अजब गजब

समझदार लोग छुट्टी के बदले नहीं मांगते पैसा! पर सबको समझ में नहीं आती ये बात, यूं मिलता है फायदा

हाइलाइट्स

नौकरी करते हुए छुट्टी के बदले पैसे लेना है घाटे का सौदा.
कंपनी में सैलरी बढ़ने के साथ छुट्टी की कीमत भी बढ़ती है.
काम करते हुए छुट्टी के बदले मिले पैसे पर कटता है टैक्स.

नई दिल्ली. क्या आपकी कंपनी ने कभी आपको लीव एनकैशमेंट यानी छुट्टी के बदले पैसे देने (Leave Encashment) का ऑफर किया है? अगर आपकी बेसिक सैलरी 30 हजार भी है तो इसका मतलब एक दिन के हजार रुपये, 15 छुट्टियों के 15 हजार रुपये. सुनने में सही ऑफर लगता है न? पर इसमें एक कैच है. अगर आप काम करते हुए अपनी छुट्टियों के बदले पैसे लेते हैं तो जितना पैसा आपको मिलेगा वो पूरा टैक्स के दायरे में आता है. वहीं, अगर नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद फाइनल सेटलमेंट को तौर पर अगर आपको छुट्टियों के बदले पैसे मिलते हैं तो 25 लाख तक का अमाउंट टैक्स फ्री होगा. पहले प्राइवेट कर्मचारियों के लिए ये लिमिट 3 लाख तक थी, सरकार ने अब इसे बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है. सरकारी कर्मचारियों के लिए ये लिमिट पहले ही 25 लाख की थी.

पर नौकरी में रहते हुए लीव एनकैशमेंट लेने का नुकसान केवल टैक्स का नहीं है, बल्कि इसका एक नुकसान और भी है. तो अब अगर आपकी कंपनी आपको छुट्टी के बदले पैसे ऑफर करती है तो ऑफर लेने से पहले आप थोड़ी रिसर्च करके अपना बड़ा नुकसान होने से बचा सकते हैं.

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कौन सी छुट्टियां होती हैं एन्कैश?
कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों को अलग-अलग तरह की छुट्टियां देती हैं. कैजुअल या इमरजेंसी लीव्स होती हैं, साल खत्म होने के साथ लैप्स हो जाती हैं. वहीं, पेड या अर्न्ड लीव आपके छुट्टियों के बैलेंस में जुड़ती जाती हैं. ये छुट्टियां साल खत्म होने के बाद भी कैरी फॉरवर्ड होती हैं और यही छुट्टियां एन्कैश की जा सकती हैं. प्राइवेट कंपनियां इन छुट्टियों पर एक अपर कैप लगाकर रखती हैं. किसी कंपनी में 70 से ज्यादा छुट्टियां होने पर छुट्टियां लैप्स होने लगती हैं, तो किसी में ये लिमिट 45-50 तक ही होती है.

तो ये जरूरी है कि आप अपना लीव बैलेंस देखने के साथ-साथ अपनी कंपनी की लीव पॉलिसी भी जरूर चेक करें. अगर छुट्टियां अपर कैप के करीब हैं तो छुट्टी या छुट्टी के बदले पैसे ले लेना सही ऑप्शन है. या फिर अगर आपको पैसों की सख्त जरूरत है तब एन्कैशमेंट ले लें. याद रखें ये पैसा टैक्स के दायरे में आएगा. पर अगर आपके पास छुट्टियां जमा करने का स्कोप है तो उसे बचाकर रखे रहने दें.

नौकरी पर रहते हुए लीव एन्कैशमेंट लेने का और क्या नुकसान है?
किसी नौकरी पर रहते हुए अप्रैजल और इन्क्रीमेंट की उम्मीद भी बनी रहती है. हो सकता है कि इन्क्रीमेंट के बाद आपकी बेसिक सैलरी अभी से ज्यादा हो जाए. ऐसे में अभी लीव एनकैशमेंट लेना आपके लिए घाटे का सौदा हो सकता है. किसी भी कंपनी को छोड़ते वक्त आपकी जो सैलरी होगी वो उस कंपनी में आपकी बेस्ट सैलरी होगी और जमा हुई छुट्टियों के बदले उस सैलरी के हिसाब से पैसा मिलेगा. इसका मतलब ये कि आपकी छुट्टियों की कीमत बढ़ जाएगी.

तो अगर आपको पैसों की कोई जरूरत है या फिर लैप्स होने का रिस्क है तो ही आप किसी कंपनी में रहते हुए लीव एनकैशमेंट का ऑप्शन चुनें, नहीं तो बेस्ट ऑप्शन यही है कि आप छुट्टियां जमा होने दें. नौकरी छोड़ने पर आपको उसके बदले पैसे खुद ही मिल जाएंगे. बोनस ये कि उस पर आपको कोई टैक्स भी नहीं चुकाना होगा.

Tags: Business news in hindi, Income tax, Income tax latest news, Income tax law


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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