Life imprisonment to uncle who raped niece in Sagar | दूध लेने गई नाबालिग भतीजी को रास्ते में रोका, सुनसान जगह पर ले जाकर किया था गलत काम

सागर25 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
प्रतिकात्मक फोटो।
सागर में नाबालिग भतीजी के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी चाचा को न्यायालय ने तीन धाराओं में आजीवन सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। प्रकरण की सुनवाई तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला की कोर्ट में हुई। साथ ही न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिकर की राशि चार लाख रुपए देने का आदेश दिया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रिपा जैन ने की।
अभियोजन के मीडिया प्रभारी ने बताया कि 31 अगस्त 2022 को पीड़िता ने माता-पिता के साथ थाने पहुंचकर शिकायत की। शिकायत में बताया कि 30 अगस्त 2022 को पीड़िता दूध लेने गई थी। डेयरी से दूध लेकर वापस घर आ रही थी। तभी मंदिर के पास उसे उसका आरोपी चाचा मिला। उसने बालिका को उसके साथ चलने के लिए कहा और बालिका को मंदिर के पीछे ले जाकर उसका मुंह दबाकर उसके साथ गलत काम किया। इसी दौरान मौके पर पीड़िता की मां आ गई तो उसे देखकर आरोपी छुप गया।
पहले भी धमकाकर किया था दुष्कर्म
पीड़िता ने घर पहुंचकर पिता को घटना बताई। साथ ही बताया कि आरोपी चाचा पहले भी दो-तीन बार धमकी देकर गलत काम कर चुका है। लेकिन पीड़िता ने डर के कारण किसी को बताया नहीं था। मामले में पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर आरोपी चाचा को गिरफ्तार किया। जांच पूरी होने पर पुलिस ने चालान न्यायालय में पेश किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभियोजन ने मामले से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेज पेश किए। पीड़िता और गवाहों के बयान कराए। न्यायालय ने मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी चाचा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
फैसले में अदालत ने की टिप्पणी
न्यायालय ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी पर भी बालिका का चाचा होने के नाते उसके संरक्षण का दायित्व था।लेकिन आरोपी ने उसके भाई की पुत्री/बालिका के साथ बारंबार बलात्संग जैसा गंभीर अपराध कर किसी स्त्री के उसके घर के अंदर सुरक्षित होने की परिकल्पना को ही खंडित किया है। बलात्संग का अपराध सबसे जघन्य अपराध में से एक है और एक सुरक्षित समाज तब होता है, जब वह बलात्कार मुक्त हो। इन परिस्थितियों में अभियुक्त को युक्तियुक्त रूप से कठोर दंड से दंडित करना न्यायोचित है।
Source link