरों वाला गांव है। गांव में पाल, दांगी, अहिरवार, यादव समाज के लोग रहते हैं। सबसे अधिक 45 घर दांगी, 40 घर अहिरवार, 20 घर पाल और 12 घर यादवों के हैं। गांव में सबसे अधिक खेती दांगी परिवारों के पास है। गांव के चरन सिंह दांगी के खेत की प्रीतम पाल रखवाली करता है।
9 सितंबर की शाम को चरन के खेत में लावारिस गाय किसी ने हांक कर घुसा दी थी। रखवाली कर रहे प्रीतम ने उसे हांका तो वह बगल के सुरेंद्र दांगी के खेत में चली गई। इसके लेकर रात 8 बजे के लगभग बहादुरपुर की पुलिया के पास सुरेंद्र दांगी और प्रीतम पाल में कहासुनी और फिर मारपीट हाे गई थी।
इसी विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि दोनों पक्षों से एक-दूसरे के 5 लोगों की हत्या कर दी। 6 घायलों में से एक की हालत नाजुक है। उसे दतिया से ग्वालियर रेफर कर दिया है। सबसे पहले 9 व 10 सितंबर को दर्ज हुई एफआईआर पढ़ते हैं, जिस पर एक्शन होता तो ये हत्याकांड नहीं होता।

चार दिन पहले दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को जान से मारने की दी थी धमकी
रेड़ा गांव निवासी 62 वर्षीय प्रीतम पाल ने बड़े बेटे नरेन्द्र पाल के साथ 9 सितंबर को एफआईआर दर्ज कराई कि ‘मैं ग्राम रेड़ा के चरन सिंह दांगी के खेत की रखवाली करता हूं। नौ सितंबर की रात 8:00 बजे की बात है। मैं खेत से घर जा रहा था। बहादुरपुर की पुलिया के पास मैं पहुंचा, तो मेरे गांव के प्रकाश दांगी, सुरेंद्र दांगी, सुंदर दांगी ने मुझे रोक लिया। गाली देकर बोले कि तू हमारे खेत में गाय घुसा देता है। मैंने गाली देने का विरोध किया तो तीनों ने धक्का देकर गिरा दिया और लाठी से मारपीट कर घायल कर दिया। मेरे दोनों बेटे नरेंद्र पाल व चंदन पाल ने पहुंच कर बीच-बचाव किया। तीनों ये धमकी देते हुए भाग गए कि अब उनके खेत में गाय घुसाई तो जान से मार देंगे।” सिविल लाइंस पुलिस ने इस मामले प्रकाश, सुरेंद्र व सुंदर के खिलाफ मारपीट, धमकी देने का केस दर्ज किया है।

9 सितंबर को प्रीतम ने सिविल लाइंस थाने में पहली रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
गाय घुसाने की बात पूछी, तो लाठी-डंडे से मारने लगे
दांगी परिवार के 30 वर्षीय सुरेंद्र दांगी ने चचेरे भाई सत्यम दांगी के साथ रात 12.30 बजे थाने पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई। बताया कि “9 सितंबर की रात 8 बजे मैं अपने नव तला वाले खेत से घर लौट रहा था। तभी बहादुरपुर की पुलिया के पास प्रीतम पाल, गिरबर पाल, बिशुन्नाथ पाल लाठी-डंडा लिए मिले। तीनों को देखकर मैंने प्रीतम से पूछा कि मेरे खेत में गाय क्यों घुसाते हो। इस पर तीनों ने गाली दी और डंडे से मारपीट की। शोर सुनकर खेत में काम कर रहे गांव के सौरभ, बीर सिंह ने बीच-बचाव किया। तीनों ने जाते-जाते जान से मारने की धमकी भी दी थी।’ पुलिस ने इस पर प्रीतम पाल, गिरबर पाल, बिशुन्नाथ के खिलाफ मारपीट, धमकी का प्रकरण दर्ज किया है।

