Biography of Sadhu-Sadhvi for a day in Indore | जैन युवक संघ के कार्यकर्ताओं ने साधु बनकर घर-घर से ग्रहण की गोचरी

संतोष जैन मामा.इंदौर23 मिनट पहले
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श्री स्थानकवासी जैन युवक संघ के तत्वावधान में राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश महाराज के सान्निध्य में सोमवार को समाज के लगभग 350 श्रावक-श्राविकाओं ने एक दिन के लिए साधु-साध्वी का जीवन अपनाने का प्रयास किया। इस आयोजन को गोचरी दया भी कहा जाता है। इसमें सभी श्रावक-श्राविका सुबह 8 बजे से पांच सामायिक करने के बाद साधु-साध्वी के वेष में वे सभी क्रियाएं करते हैं, जो संतगण करते हैं। इसमें सामायिक एवं घर-घर पहुंचकर गोचरी (आहार-पानी) ग्रहण करना भी शामिल था।

एक दिन के साधु-साध्वी विहार पर निकले।
15 दिन से की जा रही थी तैयारियां
स्थानकवासी जैन युवक संघ के अध्यक्ष सुविधि जवेरी, कार्यक्रम संयोजक राकेश कोठारी, राकेश मेहता एवं उपेन्द्र बोहरा ने बताया कि इस आयोजन की तैयारियां 15 दिन पहले से की जा रही थी। यह पहला अवसर था जब इतनी अधिक संख्या में समाज के युवक-युवतियों ने साधु-साध्वी के वेष में अपने गृहस्थ जीवन की सभी दिनचर्याएं रोककर साधु जीवन को पूरी तरह अपनाया। इनमें 10 वर्ष के बालक से लेकर 45 वर्ष के बंधु भी शामिल थे। इस दौरान युवक-युवतियों के समूहों ने उसी तरह गोचरी दया की, जिस तरह साधु-साध्वी प्रतिदिन करते हैं। सुबह 8 से पांच सामायिक का क्रम शुरू हुआ और संपूर्ण आयोजन में 1700 सामायिक की गई, बल्कि समाज के वरिष्ठजन, नेमनाथ जैन, डेविश जैन, प्रकाश भटेवरा, रमेश भंडारी, जिनेश्वर जैन, रितेश कटकानी, पीयूष जैन, संजय नाहर एवं तरुण कीमती भी इस साधना के साक्षी बनकर उपस्थित रहे।

युवाओं को साधु-साध्वी के वेष में उसी तरह का आदर भी मिला।
साधु-साध्वी का जीवन अपनाने का प्रयास किया
युवक संघ के सचिव स्वप्निल संचेती एवं पुनीत आंचलिया ने बताया कि इस दौरान सभी युवक-युवतियों ने ईमानदारी से अपनी गृहस्थ जीवन की सभी गतिविधियां छोड़कर साधु-साध्वी का जीवन अपनाने का प्रयास किया। युवक संघ के राजेश सुराणा, गर्वित बोढ़ाना, हनी चौरड़िया, गौरव जैन, पंकज भटेवरा, रूपेन्द्र जैन, अऱविंद जैन, सौरभ झेलावत, वैभव तांतेड़ एवं मिलन जैन ने सभी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला। उपाध्यक्ष संकेत जैन ने आभार माना। इस आयोजन का उद्देश्य साधु-साध्वी, भगवंतों के साधना एवं तपस्यापूर्ण जीवन को स्वयं अनुभूत करने औऱ अपने जीवन में एक दिन के लिए ही सही, आत्मसात करने का था।

एक दिन के साधु-साध्वी धर्मसभा में।
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