Arrival of Purushottamanand Saraswati Maharaj at Geeta Bhawan, Indore. | उपनिषेद और वेदांत विषय पर सुबह और शाम होंगे प्रवचन

सुनील मिश्रा. इंदौर29 मिनट पहले
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गीताभवन मंदिर परिसर में चातुर्मास के दौरान अधिकमास वाले सावन माह में स्वामी प्रणवानंद सरस्वती महाराज वृंदावन से और दूसरे सावन माह में साध्वी परमानंद महाराज गोधरा से पधारे महाराज के प्रवचन किए गए। माहेश्वरी मारवाड़ी प्रगति मंडल और गीता भवन के भक्तों द्वारा शिव स्तुति का पाठ पिछले दो माह से चल रहा है। उसी के तहत स्वामी पुरुषोत्तमानंद सरस्वती महाराज नेमीशरण से पधारे हैं। माहेश्वरी मारवाड़ी प्रगति मंडल के लोगों ने महाराजश्री का पूजन किया। उनके प्रवचन 31 अगस्त से प्रारंभ हो गए हैं।

माहेश्वरी मारवाड़ी प्रगति मंडल के सदस्यों ने किया पुरुषोत्तमानंद महाराज का पूजन।
महाराजश्री ने बताया वेद और उपनिषद दोनों ही प्राचीन हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथ हैं, लेकिन वेद और उपनिषद में अंतर होता है। वेद उपासना के ग्रंथ होते हैं, जो सनातन धर्म की उत्पत्ति से संबंधित हैं। वेद चार वेदों – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में विभाजित होते हैं। इनमें से प्रत्येक वेद अनेक सूक्तों, मंत्रों और ब्राह्मणों से मिलकर बना होता है। वेद अपनी संगीतिक शैली और मंत्रों की अद्भुत शक्ति के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, उपनिषेद ज्ञान के ग्रंथ होते हैं जो वेदों के बाद लिखे गए हैं। वे उन श्रुति-स्मृति परंपराओं का अध्ययन करते हुए लिखे गए हैं, जो वेदों में समाहित नहीं होते। ये ध्यान, तत्व और आत्मा के विषयों पर विस्तार से चर्चा करते हैं। उपनिषेद में भगवान कृष्ण द्वारा उपदेश दिया हुआ गीता के भाग में भी शामिल होते हैं।

महाराजश्री का फूलमाला पहनाकर सम्मान करते हुए माहेश्वरी मारवाड़ी मंडल के सदस्य।
गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष रामचंद्र ऐरन और मंत्री रामविलास राठी ने बताया सभी ने पूजन कर महाराजश्री का आशीर्वाद लिया। महाराजश्री के प्रवचन 29 सितंबर तक सुबह 9 से 10.30 बजे तक और शाम को 5 से 6.30 बजे तक उपनिषेद और वेदांत पर प्रवचन होंगे।
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