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सर गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने मरीज की भोजन नली से निकाला देश का सबसे बड़ा ट्यूमर, अपनाया नया तरीका

नई‍ दिल्‍ली. राजधानी स्थित सर गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने कमाल कर दिया है. गैस्‍ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्‍टरों ने भोजन नली में फंसे सबसे बड़े ट्यूमर को बाहर निकालकर मरीज की जान बचाई है. हाल ही में हाल ही में सर गंगा राम अस्पताल में लाए गए एक 30 वर्षीय पुरुष को निगलने में कठिनाई की वजह से अस्‍पताल लाया गया. जांच करने पर मरीज के 6.5 सेंटीमीटर के आकार के एक बड़े ट्यूमर को देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए. यह ट्यूमर जो भोजन नली में उभरा हुआ था.

सर गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टर प्रोफेसर अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैनक्रिएटिको-बिलियरी साइंसेज ने बताया, ‘हमने हाल ही में भोजन नली (एसोफेजियल लेयोमायोमा) से एक बड़ा सबम्यूकोसल ट्यूमर (आकार में 6.5 सेंटीमीटर) निकाला है. लुमेन यानि खाने की नाली का घेरा डिस्पैगिया यानि खाना अटकने का कारण बनता है. जहां तक हमें पता है यह भारत में एंडोस्कोपिक रूप से निकाले गए सबसे बड़े ट्यूमर में से एक था. इस प्रकार के बड़े ट्यूमर को पारंपरिक रूप से शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया जाता है, जिसके लिए लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है.’

वहीं डॉ. शिवम खरे, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने बताया, ‘इस एसटीईआर प्रक्रिया में, सबसे पहले हमने ट्यूमर के आधार पर खारा इंजेक्ट किया, जिससे हमें ट्यूमर को उठाने में मदद मिली और चारों और एक टनल (tunnel) बनाई गई. एक बार ट्यूमर अलग हो जाने के बाद, हम एसोफेजियल दीवार के पीछे सबम्यूकोसल टनल से एसोफेजियल लुमेन में ट्यूमर को एसोफैगस के लुमेन में निकालने के लिए तैयार थे. इसके बाद ट्यूमर को मरीज के मुंह से सफलतापूर्वक निकाल दिया गया और मरीज को दो दिनों के बाद छुट्टी दे दी गई.’

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प्रोफेसर अनिल अरोड़ा कहते हैं कि, ‘बड़े ट्यूमर को एंडोस्कोपिक तरीके से हटाना एक चुनौतीपूर्ण काम है. आम तौर पर विशेषज्ञ एंडोस्कोपिस्ट द्वारा 3 सेमी आकार तक के नियमित अंडाकार आकार के चिकने इसोफेजियल ट्यूमर को एंडोस्कोपिक रूप से हटाया जा सकता है, लेकिन हमारे मामले में ट्यूमर 6 सेमी से अधिक आकार में लोब्युलेटेड अनियमित नाशपाती के आकार का था. अनियमित आकार के कारण भोजन नली की सभी परतों से ट्यूमर को अलग करना मुश्किल हो जाता है,’

डॉ. शिवम खरे ने आगे कहा, ‘दूसरी चुनौती ट्यूमर के बड़े आकार की थी, क्योंकि न केवल इसे सबम्यूकोसल टनल से इसोफेजियल लुमेन में लाने में परेशानी हुई, बल्कि मुंह के माध्यम से गले के माध्यम से इसे अन्नप्रणाली से बाहर निकालने में भी दिक्‍कत आई. सौभाग्य से सहायक उपकरण और एंडोस्कोपिक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला ने बिना किसी जटिलता के प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में हमारी मदद की.’

प्रो. अरोड़ा ने कहा, ‘अत्याधुनिक सुविधा और नई उन्नत एंडोस्कोपिक तकनीकों की उपलब्धता के साथ, हम अकलेशिया कार्डिया के लिए पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी, एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन या सबम्यूकोसल डिसेक्शनजैसी कई एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं नियमित रूप से करते हैं. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के सौम्य और घातक घावों के एंडोस्कोपिक निदान और उपचार के एक नए युग की शुरुआत करने वाले सतही प्रारंभिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के लिए करते हैं.’

ये होगा आने वाले मरीजों को फायदा
उपचारात्मक एंडोस्कोपी के क्षेत्र में हाल के विकास ने लुमेन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की दीवार के भीतर पड़े विभिन्न ट्यूमर के लिए न्यूनतम इनवेसिव, चीरा रहित, गैर-सर्जिकल उपचार की एक नई दुनिया के दरवाजे खोल दिए हैं. उच्च तकनीकी एंडोस्कोपी उपकरण की उपलब्धता के साथ, आंतरिक गुहाओं और अन्नप्रणाली (भोजन नली), पेट और आंत की दीवारों के उच्च रिज़ॉल्यूशन वास्तविक समय दृश्य प्रदान करते हुए, अब, न केवल उनके विकास के प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाना संभव है, बल्कि उन्नत एंडोस्कोपिक मशीनों और उपकरणों का उपयोग करके निपुण एंडोस्कोपिक कौशलों द्वारा एक संभावित उपचारात्मक उपचार करने के लिए भी संभव है.

Tags: Gangaram Hospital, Health News


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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