There was a time when anyone studied with a copy of 50 paise… Mohiuddin Hasan of Madhubani played an important role in the success of Aditya L-1 in ISRO

आर्या झा/ मधुबनी. मधुबनी के मोहिउद्दीन हसन की कहानी एक प्रेरणादायक मिसाल है, जो दर्शाती है कि कठिनाइयों के बावजूद मेहनत और दृढ़ता से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. मोहिउद्दीन का जीवन एक संघर्ष मय यात्रा थी, लेकिन उनकी कठिनाइयों ने उन्हें और मजबूत बनाया और उन्होंने वैज्ञानिक बनकर ही दम लिया. अपने संघर्ष और लगन से एक नया उदाहरण पेश करते हुए मोहिउद्दीन हसन ने 50 पैसे की कॉपी से पढ़ाई शुरू कर इसरो (ISRO) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनकी कहानी कठिनाइयों से भरी हुई है, लेकिन आज वे आदित्य L1 मिशन के सफल लॉन्च में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं.
मोहिउद्दीन हसन का बचपन आर्थिक तंगी से भरा हुआ था. वे 10 भाई-बहनों में से छठे थे और उनके पिता एक रजिस्ट्री ऑफिस में क्लर्क थे. परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा. हालांकि, मोहिउद्दीन ने 50 पैसे की कॉपी से पढ़ाई शुरू की और अपनी शिक्षा को लेकर अडिग रहे. प्रारंभिक शिक्षा के बाद मोहिउद्दीन ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने डीआरडीओ (DRDO) के एग्जाम में सफलता प्राप्त की, लेकिन आंख में एक तिल के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई. इस मुश्किल दौर के बावजूद, उन्होंने दिल्ली में एक प्राइवेट संस्था में काम किया और वहां से फिर इसरो में नौकरी पाने में सफलता प्राप्त की.
मेहनत का मिला फल
मोहिउद्दीन हसन ने 2017 में आदित्य L-1 से जुड़कर वाल्व ग्रुप (फ्यूल के फ्लो को स्टार्ट) का हिस्सा बने. उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें इस महत्वपूर्ण मिशन में एक अहम भूमिका निभाने की स्थिति में ला खड़ा किया. एक अच्छे वैज्ञानिक आदित्य L-1 की सफलता से न केवल मोहिउद्दीन का नाम रोशन हुआ है, बल्कि पूरे देश को गर्व है कि उनकी जैसी कड़ी मेहनत करने वाले लोग देश की ऊंचाइयों को छू रहे हैं. मोहिउद्दीन हसन की कहानी प्रेरणादायक है और यह दर्शाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, सच्ची लगन और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. यह सफलता न केवल उनके खुद के संघर्ष का परिणाम है, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का कारण भी है. उनकी कहानी यह साबित करती है कि सच्ची मेहनत और समर्पण से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है और बड़े सपनों को साकार किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 12:06 IST
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