मध्यप्रदेश

Nagchandreshwar temple opened for devotees after worshiping Trikal | रात 9 बजे से लाइन में लगे भक्त, एक घंटे में दर्शनों का दावा

उज्जैनएक घंटा पहले

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नागपंचमी पर साल में एक बार खुलने वाला भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट सोमवार रात 12 बजे खोले गए। यह मंदिर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड पर स्थित है। दर्शनों के लिए रात 9 बजे से श्रद्धालुओं की भीड़ लगना शुरू हो गई थी। अगले 24 घंटे तक दर्शनों के लिए मंदिर खुला रहेगा।

पट खुलने के बाद पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरि महाराज ने नागचंद्रेश्वर भगवान का त्रिकाल पूजन किया। भगवान नागचंद्रेश्वर को दूध अर्पित कर आरती की गई। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। इसके बाद आम श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया गया। सोमवार रात 12 बजे तक यानी 24 घंटे तक दर्शनों का सिलसिला चलता रहेगा।

प्राचीनकाल से पंचांग तिथि अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा है। दर्शनों के लिए दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगकर बैरिकेडिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर और फिर बड़े गणेश मंदिर होते नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंच रहे हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए पिछले साल बनाए गए ब्रिज से दर्शन की व्यवस्था की गई है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है।

नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा

महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव जी के साथ देवी पार्वती बैठी हैं। संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिवजी नाग शैय्या पर विराजित हैं। मंदिर में शिवजी, मां पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ ही सप्तमुखी नाग देव हैं। साथ में दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं। शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए हैं। गर्भ में महाकाल तो तीसरे खंड में नागचंद्रेश्वर भगवान का मंदिरश्री महाकालेश्वर मंदिर का शिखर तीन खंडों में बंटा है।

इसमें सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचंद्रेश्वर भगवान का मंदिर है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। बताया जाता है कि दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी।

यहां से करें प्रवेश

भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालु भील समाज धर्मशाला से प्रवेश कर करेंगे। यहां से गंगा गार्डन के पास चारधाम मंदिर, पार्किंग स्थल जिगजैग, हरसिद्धि चौराहा, रूद्रसागर के पास, बड़ा गणेश मंदिर, गेट नंबर 4 या 5, विश्राम धाम, एरोब्रिज से होकर भगवान नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन किए जा सकेंगे। इसके बाद भक्त एरोब्रिज के द्वितीय ओर से रैंप, मार्बल गलियारा, नवनिर्मित मार्ग, प्रीपेड बूथ चौराहा पहुंचेंगे। यहां से द्वार नंबर 4 या 5 के सामने से बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि चौराहा, नृसिंह घाट तिराहा होते हुए दोबारा भील समाज धर्मशाला पहुंचेंगे।

700 सीसीटीवी कैमरे से सर्विलांस

  • दिशा-निर्देश के लिए सेक्टर अनुसार सहायता केंद्र और खोया-पाया केंद्र बनाए गए हैं। यहां पुलिस बल, कर्मचारी और स्काउट-गाइड्स तैनात रहेंगे।
  • बुजुर्ग और निःशक्तजन श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिक्षेत्र के पास पार्किंग स्थल पर ई-कार्ट और व्हील चेयर की व्यवस्था है।
  • मंदिर परिक्षेत्र और दर्शन मार्ग पर 700 सीसीटीवी लगाए गए हैं। कंट्रोल रूम से सीसीटीवी सर्विलांस और एलईडी की मदद से निगरानी की जाएगी।
  • दर्शन मार्ग, पार्किंग और मंदिर परिक्षेत्र में बड़ी आउटडोर एलईडी लगाई गई हैं, जिन पर नागचंद्रेश्वर और महाकालेश्वर के लाइव दर्शन कर सकेंगे।
  • सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 18002331008 पर संपर्क कर सकते हैं।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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