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क्या है सेपरेशन मैरिज, जिसका जापान में बढ़ा ट्रेंड, क्‍या आम शादी से ज्‍यादा खुश रहते हैं मियां-बीबी?

Separation Marriage: भारत में अगर किसी व्‍यक्ति से शादी के मायने पूछे जाएं तो वो कहेगा कि दो लोगों का साथ में जिंदगी बिताना है. दोनों को ताउम्र एकदूसरे के साथ एक छत के नीचे बितानी है. एकदूसरे का आखिरी सांस तक ख्‍याल रखना है. एकदूसरे के प्रति वफादार रहना और प्रेम करना शादी है. भारत में करीब 90 फीसदी लोग इसी तरह के जवाब देंगे. लेकिन, अलग-अलग देशों में शादी के मायने अलग होते हैं. ज्‍यादातर देशों में शादी के मायने उसकी संस्‍कृति, सामाजिक व्‍यवस्‍था, चलन और परंपराओं के आधार पर बदल जाते हैं. एशियाई देश जापान में आजकल शादी को लेकर नया ट्रेंड ‘सेपरेशन मैरिज’ चल रहा है. जानते हैं कि सेपरेशन मैरिज क्‍या है, जिसे जापान में शादीशुदा जोड़े बहुत पसंद कर रहे हैं?

दुनियाभर में पारिवारिक व्‍यवस्‍थाओं में समय के साथ काफी बदलाव आता जा रहा है. इसी क्रम में जापान में शादी के नए ट्रेंड सेपरेशन मैरिज को मियां-बीबी के लिए खुशियों का खजाना माना जा रहा है. सेपरेशन मैरिज को जापान में कुछ लोग ‘वीकेंड मैरिज’ भी कहते हैं. इसमें शादी के बाद भी पति पत्‍नी की सिंगल वाली फीलिंग बरकरार रहती है. जापान के लोगों का मानना है कि सेपरेशन मैरिज में शादीशुदा जोड़े एकदूसरे की भावनाओं और सम्‍मान का सबसे ज्‍यादा ख्‍याल रखते हैं. यही नहीं, इस शादी में पति-पत्‍नी का एकदूसरे पर भरोसा भी सामान्‍य शादी से ज्‍यादा होता है.

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क्‍या है सेपरेशन मैरिज या वीकेंड मैरिज?
जापान में बढ़ रहीं सेपरेशन मैरिज या वीकेंड मैरिज के तहत शादीशुदा जोड़े एक ही घर में रहते हुए भी एक कमरे में नहीं सोते हैं. कुछ जोड़े सेपरेशन मैरिज के बाद अपने अलग-अलग घरों में भी रहते हैं. वहीं, कुछ लोग एक शहर या एक सोसायटी या एक ही टाउनशिप में रहने के बाद भी रोज मिलते तक नहीं हैं. भारतीयों या कुछ दूसरे एशियाई देशों के लोगों को ये चलन काफी अजीब लग सकता है, लेकिन जापान में ऐसी शादियां जोर पकड़ रही हैं. ऐसा भी नहीं है कि जापान में सेपरेशन मैरिज करने वाले जोड़ों में भावनात्‍मक लगाव नहीं होता है. ऐसे जोड़ों में आम शादी करने वाले पति-पत्‍नी की ही तरह पूरा भावनात्‍मक जुड़ाव होता है.

सेरपेशन मैरिज में पति पत्‍नी अलग घरों में रहते हैं और सप्‍ताह में एक या दो बार मिलते हैं.

सेपरेशन मैरिज के क्‍या बता रहे फायदे?
वीकेंड या सेपरेशन शादी करने वाले कुछ जापानी लोगों का कहना है कि वह अपनी पत्‍नी या पति से हफ्ते में एक या दो बार ही मिलते हैं. इससे उन्‍हें शादी के बाद भी आजादी का अहसास रहता है. उनका कहना है कि सेपरेशन मैरिज में पति-पत्‍नी का एकदूसरे पर भरोसा आम शादीशुदा जोड़ों से ज्‍यादा होता है. सेपरेशन मैरिज करने वाले लोग एकदूसरे पर ब्‍लाइंड फेथ करते हैं. वे एकदूसरे का सम्‍मान करने के साथ ही भविष्‍य की योजनाएं साथ मिलकर ही बनाते हैं. आर्थिक फैसले एकदूसरे से बातचीत करके साथ ही लेते हैं.

