काम ऐसा कीजिए कि मरने के बाद भी आपको याद किया जाए: गणाचार्य विराग सागर जी

बकस्वाहा / जिले के सलेहा के समीपवर्ती अति प्राचीन जैन तीर्थ श्रेयांश गिरी जी मैं चातुर्मासरत् बुंदेलखंड के प्रथमा चार्य, उपसर्ग विजेता, राष्ट्रसंत, भारत गौरव गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनि राज ने आज रविवारीय विशेष प्रवचनों मैं विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहां कि भारतवर्ष की पुण्य धरा पर दिगंबर जैन संतों का निराबाध रूप से विचरण प्राचीन काल से चल रहा है यही कारण है कि वर्तमान में भी प्रत्येक प्रांतों में जैन संत अपनी निर्मल चर्या कर धर्म गंगा बहा रहे हैं इसी श्रृंखला में बुंदेलखंड के सर्व प्राचीन अतिशय क्षेत्र श्रेयांश गिरी में विराजमान परम पूज्य भारत गौरव राष्ट्रसंत गढ़ाचार्य श्री विरागसागर जी महामुनिराज सहसंघ 29 पिच्छी के मंगलमय सानिध्य में संपूर्ण बुंदेलखंड प्रांत धर्माजन कर रहा है।
मीडिया प्रभारी भरत सेठ घुवारा ने उक्त आशय कि जानकारी देते हुए बतलाया कि आज 6 अगस्त को प्रत्येक रविवार की भांति धार्मिक सभा का आयोजन हुआ जिसमें संपूर्ण पन्ना,सतना जिले की जैन समाज के साथ बीना, विदिशा, इंदौर,सिंगपुर, बड़ामलहरा इत्यादि विभिन्न स्थानों के श्रद्धालु भक्तों ने शामिल होकर पुण्यार्जन किया।
*दिगंबर जैन समाज पन्ना ने की पूज्य गुरुवर की महा पूजा*
इस पावन अवसर पर पूज्य गुरुवर की विशेष महापूजा करने का सौभाग्य श्री दिगंबर जैन समाज पन्ना वालों को प्राप्त हुआ जिसके अंतर्गत नन्ही नन्ही बालिकाओं ने भक्ति नृत्य कर धर्म सभा की शुरुआत की उपरांत संपूर्ण जैन समाज ने अष्ट द्रव्य से गुरुवार की संगीतमय पूजन की तथा गुरुवर का पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य सिंगपुर के गुरु भक्तों को तथा शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य दिगंबर जैन महिला मंडल पन्ना को प्राप्त हुआ।
*अनेकों श्रद्धालुओं ने क्षेत्र निर्माण में सहयोग प्रदान करने की भावना व्यक्त की*
जैसा कि ज्ञातव्य है कि श्रेयांश गिरी तीर्थ का विकास पूज्य गणाचार्य श्री की पावन प्रेरणा एवं मंगल मार्गदर्शन में अभिराम गतिमान है जिसमें अनेक अनेक श्रद्धालुओं ने चंचल लक्ष्मी का सदुपयोग कर निर्माण कार्य में सहयोग प्रदान किया वर्तमान में चौबीसी की बाउंड्री वॉल तथा पर्वत तलहटी में विशालकाय तीन मंजिली जैन मंदिर का निर्माण तीव्रता से गतिमान है।
*संपन्न हुए कष्ट निवारण मंगलमय प्रवचन*
पूज्य गणाचार्य ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिसके अंदर धार्मिक भावना नहीं होती वह प्राणी जीते हुए भी जीता जागता मुर्दा है क्योंकि धर्म तो आत्मा का स्वभाव है किंतु जो अपने स्वभाव से विपरीत अधर्म को अपनाएं अपने जीवन को पर को दुख देने में व्यतीत करें ऐसा प्राणी बंधुओं, जीते हुए भी जी नहीं रहा बल्कि वह तो जीते हुए भी जी नहीं रहा इसलिए भगवान कहते हैं कि अपने जीवन को जीते जी मुर्दे के समान व्यतीत मत करो बल्कि काम ऐसा करो कि आपको आपकी मृत्यु के उपरांत भी आपके सुकृत्यों के द्वारा याद किया जाए भगवान महावीर ,भगवान राम इत्यादि अब नहीं है किंतु उन्होंने अपने जीवन में धार्मिक भावना अनुरूप ऐसे ऐसे काम किए जिससे आज भी इस संसार में नहीं है किंतु जन-जन के अंतश में वे आज भी जीवित हैं किंतु कुछ ऐसे भी लोग होते हैं कि जो अपने कुकृत्य के द्वारा समाज क्या अपने पारिवारिक जनों के लिए भी जीते जी मरे के समान हो जाते हैं इसलिए बंधुओं, काम ऐसा कीजिए मरने के बाद भी आपका नाम हो जाए किंतु काम ऐसा मत कीजिए कि आपके काम के कारण आपका नाम बदनाम हो जाए।