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Bhopal Open Shopping Mall Opens Every Sunday Of Ramadan – Amar Ujala Hindi News Live


भोपाल का ओपन शॉपिंग मॉल।
– फोटो : अमर उजाला

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हाट बाजार और साप्ताहिक खोमचे या ठेले लगने का दौर बहुत पीछे छूट गया। अब जरूरत की तमाम चीजें खुद में समेटे बैठे शॉपिंग मॉल का जमाना है। संभवतः भोपाल ऐसा इकलौता शहर कहा जा सकता है, जहां रमजान माह में एक वृहद शॉपिंग मॉल आकार लेता है। ये किसी हॉल, बड़ी अट्टालिका या बड़े मैदान में नहीं होता, बल्कि शहर के स्थाई बाजारों के साथ ही सजता है। पूरे माह में हर इतवार को सजने वाले इस ओपन शॉपिंग मॉल का आकार कई किलोमीटर लंबा और चौड़ा कहा जा सकता है। रस्ते का माल सस्ते में, मुफ्त के दाम मिलता सामान, एक पर दो फ्री जैसे कई लुभावने ऑफर्स शहरवासियों को इस “संडे बाजार” की तरफ खींच ले आते हैं।

रमजान माह में वैसे तो बाजारों के साप्ताहिक अवकाश पर तालाबंदी हो ही जाती है। हफ्ते के सातों दिन बाजार खुले दिखाई देते ही हैं। निर्धारित समय से ज्यादा वक्त तक यहां खरीद फरोख्त होती ही है। इसके साथ ही हर रविवार को एक वृहद संडे बाजार आकार लेता है। घरेलू सजावट के समान से लेकर ड्रेस मैटेरियल तक, रेडीमेड गारमेण्ट से लेकर चूड़ी, चप्पल, सौंदर्य प्रसाधन तक, किचन की क्रॉकरी से लेकर दरी, चादर, बर्तन तक इस बाजार में दिखाई देता है। खासियत यह होती है कि ब्रांडेड और उच्च गुणवत्ता का यह सामान भी यहां बेहद रीजनेवल प्राइस पर उपलब्ध होता है। ऑफर्स का अंबार लगा ये बाजार इतवार को अल सुबह ग्राहकों की मौजूदगी से सजने लगता है तो देर रात तक यहां कदम रखने की जगह मुहाल दिखाई देता है। रमजान और ईद की तैयारियों में मशगूल लोगों के लिए ये बाजार बहुत सहायक भी होता है और फायदे का सौदा भी।

यहां से वहां तक ऑफर्स की पुकार

आमतौर पर रमजान के संडे मार्केट का दायरा पुराने शहर के स्थाई और व्यस्त बाजारों के आसपास ही होता है। इतवारी छुट्टी मना रही दुकानों के बंद शटर के सामने बाजार के बीच के रास्तों पर इनका अड्डा जमता है। पीर गेट से शुरू होकर चौक बाजार तक यह बाजार पहुंचता है। नदीम रोड से चलकर लखेरापुरा को समेटता हुआ भी यह बाजार आगे बढ़ता है। दूसरी तरफ जुमेराती,  आजाद मार्केट, लोहा मंडी से लहराता हुआ ये रविवारीय बाजार चौक बाजार से आ मिलता है। एक सीधा रास्ता बुधवारा, इब्राहिमपुरा से मोती मस्जिद तक पहुंच कर इतवार बाजार की शक्ल ले लेता है। पूरे हफ्ते चलने वाले ऑफर्स में रियायत का तड़का भी ग्राहकों को आकर्षित करता है।

जो पहुंचा एक बार, वह गया बार बार

बरसों से रमजान के संडे बाजार का हिस्सा बनने वाली हुमेरा खान कहती हैं कि इस बाजार में जाना अब जरूरत का सामान खरीदने से ज्यादा यहां के माहौल को एंजॉय करना है। वे कहती हैं कि यहां लगने वाले ऑफर्स के अंबार अलग तरह का आनंद देते हैं। महिलाओं की सबसे बड़ी खुशी, किसी सामान के रेट में कटौती करवा लेना होता है। लेकिन, इस बाजार की तसल्ली यही होती है कि यहां मनचाहे से भी कम दाम पर मनमाफिक चीजें उपलब्ध होती हैं।

भोपाल में जिंदा है इतवारी बाजारों की परंपरा

राजधानी होने के लिहाज से महानगर होने का दर्जा रखने वाले भोपाल में अब भी साप्ताहिक बाजार लगने का रिवाज जारी है। छोटे गांव या दूर दराज के इलाकों में लगने वाले इन बाजारों में सब्जी, फ्रूट्स, मसाले, किराना सामान, मिठाइयों से लेकर कपड़े, जूते, चप्पल और जरूरत की हर चीज उपलब्ध होती है। भेल, नेहरू नगर और जहांगीराबाद का बाजार अलग अलग दिनों में आकार लेते हैं। इसी तरह रविवार को बैरसिया रोड सिंधी कॉलोनी का बाजार अपने विशाल रूप की वजह से पहचाना जाता है। ये मार्केट कुछ सालों में अब इतना विस्तारित हो चुका है कि इसका दायरा बढ़ता हुआ पूरे हमीदिया रोड को कवर करते हुए अल्पना तिराहे तक पहुंच गया है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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