UP Samajwadi Party distanced itself from Swami Prasad Maurya statement on Ramcharit Manas Hindu Mahasabha reached to register the case रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से सपा ने किया किना

रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से सपा ने किया किनारा
रामचरितमानस पर नेताओं के बयान रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। नेता लगातर एक से बढ़कर एक बयान दे रहे हैं, जिनमें से कुछ बयान मर्यादा की सीमाओं को लांघ रहे हैं। रामचरितमानस को लेकर कल रविवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्तिजनक बयान दिया था। अब इस बयान पर उनकी पार्टी ने ही किनारा कर लिया है। इसके साथ ही हिंदू महासभा ने हजरतगंज थाने में तहरीर दी है और स्वामी प्रसाद पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
स्वामी प्रसाद की राय पार्टी की नहीं – सपा
समाजवादी पार्टी ने कहा है कि रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की निजी राय है, पार्टी की इस बयान से कोई लेना देना नहीं है, ये पार्टी की राय नहीं है। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि तुलसीदास की रामायण पर सरकार को रोक लगा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस रामायण में दलितों और पिछड़ों का अपमान किया गया है। मौर्य ने कहा कि अगर सरकार इस ग्रंथ पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है तो उन श्लोकों, दोहों और चौपाइयों को हटाया जाना चाहिए, जिनसे दलित समाज का अपमान होता है।
‘स्त्रियों और शूद्रों को पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया’
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास द्वारा रचित रामायण में कई जगहों पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिससे दलित समाज की भावनाएं आहत होती हैं। उन्होंने कहा कि जब तुलसीदास ने रामायण लिखी तो उसमें कहा गया कि नारी और शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। स्त्रियों और शूद्रों को पढ़ने-लिखने का अधिकार अंग्रेजी हुकूमत ने दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे जिन लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं वो न हों।
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