ऊपर दर्ज रिपोर्ट के बाद सुरेंद्र दांगी ने देर रात साढ़े बारह बजे प्रीतम और उसके परिवार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
पुलिस ने सख्त कार्रवाई की होती, तो टल सकती थी घटना
दो परिवारों के बीच गाय घुसाने को लेकर हुई मारपीट की वारदात को पुलिस ने हल्के में लिया। पुलिस ने दोनों पक्षों पर दो दिन बाद प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी कर दी, लेकिन वो इतनी सख्त नहीं थी कि दोनों के बीच से आक्रोश को खत्म कर सके। दोनों पक्षों के बीच तनाव बरकरार था। गांव के सरपंच पति ने उनके बीच समझौता कराने के लिए बुधवार (13 सितंबर) को पंचायत बुलाई गई थी, लेकिन पंचायत से पहले ही पाल परिवार ने दांगी परिवार पर गांव के बाहर हमला बोल दिया। पहले दांगी परिवार के तीन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इसके बाद दांगी परिवार के लोगों ने प्रतिशोध में पाल परिवार के तीन लोगों को मरणासन्न कर दिया। एक की मौके पर मौत हो गई। दूसरे ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। तीसरे की हालत नाजुक बनी हुई है। पांच घायलों को हल्की चोटें आई हैं।
पाल परिवार ने पहले ही तय कर लिया था बदला लेंगे
पंचायत दोपहर में मंदिर में होनी थी। दोनों परिवारों ने रिश्तेदारों को भी बुलाया था। गांव के सरपंच पति सहित अन्य लोग सुलह कराने की कोशिश में लगे थे। तय हुआ था कि जब मंदिर में दोनों पक्ष पहुंच जाएंगे तो अन्य लोग भी आ जाएंगे। अगर हम जानना चाहें कि कैसे दोनों पक्ष सुलह से पहले भिड़ गए तो इसका जवाब सुंदर दांगी की दर्ज कराई एफआईआर में है। जान गंवाने वाले रामप्रकाश दांगी के बेटे सुंदर दांगी ने बताया कि बुधवार सुबह 10 बजे की बात थी। पिता रामप्रकाश, चाचा रामनरेश, भाई सुरेंद्र, मामा अरविंद, नाना रघुवीर, चाचा राममिलन, शिवम दांगी और मैं लवान वाले खेत से बाइक से गांव लौट रहे थे।
गांव के कमलेश अहिरवार के खेत के पास पहुंचे थे कि वहां पहले से मौजूद गिरवर पाल, संजय दांगी, बिशुन्नाथ पाल, नरेंद्र पाल, अनिल पाल, विकास पाल, चरन सिंह दांगी, राजेंद्र पाल, राघवेंद्र पाल, ठाकुरदास पाल, सुरेश पाल, चंदन पाल, अशोक पाल, बलवीर पाल, ज्ञान सिंह पाल, मुकेश पाल, फूल सिंह पाल, करन सिंह पाल, रामेश्वर पाल सहित दो-तीन लोगों ने अचानक हमला बोल दिया। सभी लाठी, कुल्हाड़ी, बंदूक-कट्टे से लैस थे। आरोपियों ने पहले फायरिंग की। गोली लगने से पिता रामप्रकाश दांगी, भाई सुरेंद्र दांगी और चाचा रामनरेश दांगी गिर पड़े। इसके बाद आरोपियों ने लाठी और कुल्हाड़ी से वार कर मार डाला। बीच-बचाव करने पहुंचे मामा अरविंद दांगी, चाचा राममिलन को भी घायल कर दिया। मैं, शिवम व रघुवीर वहां से जान बचाकर भागे। पुलिस ने इस मामले में हत्या, बलवा का प्रकरण दर्ज करते हुए 19 नामजद और दो अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया है।

हत्याओं के बाद से गांव में अभी भी पुलिस बल तैनात है।
बाद में दांगी परिवार ने लिया बदला
पाल परिवार के हमले की खबर के बीच ही दांगी परिवार के लोग भी मौके पर बंदूक, कट्टा व कुल्हाड़ी-बका आदि लेकर पहुंच गए। उन लोगों ने भी फायरिंग की। इस हमले में राजेंद्र पाल, राघवेंद्र पाल, ठाकुरदास पाल, ज्ञान सिंह पाल घायल हो गए। इसके बाद आरोपियों ने लाठी और कुल्हाड़ी से वार कर उन्हें मरणासन्न कर दिया। राजेंद्र पाल ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। राघवेंद्र पाल की सांसें दतिया जिला अस्पताल में थम गईं। ठाकुरदास व ज्ञान सिंह की हालत गंभीर बताई जा रही है। ठाकुरदास पाल को ग्वालियर रेफर कर दिया गया है। पुलिस ने इस मामले में हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा का प्रकरण दर्ज किया है। मामले में 10 नामजद सुंदर दांगी, राममिलन दांगी, शिवम दांगी, सत्यम दांगी, रामप्रकाश दांगी, सुरेंद्र दांगी, रामनरेश दांगी, वीर सिंह दांगी, सौरभ दांगी, केशव दांगी और दो अज्ञात को आरोपी बनाया गया है।
पुलिस ने पांचों मृतकों को भी बना दिया आरोपी
सिविल लाइंस पुलिस ने इस वारदात में शाम 5.45 के लगभग एफआईआर दर्ज की है। बावजूद उसने दोनों पक्षों से जान गंवाने वालों को भी आरोपी बनाया है। दांगी परिवार की ओर से बने आरोपियों में मर चुके सुरेंद्र दांगी, रामनरेश दांगी व रामप्रकाश दांगी और पाल परिवार के राजेंद्र व राघवेंद्र पाल शामिल हैं। हालांकि पुलिस चालान के समय इनकी मौत का इस्तगासा भी पेश करेगी।

