New Sand Policy implemented: जिले की 46 रेत खदानों का ठेका समाप्त होने से पहले ऑक्शन की प्रक्रिया अंतिम दौर में

छतरपुर. जिले में 30 जून को 46 रेत खदानों का ठेका समाप्त होने से पहले ही नीलामी के लिए कार्रवाई प्रारंभ हो गई है। नई नीति में रेत की कीमत नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं। इसमें प्रविधान किया है कि ठेकेदार रेत की कीमत नहीं बढ़ाएंगे। वहीं उन्हें ठेके की आधी राशि अग्रिम जमा करनी होगी। अब तक उन्हें 25 प्रतिशत राशि जमा करनी पड़ती थी। बता दें कि वर्षाकाल के बाद प्रदेश में नई रेत नीति के अनुसार खदानें नीलाम की जाएंगी। लेकिन वर्तमान ठेकेदार को इसका लाभ नहीं मिलेगा यानि वर्तमान ठेका एक्सटेंड नहीं होगा। रेत ठेकेदारों को भविष्य में न्यू पॉलिसी का लाभ मिलेगा। तीन साल तक लगातार कार्य करने वाले ठेकेदार को 10 फीसदी राशि जमा करने पर खदानों का एक्सटेंशन होगा।
जिले में रेत का नया ठेका होने के बाद एमडीओ (डेवलपर कम ऑपरेटर) खदानों के उत्खनन की निगरानी करेगा। खदानों में रेत की उपलब्धता समेत उत्खनन की मॉनिटरिंग के लिए एमडीओ बनाया गया। यह माइनिंग कार्पोरेशन से मिलकर काम करेगा। जिले में रेत खदानों के भंडारण की अनुज्ञप्ति भी ठेका खत्म होने से एक माह तक के लिए वैध रहेगी। ठेकेदार के द्वारा भंडारण की अनुज्ञप्ति की मियाद खत्म होने के बाद उन्हें उठाव के लिए सिर्फ एक माह की मोहलत जारी की जाएगी। इसके बाद ईटीपी बंद हो जाएगी।
नई रेत नीति में तहसील स्तर पर समूह बनाकर खदानें नीलाम करने का प्रविधान किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि ज्यादा ठेकेदार खदानें ले सकेंगे, किसी एक पर बोझ नहीं पड़ेगा, तो राजस्व भी बढ़ेगा। इससे खदानें पूरी अवधि चल सकेंगी। नई नीति में तीन साल के लिए खदानें नीलाम करने का प्रविधान है। सरकार इस अवधि को दो साल बढ़ा भी सकेगी।
खनिज संसाधन विभाग के डायरेक्टर के निर्देश पर माइनिंग ने 16 खदानों की पर्यावरण क्लीयरेंस भी पोर्टल में अपलोड कर दी है। जानकारी के अनुसार खनिज विभाग ने कलेक्टर संदीप जीआर के अनुमोदन के कराने के बाद माइनिंग प्लान को भोपाल भेज दिया है। इसके चलते जिले की रेत खदानों के ऑक्शन की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच गई है।
विभाग लेगा अनुमति
इन खदानों को शुरू करने के लिए पर्यावरण और उत्खनन की अनुमति जरूरी है। यह काम अब ठेकेदार नहीं करेंगे, क्योंकि कई ठेकेदार ठेके की अवधि समाप्त होने तक अनुमति नहीं ले पाते हैं। इस बार से यह अनुमति खनिज विभाग लेगा। ठेकेदार को सभी अनुमतियों के साथ खदानें सौंपी जाएंगी। यदि ठेका दिया जा चुका है और अनुमति लेने में देरी होती है तो जितनी देरी होगी, उतना अतिरिक्त समय ठेकेदार को दिया जाएगा।