नियमों को ताक में रखकर फॉर्चून ग्रेनाइट कपंनी कर रही खनन

करीब 330 फीट नीचे गहराई में खनन करने से क्षेत्र के जल स्तर पर भी पड़ रहा प्रभाव
लवकुशनगर। छतरपुर जिले के लवकुशनगर जनपद अन्र्तगत ग्राम पंचायत कटहरा में फॉर्चून ग्रेनाइट कपंनी द्वारा कटहरा में वर्षो से खनन किया जा रहा है। कंपनी द्वारा किये जा रहे खनन में खनिज अधिनियम को ताक पर रख कर कार्य निरंतर चल रहा है। खनन अब तक करीब 330 फिट नीचे गहराई में किया जा रहा है जो खनिज नियम के विपरीत है।खनिज अधिनियम मध्य प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, खनन सुरक्षा अधिनियम के नियमों को ग्रेनाइट उत्खनन कंपनी जो खनिज एवं एमपी पीसीबी के नियमों के विरुद्ध चल रही है। जिले के खनिज अधिकारी, माइनिंग इंस्पेक्टर, मानचित्रकार सब सोए हुए हैं। फॉर्चून ग्रेनाइट कंपनी कटहरा में चल रहे खनन में लगभग 330 फिट नीचे खनन किया जा रहा है जो खनिज अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन है, लेकिन कंपनी सांठगांठ करके नियमों को ताक पर रखकर खनन करने में लगी हुई है।कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को काम करने पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही मिलते हैं जिसके कारण पूर्व में दुर्घटनाएं भी घट चुकी हंै, पूर्व में लेवर और ड्राईवर अपनी जान गवां चुके हंै। कंपनी में नीचे गहराई में काम करते समय कर्मचारियों के पास सुरक्षा के उपकरण बेल्ट, बड़े जूते बगैर पहने कार्य करते हंै। बगैर सुरक्षा उपकरण काम करने पर दुर्घटनाओं की संभावनायें बनी रहती हंै।कपंनी द्वारा कटहरा में करीब 330 फीट नीचे गहराई में खनन करने से क्षेत्र के जल स्तर पर भी प्रभाव पड़ रहा है। क्षेत्र के अधिकांश कुएं, तालाब सूखे पड़े हुये हंै। चूकि कंपनी द्वारा गहराई में करीब 330 फिट नीचे खनन कर पत्थर निकालने का कार्य किया जा रहा है। क्षेत्रीय लोगों को अब चिंता सता रही है कि यदि और गहराई तक खनन किया जायेगा तो क्षेत्र में पानी का अकाल भी पड़ सकता है। कपंनी के द्वारा हजारों पेड़ों को काट कर खनन किया जा रहा है। कपंनी के द्वारा ट्री प्लानटेंशन के नाम पर महज खाना पूर्ति की जाती है। प्लानटेंशन करने के स्थान पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाकर औपचारिकता की जाती है और अन्य जगहों पर प्लानटेंशन के नाम पर कुछ पेड़ पौधे लगाकर सिर्फ दिखावा किया जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है इससे पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है। कटहरा कंपनी खनन करने में पर्यावरण को लेकर गंभीर नही है। पत्थर में जैक चलने से एवं बड़़े बड़े डम्फरों के चलने से उडऩे वाली धूल के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। वहीं क्षेत्र के आस पास की कृषि भूमि में धूल जाने के कारण जमीन बंजर हो रही है एवं कृषि भूमि की उर्वरक क्षमता नष्ट होती जा रही है। कपंनी के द्वारा जल का छिडक़ाव निंरतर न करने के कारण डस्ट धूल के कारण पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ ही गांव के लोगों में बीमारी फैलने की भी आंशका बनी रहती है।