मध्यप्रदेश

Mother and son met after 45 years | गुस्से में घर छोड़कर निकली थी महिला, 45 साल बाद 150 किमी दूर सेंधवा में मिली

सेंधवा29 मिनट पहले

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किसी फिल्म की कहानी की तरह करीब 45 साल पहले गुम हुई मां घर से करीब 150 किमी दूर एक गांव में मिली। जब मां-बेटे आपस में मिले तो भावुक हो गए। आसपास मौजूद लोगों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े। सेंधवा शहर से लगे बोरली गांव में लगभग 45 वर्षों से भिक्षा मांग कर जीवन यापन करने वाली वृद्ध महिला को लेने उसका 50 वर्षीय बेटा अचानक गांव पहुंचा।

दरअसल, अलीराजपुर जिले के फाटा गांव निवासी मधु किराडे जल जीवन मिशन योजना में काम करने के लिए रोजगार की तलाश में अपने गांव से निकलकर बड़वानी जिले के सेंधवा पहुंचा था। यहां से उसे कार्य के लिए सेंधवा के समीप बोरली गांव पहुंचाया गया। यहां पर उसकी दोस्ती गांव के धरमसिंह से हुई।

बातों-बातों में धरमसिंह ने मधु से उसके घर और गांव का पता पूछा और कहने लगा कि लगभग 40 से 45 वर्ष से एक महिला इस गांव में भिक्षा मांग रही है। जो स्वयं को अलीराजपुर की बताती है। मधु किराडे ने महिला की जानकारी लेकर अलीराजपुर क्षेत्र में महिला के परिवार की छानबीन में लग गया। उसने अपने चचेरे भाई से इस बारे में संपर्क किया।

वीडियो कॉल पर पहचाना घर

काफी खोजबीन करने के बाद अलीराजपुर जिले के फाटा गांव निवासी भारत ने इन लोगों ने संपर्क किया। भारत ने इस बात को स्वीकार किया कि लगभग 40 से 45 वर्ष पूर्व उसकी मां घर से कहीं चली गई थी और आज तक नहीं मिली। गांव वालों ने वीडियो कॉल के जरिए भारत का और उसकी मां का संपर्क कराया। वृद्ध महिला ने वीडियो कॉल पर अपने घर और घर के आस-पास के पेड़ों को पहचान लिया। इसके बाद भारत अपनी मां को लेने सेंधवा के समीप बोरली गांव पहुंचा।

मां को ढूंढने पिता ने बेची जमीन-जायदाद

बुजुर्ग महिला के बेटे भारत ने बताया कि वह जब बहुत छोटा था तो उसकी मां अचानक कहीं चल गई थी। बहुत ढूंढने के बाद भी नहीं मिली। मेरे पिताजी ने अपने पशु, खेत, जमीन मां को ढूंढने के लिए बेच दी। चार साल पहले पिताजी की मृत्यु हुई, लेकिन मां नहीं मिली।

अचानक मुझे मधु का फोन आया और उसने मेरी मां के बारे में पूछताछ की। मैंने कहा मेरी मां अब नहीं मिलेगी। लेकिन फिर भी उसने मुझे संपर्क करने को कहा। हमने वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की और मेरी मां ने मेरे घर को और मुझे पहचान लिया। जब मां घर से निकली थी तब मैं बहुत छोटा था। मैं अपनी मां को पाकर बहुत खुश हूं। मुझे संसार की सबसे बड़ी खुशी मिली है।

वृद्ध के बेटे भारत को बोरली लेकर पहुंचे रेमसिंह किराड़े ने बताया कि मेरे चचेरे भाई ने मुझसे संपर्क किया जो इस गांव में रोजगार की तलाश में आया था। उसने मुझे बताया कि अपने गांव की एक महिला इतने सालों से यहां रह रही है, क्योंकि हमारी उम्र कम होने से हमें इस बारे में कुछ नहीं पता था फिर भी मैंने खोजबीन कर भारत का पता लगाया। हम भारत की मां को लेने आए हैं।

मैं अब बहुत खुश हूं

भारत की मां कुसुम बताती है कि वह कई सालों पहले घर से निकल गई थी। उसे बहुत अधिक गुस्सा आया था और वह घर छोड़कर निकल गई थी। इसके बाद अपने घर नहीं लौटी। मेरा बेटा मुझे लेने आया है। मैं बहुत खुश हूं, मैं अपने बेटे के साथ जा रही हूं।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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