MCUB students visited Raneh, Pandav Fall and Khajuraho. | भूगोल के एडऑन कोर्स स्टूडेंट्स ने ज्ञानवर्द्धक भ्रमण किया

छतरपुर (मध्य प्रदेश)23 मिनट पहले
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महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय भूगोल के एडऑन कोर्स के छात्रों ने रनेह फाल, पांडव फाल और खजुराहों का ज्ञानवर्द्धक भ्रमण किया। पर्यटन स्थलों के रूप में इनके विस्तार की अपार संभावनाएं जताई जा रहीं हैं।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो शुभा तिवारी और कुलसचिव विजय तिर्की के मार्गदर्शन में संचालित भूगोल विभाग के एड ऑन कोर्स के अंतर्गत दूसरे दिन विद्यार्थियों को ज्ञानवर्द्धक शैक्षिक भौगोलिक भ्रमण कराया गया।
मीडिया प्रभारी डॉ. एसपी जैन और सहा.प्रभारी एनके पटेल के मुताबिक, भूगोल के विद्यार्थियों को प्राकृतिक पर्यटन और सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में इन पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराकर इनके विस्मयकारी और रोमांचक स्वरूप से रुबरू कराया गया। इसके साथ ही भूगोल के प्राध्यापकों ने छात्रों को यहां की भौगोलिक विशेषताओं और प्राकृतिक घटनाओं से अवगत कराया। प्राकृतिक पर्यटन स्थल पांडव फाल में खूबसूरत वॉटर फॉल और परतदार चट्टानों का अनूठा संगम देखने को मिला। यहां पर चूना प्रधान चट्टानों को भी विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा और समझा। भ्रमण करने वाले छात्रों और प्राध्यापकों के दल ने पाया कि इन प्राकृतिक पर्यटन स्थलों को समुचित रूप से विकसित कर पर्यटक स्थल बनाए जाने की अपार संभावनाएं विद्यमान है। यहां वनस्पतियों के रूप में औषधीय पौधों की प्रचुर मात्रा है।
ऐसी मान्यता है कि पांडव फाल के जल को ग्रहण करने से कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती हैं, जिसका प्रमुख कारण औषधि वनस्पति से होकर जल का आना है। इन प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की अपनी प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक मान्यताएं हैं।
माना जाता है कि यहां पर महाभारत काल में पांडवों ने अपना एक माह अज्ञातवास में व्यतीत किया था। इसी कारण इसे पांडव फॉल के नाम से जाना जाता है। इस भौगोलिक भ्रमण से 50 विद्यार्थीं लाभान्वित हुए। जिन्होंने प्राकृतिक और सांस्कृतिक पर्यावरण के तत्वों को भली भांति देखा और समझा। कला संकाय की अपनी आसमानी-नीली यूनिफार्म पहने सभी अनुशासित विद्यार्थी इस भ्रमण का आनंद लेते और ज्ञान अर्जन करते देखे गए।
इस शैक्षिक भ्रमण में एडऑन कोर्स की संयोजक डॉ. कृष्ण शुक्ला, डॉ. आरएस सिसोदिया, गुरुओम मनु, अभिषेक सोनी, गोविंद दरिया, शोधार्थी प्रतीक्षा नामदेव, अनेकांत जैन और गायत्री पटेल सम्मिलित हुए।


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