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कंगाली की कगार पर है यह मुस्लिम देश, लेकिन सरकार बनवा रहीं शाही इमारतें, भव्य मस्जिदें

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कंगाली की कगार पर है यह मुस्लिम देश, लेकिन सरकार बनवा रहीं शाही इमारतें, भव्य मस्जिदें

 

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान तो कंगाली की कगार पर है ही। पाकिस्तान में लोग आटे और खाने पीने की चीजों के लिए जद्दोजहद में पड़े हुए हैं। महंगाई आसमान छू रही है, पाकिस्तानी रुपए डॉलर के मुकाबले सबसे बड़ी ऐतिहासिक गिरावट पर पहुंच गया है। लेकिन इन सबके बीच एक और ऐसा मुस्लिम देश है, ​जो कंगाली की कगार पर है। IMF भी इस देश की कंगाली दूर नहीं कर पाया है। यह देश IMF का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार है। लेकिन दूसरी तरफ इस देश की सरकार भव्य इमारतें, भव्य मस्जिदें और नई प्रशासनिक राजधानी जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर अनाप शनाप खर्च कर रही हैं। जबकि​ इस देश के लोगों ने तो नॉनवेज तक खाना कम कर दिया है, क्योंकि कीमत आसमान पर पहुंच गई है, जानिए यह कौनसा देश है।

यह मुस्लिम देश है मिस्र, जो कि इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस देश का पाउंड डॉलर के मुकाबले एक साल में आधा हो गया है। मद्रास्फीति 33 फीसदी बढ़ गई है। हालिया सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मिस्र की गरीबी दर 30 फीसदी के करीब है, हालांकि सही आंकड़ा इससे ज्यादा होने की उम्मीद है।

आईएमएफ का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार

मिस्र अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार बना हुआ है। मिस्र आईएमएफ का लगभग 13.5 अरब डॉलर का कर्जदार है। आईएमएफ ने पहले कड़ी शर्तें लगाने को कहा था, लेकिन इसके बावजूद वह परिणाम नहीं मिले, जिसका वादा किया गया था। हाल ही में जो पैकेज दिया गया उसके लिए भी सख्त शर्तें लगाई गई थीं, जिसमें मिस्र की विशाल और अपारदर्शी सैन्य अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंध शामिल हैं। 

देश गरीबी से जूझ रहा, सरकार कर रही राजधानी काहिरा का कायाकल्प

मुस्लिम देश मिस्र भले ही गरीबी से जूझ रहा है, लेकिन इस देश की सरकार राजधानी काहिरा का कायाकल्प करने में बेहिसाब धनराशि खर्च कर रही है। सरकार का दावा है कि यहां अफ्रीका की सबसे ऊंची इमारत और एक भव्य मस्जिद होगी। अमेरिका स्थित थिंकटैंक तहरीर इंस्टीट्यूट फॉर मिडिल ईस्ट पॉलिसी मी मानें तो ‘2019 में वर्ल्ड बैंक का अनुमान था कि मिस्र के 60 फीसदी लोग गरीबी रेखा के पास या उससे नीचे रहते हैं। तब एक बड़ी आबादी रेखा से ऊपर थी, लेकिन अब वह नीचे आ चुकी है। महंगाई और बढ़ी तो और भी लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंचेंगे।’

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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