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आजादी के वक्त से दोस्ती, कोरोनाकाल का भी एहसान, अब भारत की मुराद पूरी करेगा सिंगापुर, दुनिया में बढ़ जाएगी धाक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई की यात्रा पर रवाना हो गए. वहां से फिर वह 4 सितंबर को सिंगापुर जाएंगे. पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सिंगापुर की यात्रा की थी और अब करीब छह साल बाद वह एक बार फिर से सिंगापुर की यात्रा जाने वाले हैं. सिंगापुर दुनिया भर में भारत का छठा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. यह देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का एक प्रमुख स्रोत है. पिछले ही साल यहां से 11.77 अरब अमरीकी डॉलर का एफडीआई आया था. ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और भी बड़े स्तर पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि दोनों ही देश टेक्नोलॉजी, स्किल डेव्लपमेंट और क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग के नए रास्ते तलाश रहे हैं.

भारत और सिंगापुर के रिस्ते गुटनिरपेक्ष आंदोलन के समय से ही रहे हैं. अगस्त 1965 में सिंगापुर की आजादी के वक्त से ही दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती रही है. सिंगापुर बनने के महज 15 दिन बाद ही भारत ने इसके साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे. यह करने वाला भारत दुनिया चुनिंदा देशों में एक था और समय के साथ ये संबंध और मजबूत होता गए.

भारत में FDI का बड़ा स्रोत सिंगापुर
सिंगापुर मल्लका स्ट्रेट चोकपॉइंट पर स्थित है और इस वजह से हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में पहुंच के लिए यह एक अहम देश बन जाता है. सिंगापुर के साथ भारत का यह रक्षा सहयोग हमारी क्षेत्रीय रणनीतिक समुद्री पहुंच को दक्षिण चीन सागर तक बढ़ाता है और हिंद महासागर में सुरक्षा भागीदार के रूप में सिंगापुर की भूमिका को मजबूत करता है.

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सिंगापुर आज भारत में आने वाले एफडीआई के सबसे बड़े सोर्स में से एक है, जिसमें फिनटेक, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में निवेश शामिल हैं. भारतीय स्टार्टअप और टेक फ़र्म की सिंगापुर में काफी मौजूदगी है. सिंगापुर का इनोवेटिव और टेक्नोलॉजी पर जोर भारत के एक टॉप डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्यों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है.

सेमीकंडक्टर हब बनने के सपना साकार करेगा सिंगापुर
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण का नया हब बनने का लक्ष्य रखा है और इस सपने को साकार करने में सिंगापुर का बड़ा रोल हो सकता है. विदेश मंत्रालय के सचिव पूर्वी जयदीप मजूमदार ने कहा कि सिंगापुर ग्लोबल सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में ‘अच्छी तरह से फिट हुआ’ है. मजूमदार ने कहा, ‘इस क्षेत्र में सिंगापुर को 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है, जहां हम आगे बढ़ने के इच्छुक हैं और देख रहे हैं कि हम सिंगापुर के साथ कैसे सहयोग कर सकते हैं जो पहले से ही भारत में कारखाने स्थापित कर रहा है.’ विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि यह यात्रा सेमीकंडक्टर उद्योग को वास्तव में बढ़ावा देगी.’

वैसे सिंगापुर और भारत पहले भी कई मौकों पर एक-दूसरे की मदद करते आए हैं. इससे पहले 2021 में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान उसने ऑक्सीजन से लेकर मेडिकल सप्लाई तक भी बड़ी मदद की थी. वहीं भारत ने भी सिंगापुर को इस वायरस से बचाने वाला टीका दिया था. ऐसे में सिंगापुर आने वाले वक्त में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को आगे बढ़ाने और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय हितों को सुरक्षित करने में मजबूत साबित हो सकता है.

Tags: PM Modi, Singapore News


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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