Discourse of Chaturmas in Chhatripura Ramdwara | जोगी राम में रमण करते हैं और राम योगियों में- स्वामी रामदयालजी महाराज

मुकेश कचोलिया.इंदौर10 मिनट पहले
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शरीर की क्षणभंगुरता और आत्मा की अमरता का अद्भुत चिंतन संतों ने प्रदान किया है l विचार करें कि संसार-परायण व्यक्ति पशु के समान है और भजनीक आत्मा भजनानंदी है l जो भजन के आनंद में रहता है वह देव समान है, यही अंतर है भोगी और योगी में l जोगी राम में रमण करते हैं और राम योगियों में रमन करते हैं l योग परायण जीवन भगवत अर्पण हो जाता है l उनकी हर प्रक्रिया संसार से अलग होती है l तत्व को जानने वाले अच्छे से जानते हैं कि मैं कुछ नहीं करता हूंl
अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर स्वामी रामदयाल महाराज ने बुधवार को छत्रीबाग में चल रहे आत्मनिर्भर चातुर्मास समिति की धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने तेरह प्रक्रिया जीव की बताई गई है, परंतु जो योगी हैं वह प्रक्रिया करते हुए भी इन सब प्रक्रियाओं से मुक्त होते हैं l भगवत-परायण व्यक्ति साधारण नहीं होता है, उसकी हर प्रक्रिया राम के लिए है, राम के द्वारा है और राम से है, सर्वत्र राम ही राम है l जो संसार के योग्य नहीं है, वह संसार का नहीं बनता है, जोगी बन जाता है l संसार में सबसे उच्च अवस्था योगी हो जाना ही है l माधव ने अर्जुन से कहा जोगी बन जाओ और गीता का अद्भुत ज्ञान ग्रहण करो l योगी का हर कर्म श्रीकृष्ण के लिए ही होता है l योगी कृष्ण मे और कृष्ण योगी में ही रमण करते हैं l संसार में, संसार की रचना करने वाले परमात्मा की अनुभूति, भक्ति दर्शन करना, बहुत उच्चकोटि की पराकाष्ठा है l अद्भुत सतगुरु की कृपा द्वारा ही यह संभव है। संत महापुरुषों के आश्रम निवास स्थान की विशेषता होती है कि हिंसक जीव और अन्य जीव मित्रवत व्यवहार के साथ एक स्थान पर साथ-साथ रहते हैं।
परमात्मा सभी में विद्यमान
सत, चित, आनंद स्वरूप परमात्मा सभी में विद्यमान हैं और भगवत अनुरागी जीव में सदा रमन करते रहते हैं। शरीर और संसार के नश्वर तथा ज्ञान कर कर सत्य का बोध कर दे वही धन्य है। संत महात्मा एक बार भी जिसे अमृत की दृष्टि से देखने को निहाल हो जाते हैं। संपत्ति वही सार्थक है जो राष्ट्र के काम आए। गरीबों के काम में साधना के मार्ग में ज्ञान की जीवन अवस्था होनी चाहिए। जीवन में सभी संतों ने तत्व ज्ञान प्रदान किया है, जो मानव मन को मथकर परमात्मा का बोध करवाते हैं।
वाणीजी ग्रंथ का पूजन
मुकेश कचोलिया ने बताया कि प्रतिदिन प्रातः 5:30 से 6:00 रामधुनि, 8:30 से 10:00 प्रवचन एवं सायं 7 से 7.30 संध्या आरती हो रही है। जगतगुरु आचार्यश्री की अगवानी मुकेश कचोलिया, योगेश सोनी, हेमंत काकानी एवं रामसहाय विजयवर्गीय, आशीष सोनी ने की। वाणीजी ग्रंथ का पूजन मोहन खंडेलवाल, रितेश कृपलानी, देवेंद्र मुछाल, लक्ष्मी कुमार मुछाल, गिरधर नीमा, रामनिवास मोड़, आरडी फरक्या, दिनेश धनोतिया ने किया।
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