भाजपाई अब भाजपा के ही खिलाफ लामबंद!

छतरपुर। जनसंघ के समय से जो सपरिवार समर्पित कार्यकर्त्ता के रूप में भाजपा का झंडा बुलंद किए रहे क्या आज उनकी पूछ-परख नहीं है?सत्ता स्वार्थ के कारण दलबदलुओं और मतलब परस्तों को सीने से लगाने के कारण क्या भाजपा में अपना जीवन खपा देने वाले उन तमाम कार्यकर्त्ताओं के सम्मान एवं स्वाभिमान को दरकिनार कर दिया गया है? क्या आज के माहौल में ऐसे तमाम लोग अपने आपको हतोत्साहित और तिरस्कृत महसूस कर रहे हैं? यह कुछ अहम सवाल हैं? जो आज भाजपा का आम कार्यकर्ता अपने शीर्ष नेतृत्व से पूंछ रहा है।
केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक लगातार सात बार से सांसद हैं। टीकमगढ़-छतरपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके मूल निवासी सागर का होने के बावजूद छतरपुर और टीकमगढ़ के हजारों कार्यकर्ता अपनी अथक मेहनत और पूर्ण समर्पण से लगातार उनको जिताते आये हैं। लेकिन वह आज तक अपने से जुड़े किसी कार्यकर्ता को राजनैतिक संरक्षण दिला पाने में असफल साबित हुये हैं। उनसे जुड़े लोग भाजपा में अपने आपको तिरस्कृत महसूस करने लगे हैं। वह उनके हितों का संरक्षण कर पाने में अक्षम सिद्ध हुये हैं।
भाजपा की पहली सूची में छतरपुर जिले की छतरपुर और महाराजपुर विधान सभा सीटों से उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए । लेकिन केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक आम कार्यकर्ताओं की आवाज के मुताबिक अपने समर्थक पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह(गुड्डू) अथवा उनकी पत्नी अर्जना सिंह को टिकट दिलाने में मुखर साबित नहीं हो पाये। जबकि सभी जानते हैं कि वह मजबूत उम्मीदवार साबित होते। जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा के तमाम कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है और सालों से भाजपा से निष्ठा से जुड़ा गुड्डू सिंह का परिवार संभव है कि अब भाजपा को अलविदा कर दे।
इसी प्रकार महाराजपुर सीट पर भी प्रत्याशी चयन से कोहराम मचा हुआ है। पूर्व पराजित प्रत्याशी के पुत्र, जो भाजपा के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं, को टिकट से नवाजे जाने को भाजपा का आम कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहा है। पुतला दहन तक करके लोग अपने आक्रोश का इजहार कर चुके हैं। सैकड़ो कार्यकर्त्ता दिल्ली तक जाकर हाईकमान के सामने सख्त आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। इस सीट से भी केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक टिकट के किसी अच्छे दावेदार और अपने सशक्त समर्थक की पुरजोर पैरवी नहीं कर पाए। जिससे ऐसे तमाम कार्यकर्ता खुद को तिरस्कृत और अपमानित महसूस कर रहे हैं।
सीधा और सरल होना अच्छी बात है। लेकिन सही बात और अपने कार्यकर्ताओं की सच्ची आवाज ऊपर तक बुलंदी से न पहुंचा पाना तो कतई नैतिक और उचित नहीं है। केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक हकीकत को मुखर होकर पेश नहीं कर पाये। जिससे सालों से उनसे जुड़े लोग आज हतोत्साहित हैं।
ऐसे तमाम भाजपाई अब भाजपा के ही खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। परिवारवाद और भ्रष्टाचार के प्रतीक उम्मीदवारों को हराने हेतु कमर कस चुके हैं। उनका साफ कहना है कि सालों से दरी-फर्स बिछाते-बिछाते दो लोकसभा सदस्यों से स्पष्ट बहुमत से अधिक सीटों तक भाजपा को हमीं लोगों ने मेहनत से पहुंचाया है और आज हमारी जायज आवाज को संगठन हित में कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा था कि
” कोई बुरा व्यक्ति केवल इसलिए आपका वोट पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है। दल के ‘हाईकमान’ ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा। अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है।”