मध्यप्रदेश

Pooja camp ends in Indore on 14th September | जिंदगी एक किराए का घर है एक न एक दिन बदलना ही पड़ेगा- आचार्य विहर्ष सागर महाराज

सतीश जैन.इंदौर13 मिनट पहले

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घर-गृहस्थी में रहकर हम इतने रच पच गए हैं कि हमने घर वालों को ही अपना मान लिया है, इसीलिए इन्हीं में हमें गम होता है, और इन्हीं से हमें खुशी होती है। अनंत भवों से ऐसा चल रहा है, हमने छोड़ने वाली चीज को पकड़ रखा है। उन्होंने कहा जिंदगी एक किराए का घर है एक न एक दिन बदलना ही पड़ेगा।

बड़ा गणपति स्थित मोदीजी की नसिया में चल रहे पूजा शिविर में बुधवार को आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने यह बात कही। इस अवसर पर आचार्यश्री ने पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूजन के छह अंग होते हैं- अभिषेक, आव्हान, स्थापन, सान्निधिकरण पूजन और विसर्जन।

आचार्यश्री ने पूजा में लगने वाली सामग्री के बारे में भी जानकारी दी, जो कि निम्नानुसार है-
जल- भगवान को सबसे पहले हम जल चढ़ाते हैं और कहते हैं कि हे भगवान यह जल मुनि के मन के समान है। हम जल आपके पास लेकर आए हैं अनंत भवों से जन्म, जरा, मृत्यु ने हमें परेशान कर रखा है यह तीन महा रोग हैं, इस जल से मेरे यह सारे दोष खत्म हो जाएं।
चंदन- यह ठंडक देता है, यह चढ़ाते हुए हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवान अनादि काल से विषय वासना ने हमें घेर रखा है यह हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाएं।
अक्षत- हमेशा साबुत चावल ही हमें चढ़ाना है, तभी अक्षय पद मिलेगा। जैसा दोगे वैसा ही मिलेगा।
पुष्प- (चंदनयुक्त चावल) शादी के वक्त भी हम केवल एक बार पुष्प चढ़ाते हैं और एक-दूसरे को स्वीकार कर लेते हैं। ठीक इसी तरह भगवान से भी हम यही प्रार्थना करें।
नैवेद्य- हम मंदिर में नारियल के चित्र से ही काम चला लेते हैं और भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारी भूख हमेशा के लिए खत्म हो जाए।
दीप- जब अंधेरा होता है तब दीप जलाया जाता है। भगवान को हम इसलिए यह चढ़ाते हैं कि हमारे अंतस के मोह-अंधकार खत्म हो जाएं।
धूप- धूप चढ़ाई नहीं जाती, इसका क्षेपण किया जाता है।

फल- यह इसलिए चढ़ाते हैं कि हमें मोक्ष फल चाहिए।
अर्घ- थाली में मौजूद सभी चीजों को मिलाकर चढ़ाते हैं, प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि हमें भी अनर्घ पद / अमूल्य पद मिल जाए।
आचार्यश्री कहते हैं कि हमारा खजाना हमारी आत्मा के अंदर है, एक बार आप अंदर की यात्रा कर लो, अंतस के खजाने में अपार खुशी है। जब तक तुम बाहर- बाहर में हो तब तक पूजा की आवश्यकता है।

प्रवचन देते आचार्य विहर्ष सागर महाराज। साथ में मंच पर हैं मुनि विजयेश सागर महाराज और मुनि विश्व हर्ष सागर महाराज।

प्रवचन देते आचार्य विहर्ष सागर महाराज। साथ में मंच पर हैं मुनि विजयेश सागर महाराज और मुनि विश्व हर्ष सागर महाराज।

आचार्य विराट सागर महाराज के चित्र का अनावरण किया

समाज के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आचार्य विराट सागर महाराज के चित्र का अनावरण ग्वालियर की नीतू जैन, निकिता जैन, राजुल जैन द्वारा किया गया। मुनि विजयेश सागर महाराज और मुनि विश्व हर्ष सागर महाराज भी मंच पर विराजित थे। इस अवसर पर योगेंद्र काला, दिलीप लुहाड़िया, राकेश गोधा, आकाश पांड्या आदि विशेष रूप से मौजूद थे। सभा का संचालन कमल काला ने किया। पारस पांड्या ने आभार माना।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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