हत्या के बाद शवों को पीएम के लिए जिला अस्पताल लाया गया।
मृतकों में सगे भाई और पिता-पुत्र भी
जान गंवाने वालों में सगे भाई और पिता-पुत्र भी शामिल हैं। दांगी परिवार के प्रकाश दांगी (50), उनका छोटा भाई रामनरेश (45) और बेटा सुरेंद्र दांगी (25) शामिल हैं। वहीं पाल परिवार से मरने वालों में राजेंद्र पाल (25) और राघवेंद्र पाल (30) चचेरे भाई हैं। पुलिस सुरक्षा में बुधवार की शाम को ही पांचों शवों का अंतिम संस्कार करा दिया गया है। गांव में तनाव को देखते हुए 100 का बल लगाया गया है। आईजी और एसपी हर एक गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। दोनों परिवारों की महिलाओं और बच्चों के आंसू नहीं थम पा रहे हैं।

हत्या में उपयोग किया गया देसी कट्टा।
33 बाद फिर गांव दो गुटों में बंटा, तब सरपंची के विवाद में हुई थी दो हत्या
रेड़ा में पांच लोगों की हत्या के बाद एक बार फिर गांव दो गुटों में बंट चुका है। 33 साल पहले भी ऐसा ही हुआ था। तब गांव में सरपंची के विवाद में दो कत्ल हुए थे। मौजूदा सरपंच ऊषा यादव के ससुर रघुवीर सिंह यादव और भगवत दांगी के बीच सरपंची की रंजिश को लेकर विवाद हो गया था। 1990 में में तब भगवत दांगी और चार-पांच अन्य लोग आराेपी बनाए गए थे। तब मौजूदा सरपंच के जेठ राघवेंद्र यादव की उम्र 17 वर्ष थी। उनके छोटे भाई 15 साल के ही थे। एक साल बाद इस परिवार ने भगवत दांगी की हत्या कर बदला लिया। इस मामले में चार लोग आरोपी बनाए गए थे। दोनों परिवारों की दुश्मनी में गांव दो खेमों में बंट गया था, बाद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ था। अदालत का फैसला आने से पहले ही दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया और सभी लोग बरी हो गए। इसके बाद से राघवेंद्र सिंह यादव के परिवार का सरपंची पद पर कब्जा है। 30 साल तक राघवेंद्र सिंह सरपंच रहे। अब उनके बेटे और बहू 25 सालों से निर्विरोध सरपंच चुने जा रहे हैं।

घटना के बाद से आज भी ऐसे ही हालात है जैसे पहले दिन थे। कुल मिलाकर पूरे गांव में सन्नाटा है।

बुधवार को पुलिस की मौजदूगी में पांचों शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
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हथियारों से लैस होकर एक-दूसरे पर टूट पड़े

दतिया में बुधवार को हुए खूनी संघर्ष में 5 लोगों की मौत हो गई। 8 घायल हैं।
दतिया में बुधवार को हुए खूनी संघर्ष में 5 लोगों की मौत हो गई। कुछ दिन पहले जिले के रेड़ा गांव में मवेशी चराने को लेकर पाल और दांगी समाज के दो लोगों में विवाद हो गया था। इसकी दोनों पक्षों ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई थी। इसी मामले में बुधवार को गांव के मंदिर में सुलह होनी थी, लेकिन, इससे पहले ही विवाद हो गया और हथियारों से लैस दोनों पक्ष एक-दूसरे पर टूट पड़े। पढ़ें पूरी खबर
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