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ग्राम पंचायतों के विकास कार्य हुए ठप्प: नए सरपंचों में जिला सीईओ के खिलाफ रोष

छतरपुर। जिले में 558 ग्राम पंचायतें हैं। इन पंचायतों में चुनकर आए नए सरपंचों को नए काम स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है। मिली जानकारी के अनुसार जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में जो काम स्वीकृत होना चाहिए वह जिला पंचायत की सीईओ के द्वारा स्वीकृत नहीं किए जा रहे। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की तादाद में मजदूर पलायन कर रहे हैं।  यही नहीं जिले को मिलने वाला बजट भी लेप्स होने की कगार पर है। ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि ग्राम  पंचायतों में परिवहन के लिए  सुदूर सडक़ स्वीकृत की जाती थी परंतु इस वर्ष एक भी सडक़ को स्वीकृति नहीं दी गई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में नवीन तालाब बनाए जाने परंतु ग्राम पंचायततों में नवीन तालाब भी स्वीकृत नहीं किए गए। मनरेगा के  अंतर्गतत होने वाले काम भी स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। चुने चुनाए सरपंच काम स्वीकृत कराने के लिए जिला पंचायत कार्यालय के इर्दगिर्द घूमते नजर आते हैं परंतु इन्हें कोई ठिकाना नहीं मिल रहा है। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तपस्या सिंह परिहार के द्वारा नवीन कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं पुराने कामों का भुगतान भी नहीं हो रहा है। जिसकी आए दिन शिकायतें हो रही हैं। वहीं छतरपुर जिला छठवें नंबर पर है। अन्य जिलों की अपेक्षा इस जिले में विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। पूर्व कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के समय छतरपुर जिला प्रधानमंत्री आवास योजना में सर्वप्रथम रहता था। यही नहीं अन्य योजनाओं में भी छतरपुर टॉपपर था। इसका कारण था कि कलेक्टरशीलेन्द्र सिंह स्वयं रुचि लेकर हर हफ्ते में शुक्रवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की बैठक लेते थे और जिला पंचायत के द्वारा भेजे गए कार्य तत्काल स्वीकृत करते थे। हालांकि वे ग्रामीण विकास विभाग के जनपद के सीईओ और सहायक यंत्रियों पर अच्छा शिकंजा कसे हुए थे। बैठक में जाने से ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी कतराते थे। फिलहाल छतरपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य बड़े अधिकारियों की उदासीनता के चलते ठप है। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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