telangana elections BJP doubled its vote percentage by winning eight seats । तेलंगाना चुनाव में हारकर भी कैसे ‘बाजीगर’ बन गई बीजेपी? इन आंकड़ों में छिपी ‘माइक्रो जीत’

एक रोड शो के दौरान तेलंगाना भाजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी और सांसद के. लक्ष्मण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीआरएस सत्ता से बाहर हो गई और कांग्रेस को बहुमत मिल गया। इस चुनाव में दूर खड़े होकर देखेंगे तो लगेगा कि तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी ने बहुत खराब प्रदर्शन किया, लेकिन जब चुनावों के आंकड़ों को बारीकी से देखेंगे तो समझ आएगा कि दक्षिण के इस राज्य में बीजेपी भले ही विजयी ना हुई हो, लेकिन माइक्रो जीत भी जरूर हासिल की है। बीजेपी ने तेलंगाना में 8 सीटों पर जीत हासिल की है और कांग्रेस ने 64 सीटों पर झंडा फहराया है।
1 से 8 सीट पर हुआ कब्जा, वोट प्रतिशत भी दोगुना
जब आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो दिखेगा कि साल 2018 के चुनाव में BJP ने सिर्फ 1 सीट जीती थी और इस चुनाव में भगवा पार्टी ने 8 सीट पर कमल खिलाया है। भारतीय जनता पार्टी की राज्य विधानसभा चुनाव में सीट की संख्या अब 8 हो गई है, लिहाजा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस दक्षिणी राज्य में बीजेपी की सीटों की संख्या में ये इजाफा एक सूक्ष्म विजय कही जा सकती है। इसके साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपना वोट प्रतिशत भी लगभग दोगुना कर लिया है। भाजपा का मत प्रतिशत 2018 में 7 प्रतिशत था, जो इस विधानसभा चुनाव में बढ़कर 13.88 प्रतिशत हो गया है।
बीजेपी के रेड्डी ने सीएम केसीआर को हराया
इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी ने इससे पहले हुए दो उपचुनाव जीते थे, जिससे निवर्तमान विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या तीन हो गई थी। भाजपा नेता के.वेंकट रमण रेड्डी ने कामारेड्डी में मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के.चंद्रशेखर राव और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) प्रमुख रेवंत रेड्डी को हराकर एक बड़ा उलटफेर किया। रेड्डी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के.चंद्रशेखर राव को 6,741 वोटों के अंतर से हराया। हालांकि, दूसरी तरफ भाजपा के सभी तीन सांसद चुनाव हार गए हैं।
BJP के टी राजा लगातार तीसरी बार जीते
विवादों में रहे विधायक टी.राजा सिंह हैदराबाद से एकमात्र भाजपा उम्मीदवार हैं, जिन्होंने 2018 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और इस बार भी उन्होंने अपनी यह उपलब्धि दोहराई है। उन्होंने लगातार तीसरी बार अपनी गोशामहल सीट बरकरार रखी। भाजपा के मुखर सांसद और पूर्व राज्य प्रमुख बी.संजय कुमार अपने बीआरएस प्रतिद्वंद्वी गंगुला कमलाकर रेड्डी से 3,163 वोटों से हार गए। निजामाबाद के सांसद डी.अरविंद अपने बीआरएस प्रतिद्वंद्वी के.संजय से 10 हजार से अधिक मतों से हार गए। वहीं सोयम बापुराव भी बीआरएस उम्मीदवार अनिल जादव से हार गए।
कर्नाटक की हार से बदले तेलंगाना में समीकरण
भाजपा ने तेलंगाना की सत्ता में आने पर पिछली जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, जो लगता है कि मतदाताओं को रास नहीं आया। पहले भाजपा को बीआरएस के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन इस साल मई में कर्नाटक चुनावों में भाजपा की हार और कांग्रेस के मजबूत होने के बाद यह धारणा बदल गई थी।
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