जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी: 300 बेड क्षमता वाले अस्पताल में 600 से अधिक मरीज भर्ती, अनेक बच्चे जमीन पर ही ले रहे इलाज

छतरपुर. इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी और उमस के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड यानी स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में क्षमता से 4 गुना अधिक बच्चे भर्ती हैं। सीमित संसाधन के बावजूद अधिक बच्चे भर्ती होने से व्यवस्थाएं प्रभावित हैं। जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में बच्चों को भर्ती करने के लिए 20 वार्मर उपलब्ध हैं, जबकि एक वेंटिलेटर मौजूद है। लेकिन खराब मौसम के कारण इस वार्ड में इस समय क्षमता से 4 गुना से भी अधिक 90 बच्चे भर्ती हैं। ऐसी हालत में सभी बच्चों को वार्मर की सुविधा नहीं मिल पा रही है। हालात यह है कि जो बच्चे कम गंभीर हैं, उन्हें मातृत्व वार्ड में मां के साथ शिफ्ट किया गया है, यहां भी पलंग की समस्या होने के कारण अनेक बच्चे जमीन पर ही इलाज ले रहे हैं।
पीडियाट्रिक यूनिट में 20 बेड का होगा एसएनसीयू
स्वास्थ्य विभाग जिला अस्पताल की पांचवीं मंजिल पर 1.45 करोड़ की लागत से पीडियाट्रिक यूनिट का निर्माण करा रहा है। हालांकि इस काम में लेटलतीफी भारी पड़ रही है। यहां पर भी विभाग 20 बेड का एसएनसीयू वार्ड तैयार कर रहा है। जिससे स्थान तो बदल जाएगा, पर स्वास्थ्य सुविधाएं जस की तस रहेंगी। वहीं मदर वार्ड की क्षमता 25 से घटाकर 10 कर दी है। जिससे प्रसूता महिलाओं को रुकने में परेशानी होगी। इसलिए विभाग को चाहिए कि एसएनसीयू वार्ड की बेड झमता बढ़ाएं, ताकि नवजात बच्चों को आसानी से इलाज मिल सके। इस पीडियाट्रिक यूनिट के निर्माण से सिर्फ इतना फायद होगा कि बच्चों को एक ही स्थान पर सभी प्रकार के इलाज मिल सकेंगे।
एसएनसीयू
3 जिलों के मरीज आने से बढ़ी संख्या
जिला अस्पताल में छतरपुर के साथ उत्तर प्रदेश के महोबा एवं बांदा, पन्ना और टीकमगढ़ के मरीज इलाज कराने आते हैं। जिससे 300 बेड क्षमता वाले अस्पताल में हमेशा 600 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। जिला अस्पताल 300 बेड का स्वीकृत होने के कारण प्रदेश शासन द्वारा उस अनुपात से दवाएं, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य सुविधाएं दी जाती है। जो भर्ती मरीज के अनुपात में कम है।
बच्चा वार्ड की क्षमता 40 की लेकिन भर्ती हैं 70 बच्चे
अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर बच्चों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। सबसे ज्यादा उल्टी, दस्त, पीलिया और मौसमी बुखार से पीडि़त बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। बच्चों के वार्ड में 40 मरीजों की क्षमता है लेकिन यहां पर लगभग दोगुने बच्चों को भर्ती करके इलाज दिया जा रहा है। राहुल कुशवाहा निवासी माधवपुर की ढाई वर्षीय पुत्री कल्पना कुशवाहा को हल्का बुखार आने पर डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने चेकअप करके बच्ची को पीलिया बताकर भर्ती करने की सलाह दी। इसी तरह गौरिहार निवासी आनंद अनुरागी के बेटे पीयूष को उल्टी, दस्त की शिकायत के चलते जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इनका कहना है
बच्चों में उल्टी, दस्त, सर्दी, जुकाम बुखार के मरीज एवं बड़ों में भी इसी तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं के अतिरिक्त अन्य भवनों में मरीजों को शिफ्ट करके समुचित इलाज के प्रबंध किए जा रहे हैं।
डॉ. लखन तिवारी, सीएमएचओ, छतरपुर