छतरपुर. शहर में रोजगार के अवसर बढ़ाने के मकसद से 16 साल पहले चंद्रपुरा औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई। लेकिन लापरवाही के चलते प्रोजेक्ट पर 12 साल तक कोई काम नहीं हो सका। अब झांसी खजुराहो फोरलेन बनने के बाद प्रोजेक्ट की जमीन प्रभावित हुई है। जिससे पूर्व में पास कराए गए नक्शा से हटकर सडक़ों व प्लाटों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा हाईकोर्ट के स्थगन के वाबजूद प्लाट का आंवटन और फैक्ट्रियों का निर्माण किया जा रहा है। इसको लेकर शिकायतें भी हुई है।
हाईकोर्ट में लंबित है मामले
प्लॉट आवंटन के दर्जनों मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। विभाग ने इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2006 में टीएंडसीपी व शासन से स्वीकृत कराया था। इसका नक्शा भी अप्रूव कराया था, लेकिन अब अफसर बगैर शासन की अनुमति लिए उक्त नक्शे में लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं। 200 फीट की रोड को 60 फीट की रोड में तब्दील कर शेष जमीन में प्लॉट काट दिए गए हैं। नक्शे में स्वीकृत कई रोडों को बदल दिया गया है।इस तरह की गड़बडिय़ां भी आ रही सामने
शिकायतकर्ता कृष्ण गोपाल दुबे बताते हैं कि चंद्रपुरा में उन्हें प्लॉट क्रमांक 9 का आवंटन किया गया था, लेकिन अब विभाग का मौखिक रूप से कहना है कि उक्त प्लॉट एनएच में चला गया है। जबकि वास्तविकता में उनका प्लॉट एनएच में नहीं गया है। उन्होंने तहसीलदार से आवंटित प्लॉट का सीमांकन करने का आग्रह किया तो राजस्व विभाग की टीम तत्काल सीमांकन के लिए आ गई और उन्होंने बताया कि प्लॉट सुरक्षित है, लेकिन उद्योग विभाग के अफसर मौके पर नहीं पहुंचे और कहा कि कोर्ट से स्टे है।स्टे के बाद भी एक प्लॉट का दो लोगों को कर दिया आवंटन
एक अन्य शिकायतकर्ता विनय तिवारी बताते हैं कि उन्हें वर्ष 2007 में प्लाट का आवंटन हुआ था।इसके बाद विभाग ने हमे काम प्रारंभ न करने पर नोटिस दिया, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि मौके पर न तो सडक़ है और न बिजली, पानी की व्यवस्था है। ऐसे में कैसे उद्योग लगाऊं। विभाग के नोटिस पर तिवारी ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। लेकिन अधिकारी ने साजिश कर स्टे के बावजूद यह प्लाट दूसरे को अलॉट कर दिया। जब दोनों ने मिलकर उक्त कर्मचारी से आपत्ति जताई तो यह प्लॉट तीसरे पवन द्विवेदी को आवंटित कर दिया। उक्त प्लाट पर उद्योग आज भी नहीं लगा हैं, केवल बाउंड्री बनी है। तिवारी का आरोप है कि सालों से जमे विभाग के कर्मचारी ने एक ही प्लॉट का तीन बार आवंटन कर खेल कर रहे हैं।आयुक्त तक गई शिकायत
छतरपुर में उद्योग विभाग के जमीन आवंटन के इस विवाद को लेकर आयुक्त पी नरहरि ने सभी संबंधितों को भोपाल में बुलाया था। जहां 21-22 लोग पहुंचे थे। उन्होंने कलक्टर को फोन कर मामला सुलझाने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी विवाद नहीं सुलझ सका है। सवाल उठता है कि आखिर विभाग 2006 के स्वीकृत नक्शे में मनमाफिक बदलाव क्यों कर रहा है और दोषियों पर शिकायत के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
इनका कहना है
चंद्रपुरा प्रोजेक्ट में वास्तव में मौके पर जमीन कम है। वहां समूची रोड 200 फीट की डालना संभव नहीं है। इसके अलावा कुछ जमीन फोरलेन निर्माण में चली गई है। इस कारण नक्शे व योजना में परिवर्तन स्वाभाविक है। हाईकोर्ट में 23 मामलों में कुल 58 प्लॉट उलझे हैं। पिछले दिनों विभाग के आयुक्त ने विवाद सुलझाने बैठक बुलाई थी। इसके बाद कुछ लोग केस वापस लेने को तैयार हुए हैं। उनके मैटर हम सुलझा भी रहे हैं। वास्तव में छतरपुर में उद्योग लगाने वाले लोग कम हैं, और विभाग से जमीन लेकर उसे महंगी कीमत पर बेचने वाले लोग अधिक हैं, इससे ही परेशानी हो रही है।
आशुतोष गुप्ता, महाप्रबंधक उद्योग
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संपादक, बुंदेलखंड समाचार
अधिमान्य पत्रकार
मध्यप्रदेश शासन
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