अजब गजब

बचपन में छूटा पिता और भाई का साथ, फिर मां ने मजदूरी करके पढ़ाया; अब बेटा बना कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर

कृष्ण कुमार/नागौर. महाभारत में कौरव और पांडवों के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण भगवान ने कहा था पार्थ कर्म करते जाओ फल की इच्छा मत करो. यह कथन नागौर के जगदीश राम झींझा पर स्टीक बैठती है. क्योंकि इन्होंने बचपन से परेशानियों का सामना किया है. कक्षा पांच में पढ़ाई कर रहे थे तब पिता का साथ छूट गया, उसके बाद कक्षा आठ में पढ़ाई कर रहे थे तब बड़े भाई का साथ छूट गया. यानी बचपन में ही इनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन मां ने बच्चे को संभाला और बच्चे को इस काबिल बना दिया कि आज वर्तमान समय में कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.

जगदीश ने कहा, ‘जब बचपन में ही पिता व भाई का साथ छूट गया तो मेरी मां ने मुझे मजदूरी और खेती करके पढ़ाया. उन्होंने मुझे किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करने दिया. मेरी पूरी पढ़ाई सरकारी विद्यालयों में हुई है. कक्षा 8 तक गांव की सरकारी विद्यालय में हुई. 10वीं की पढ़ाई गांव से 8 किलोमीटर दूर फरड़ोद में हुई है. वही कक्षा 12वीं की पढ़ाई नागौर में सरकारी विद्यालय सेट किशनलाल कांकरिया में हुई . कॉलेज की पढ़ाई नागौर की बी. आर. मिर्धा महाविद्यालय में वर्ष 2005 में BSC की है. इसी महाविद्यालय सें रसायन शास्त्र में 2007 में M. Sc और वर्ष 2008 में BED, 3 बार नेट JRF और 2 बार SET परीक्षा भी उतीर्ण की.

पढ़ाई करने के लिए खुद ने की मेहनत
जगदीश ने आगे कहा,  ‘मैंने स्वयं की पढ़ाई करने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया वहीं कई प्राइवेट विद्यालयों में जाकर पढ़ाना जैसे कार्य किए. ताकि मैं खुद का खर्चा उठा सकूं. इस दौरान मैनें 20 प्रतियोगी परीक्षा दी, जिसमें कई असफलता तो कई में सफलता मिली है. लेकिन मेरे मन में अर्जुन ने जिस प्रकार मछली के आंख का निशाना साधा उसी प्रकार मुझे कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का था. वहीं 2012 में द्वितीय श्रेणी के शिक्षक भर्ती में शिक्षक के पद पर चयन हो गया. 2012 में केन्द्रीय विद्यालय में स्कूल व्याख्यता के पद पर चयन हो गया लेकिन वह ज्वॉइन नहीं किया’.

रंग लाई मेहनत
2012 में ही राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित स्कूल व्याख्याता परीक्षा में रसायन शास्त्र विषय मे चयन हो गया. बिना कोई अवकाश लिए विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे साथ मे तैयारी करते रहे. वर्ष 2014 में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती निकली और 2017 में एग्जाम हुए. वहीं 2018 में पोस्टिंग हुई.

मां ने लड़ना सिखाया
सबसे पहले भोपालगढ़ और बाद में जायल व सितम्बर 2021 से नागौर के श्री बलदेवराम मिर्धा राजकीय महाविद्यालय से पढ़ाई की वहीं पर रसायन शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.
जगदीश का कहना है कि हर मुश्किल व परिस्थिति में मेरी मां ने मेरी मदद की और मुझे हर परिस्थिति से लड़ना सिखाया.

Tags: Jobs, Local18, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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