अजब गजब

हल्दीराम की ‘चटपटी’ कहानी, ‘बीखी बाई’ से सीखा भुजिया बनाना, फिर खड़ा किया 7000 करोड़ का बिजनेस एंपायर

नई दिल्ली. कहते है ना मेहनत और लगन कभी बेकार नहीं जाती. अगर आपने दिल से मेहनत की है तो सफलता आपके कदम जरूर चुमेगी. कुछ ऐसा ही गंगा बिशनजी जी अग्रवाल के साथ हुआ है. एक छोटी सी दुकान से शुरू हुई कंपनी अब 7000 करोड़ रुपये का बिजनेस एंपायर बन चुकी है. हल्दीराम की कमाई HUL, नेस्ले, डॉमिनोज और मैकॉनल्ड की कुल कमाई के बराबर हो गई है. आइए जानते हैं कि कैसे भुजियावाले के नाम से मशहूर दुकान करोड़ों रुपये का हल्दीराम ब्रैंड बन गई.

शुरुआत बीकानेर के एक बनिया परिवार से होती है. नाम तनसुखदास, जिनकी मामूली सी आमदनी से किसी तरह परिवार का गुजारा हो रहा था. आज़ादी के करीब 50-60 साल पहले वो अपने परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. तनसुखदास ने अपने बेटे चांदमल के नाम पर एक दुकान खोली.

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बीखी बाई से सीखा भुजिया बनाना
उन दिनों बीकानेर में भुजिया नमकीन का स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहा था. उन्होंने भी भुजिया नमकीन बेचनी चाही. भीखाराम ने भुजिया बनाने की कला अपनी बहन ‘बीखी बाई’ से सीखी. उनकी बहन ने अपने ससुराल से भुजिया बनाना सीखा था. भीखाराम ने भी भुजिया बनाकर अपनी दुकान में बेचना शुरू कर दिया. लेकिन उनकी भुजिया बाज़ार में बिकने वाली भुजिया की तरह साधारण थी. बस किसी तरह उनकी रोजी-रोटी चल रही थी.

1908 में हुआ गंगा बिशन अग्रवाल का जन्म
फिर सन् 1908 में भीखाराम के घर उनके पोते गंगा बिशन अग्रवाल का जन्म हुआ. उनकी माता उन्हें प्यार से हल्दीराम कह कर पुकारती थीं. बचपन से ही हल्दीराम ने घर में नमकीन बनते देखी. छोटी सी उम्र में ही वे घर व दुकान के कामों में हाथ बटाने लगे. हल्दीराम ने अपने दादा की भुजिया वाली दुकान पर बैठना शुरू कर दिया.

हमेशा थी कुछ अलग करने की चाह
हल्दीराम ने बीकानेर में साल 1937 में एक छोटी सी नाश्ते की दुकान खोली. जहां बाद में उन्होंने भुजिया बेचना भी शुरू कर दी. वह इसके जरिए मार्केट में अपना नाम जमाना चाहते थे. कहा जाता है कि हल्दीराम हमेशा अपनी भुजिया का स्वाद बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ बदलाव या एक्सपेरिमेंट करते रहते थे. कुछ अलग करने की चाह में हल्दीराम ने एक दम पतली भुजिया बनाई. ये बहुत ही चटपटी और क्रिस्पी थी. इस तरह की भुजिया अब तक मार्केट में नहीं आई थी. लोगों को इस भुजिया का स्वाद काफी पसंद आया.

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सन 1941 में गंगाबिशनजी जी अग्रवाल (हल्दीराम) बीकानेर और आस पास के इलाकों में फेमस होने लगे थे. उन्हें कोलकाता और कई जगह से बड़े ऑर्डर मिलने लगे. धीरे धीरे कारोबार तेजी पकड़ने लगा. उनके बाद उनकी अगली पीढ़ी ने कारोबार को संभालना शुरू किया. हल्दीराम, नागपुर के चेयरमैन, एमडी शिवकिशन अग्रवाल बताते हैं कि दादा जी के कारोबार के शुरू किए कारोबार को रफ्तार देने के लिए उन्होंने 1970 में पहला स्टोर नागपुर में और सन 1982 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दूसरा स्टोर खोला. इसके बाद कोलकाता में कारोबार का विस्तार शुरू हो गया.

दुनिया भर में फैला है कारोबार
आगे कंपनी के कारोबार देश के तीन हिस्सों में बांट दिया गया. ताकि कंपनी अधिक से अधिक ग्राहकों तक आसानी से पहुंच सके. दक्षिण और पूर्वी भारत का व्यापार कोलकाता स्थित ‘हल्दीराम भुजियावाला’ के पास है. वहीं पश्चिमी भारत का व्यापार नागपुर में ‘हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल’ के पास है. वहीं उत्तरी भारत का व्यापार दिल्ली में ‘हल्दीराम स्नैक्स एंड एथनिक फूड्स’ के पास है. भारतीय कंपनी हल्दीराम के फूड प्रोडक्ट्स दुनिया के 50 से अधिक देशों में सप्लाई होते हैं. कई विदेशी सुपर मार्केट में भी इसके प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं. वहीं साल 2019 में हल्दीराम का सालाना रेवेन्यू 7,130 करोड़ रुपये था.

Tags: Bikaner news, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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