अजब गजब

कहानी चांद बिहारी की! कभी फुटपाथ पर बेचते थे पकौड़े, 12-14 घंटे करते थे काम, आज चलाते हैं करोड़ों का कारोबार

हाइलाइट्स

चांद बिहारी को दुकान पर रोजाना 12-14 घंटे काम करना पड़ता था.
माली हालत बहुत खराब होने से रोज का खर्च चलाना भी मुश्किल था.
ऐसे में हम दो भाइयों ने मां के साथ मिलकर पकौड़े बेचना शुरू किया.

Success story of chand bihari agrawal: चांद बिहारी अग्रवाल की कहानी, बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों की स्क्रिप्ट से काफी मिलती जुलती है. कभी जयपुर के फुटपाथ पर पकौड़े बेचने वाले चांद बिहारी, आज पटना के ज्वैलरी कारोबार में जाना माना नाम हैं. उनके ज्वैलरी शोरूम का सालाना कारोबार 20 करोड़ से ज्यादा है. हालांकि, उन्होंने तमाम मुश्किलें भी झेलीं. उनका बचपन तंगहाली में बिता, पांच भाई बहनों के साथ वह जयपुर में पले बढ़े. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खस्ताहाल रही कि वह स्कूल तक नहीं जा पाए.

जयपुर में पैदा हुए चांद बिहारी का बचपन मुसीबतों से भरा गुजरा. पिता की जुआ खेलने की आदत ने घर की माली हालत इतनी खराब कर दी कि चांद स्कूल तक नहीं जा पाए. जब वह केवल 10 साल के थे, तो परिवार चलाने के लिए अपनी मां और भाई के साथ जयपुर में फुटपाथ पर पकौड़े बेचा करते थे. तो कभी साड़ी की दुकान पर सेल्समैन का काम किया. इस काम में उन्हें महज 300 रुपये वेतन के तौर पर मिलते थे.

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12 से 14 घंटे किया काम
उन दिनों दुकान पर रोजाना उन्हें 12-14 घंटे काम करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि पिताजी की सट्टा खेलने की आदत के कारण हमारी माली हालत बहुत खराब हो चुकी थी, रोज का खर्च चलाना मुश्किल था. ऐसे में हम दो भाइयों ने मां के साथ मिलकर पकौड़े बेचना शुरू किया. उम्र बढ़ने के साथ उन्होंने कुछ नया करने की ठानी. हालांकि, उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, लेकिन कुछ कर गुजरने का हौसला जरूर था.

राजस्थानी साड़ी के बिजनेस से हुई अच्छी कमाई
उन्होंने पटना में राजस्थानी साड़ी का कारोबार करने का फैसला किया. उनका यह बिजनेस चल निकला. उन्होंने पटना में एक दुकान किराए पर ली. कुछ सालों में उनकी महीने की बिक्री हजार में हो गई. लेकिन, उनका संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ था. कारोबार ढर्रे पर आया ही था कि 1977 में उनकी दुकान में चोरी हो गई और मेहनत की कमाई से खड़ा किया, उनका पूरा कारोबार धराशायी हो गया.

गोल्ड के बिजनेस से सोने की तरह चमक गई किस्मत
इतना होने के बाद भी उन्होंने हौसला बनाए रखा. भाई की मदद से उन्होंने ज्वैलरी बिजनेस में हाथ आजमाया. उन्होंने 5,000 रुपये से जेम्स एंड ज्वैलरी की दुकान खोली. यह बिजनेस भी चल निकला. इसके बाद चांद बिहारी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस धंधे की बदौलत उन्होंने गोल्ड का बिजनेस शुरू किया. अपनी क्वॉलिटी और भरोसे के दम पर उन्होंने अपना कारोबार जमा लिया. उनकी एक छोटी सी दुकान आज एक बड़ी कंपनी बन गई है.

Tags: Gold jewelery merchant, Jewellery companies, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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