प्रदेश में पहली बार सरकारी अस्पताल इस मशीन का उपयोग किया गया | This machine was used for the first time in a government hospital in the state.

भोपालएक घंटा पहले
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एम्स भोपाल में एक्मो मशीन (ईसीएमओ) के प्रयोग से पहले मरीज का सफलतापूर्वक उपचार किया गया। एम्स भोपाल, में एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) मशीन का उपयोग करके गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) से पीड़ित एक 32 वर्षीय महिला मरीज का जीवन सफलतापूर्वक बचाया गया । एम्स भोपाल इस क्षेत्र का पहला सरकारी अस्पताल है जिसके पास एक्मो (ईसीएमओ) मशीन है । ईसीएमओ एक जीवन रक्षक तकनीक है जो फेफड़ों और हृदय के कार्यों की नकल करती है। ईसीएमओ मशीन ओपन-हार्ट सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली हार्ट-लंग बाय-पास मशीन के समान है । यह रोगी के रक्त को शरीर के बाहर पंप और ऑक्सीजनित करता है, जिससे हृदय और फेफड़ों को आराम मिलता है ।
27 मार्च को हुई थी एडमिट
32 वर्षीय महिला मरीज 27 मार्च 2023 को खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर एम्स भोपाल आई थी । जहां उन्हें एडमिट किया गया। मरीज का ऑक्सीजन लेवल 42 प्रतिशत पर था। मरीज की जांच के बाद वहे फेफड़े की गंभीर बीमारी एआरडीएस से पीड़ित है। संभवत: वायरल बुखार के चलते मरीज के फेफड़े बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिससे वह शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में मरीज को तत्काल रेस्पिरेटरी इंटेंसिव केयर यूनिट (आरआईसीयू) में भर्ती किया गया। यहां मरीज की हालत को देखते हुए पहले वेंटीलेटर पर बाद में करीब दो सप्ताह एक्मो मशीन पर रखा गया। करीब 42 दिन आईसीयू में भर्ती रहने के बाद अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य है।

इस टीम ने किया काम
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों डॉ. अभिषेक गोयल, डॉ. अलकेश खुराना ने कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. योगेश निवारिया, डॉ किशन, डॉ सुरेंद्र, डॉ मौली किरण के सहयोग से ईसीएमओ मशीन द्वारा इलाज शुरू कर दिया। 48 दिनों तक आरआईसीयू में उपचार के बाद मरीज की हालत मे सुधार होता देख सभी सहायक नलियों को हटाया गया और अब मरीज बिल्कुल ठीक है।
निजी अस्पताल में ढाई लाख प्रतिदिन खर्च
एक्मो मशीन की कीमत करीब 60 लाख रुपए होती है, लेकिन इसका सचालन बेहद जटिल है। इसके साथ ही इसमें लगने वाले उपकरण बहूत महंगे होते हैं। यही कारण है कि इस मशीन का उपयोग बहुत महंगा होता है। निजी अस्पतालों में इस मशीन का खर्च 2 से 2.5 लाख रुपए प्रतिदिन तक हो सकता है। हालांकि एम्स भोपाल में मरीज का निशुल्क उपचार किया गया।
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