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जापान में क्‍यों बढ़ रही है वीकेंड मैरिज?
जापान के युवाओं का मानना है कि बेशक पति-पत्‍नी एकदूरे को बहुत प्रेम करते हैं, लेकिन ज्‍यादातर जोड़ों की जीवनशैली में काफी अंतर होता है. कई बार ऐसा होता है कि पत्‍नी सुबह 5 बजे उठ जाती है, जबकि पति को सुबह 9 बजे तक सोने की आदत होती है. जापान में किसी की अच्‍छी नींद में खलल डालना काफी बुरा माना जाता है. ऐसे में अलग-अलग रहने से वे नींद के साथ ही एकदूसरे की दूसरी आदतों को भी अपने-अपने मुताबिक ढालने की कोशिश नहीं करते हैं. इसे उनके रिश्ते को ज्‍यादा मजबूती मिलती है. साथ रहने पर अगर एक जल्‍दी उठेगा तो दूसरे की नींद खराब होगी. जापान में माना जाता है कि अच्छी नींद शारीरिक और दिमागी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत जरूरी है.

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वीकेंड मैरिज में बच्‍चों की परवरिश कैसे?
जापान में बच्चे अपनी मां के साथ ही सोते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, मां के साथ सोने वाले बच्चों के दिल की धड़कन अच्छे से रेगुलेट होती है. एक ही घर में रहने वाले दंपति में पिता फैसला लेता है कि उसे पत्‍नी और बच्‍चों के साथ सोना है या नहीं. वहीं, अगर सिर्फ पति चाहे तो भी वह बच्‍चों और पत्‍नी के साथ नहीं सो सकता. इसमें पत्‍नी की सहमति भी जरूरी है. अगर पत्‍नी सहमत ना हो तो पति बच्‍चों को अपने साथ लेकर सो सकता है. वहीं, अगर दोनों अलग घरों में रहते हैं तो बच्‍चे मां के पास ही रहेंगे. पति चाहे तो पत्‍नी के घर आकर बच्‍चों के साथ सो सकता है.

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जापानी संस्कृति में शरीर के साथ जुड़े बाह्य संपर्क को कम करने की प्रथा के कारण भी काफी जोड़े अलग बिस्‍तर पर सोते हैं.

जापानी संस्‍कृति भी है ऐसी मैरिज का कारण
जापान में शादीशुदा जोड़ों के अलग-अलग कमरों में सोने या अलग घरों में रहने के पीछे एक और कारण भी बताया जाता है. दरअसल, जापानी संस्कृति में शरीर के साथ जुड़े बाह्य संपर्क को कम करने की प्रथा बहुत आम है. लिहाजा, वहां पति-पत्‍नी का रात को अलग-अलग सोना बहुत आम है. हालांकि, ऐसा होना अनिवार्य नहीं है. अगर कोई पति-पत्‍नी साथ सोना चाहते हैं तो रह सकते हैं.

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सेपरेशन या वीकेंड मैरिज के क्‍या हैं नुकसान
सेपरेशन मैरिज में पति-पत्‍नी के अलग रहने के कुछ नुकसान भी हैं. इसमें महिलाओं को बच्‍चों की परवरिश में पति की मदद नहीं मिल पाती है. यही नहीं, उन्‍हें घर के सभी काम अकेले ही करने पड़ते हैं. इस तरह की मैरिज में पति-पत्‍नी दोनों का आर्थिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी हो जाता है. बाकी एशियाई देशों की तरह जापान में कुछ पुरुषों का मानना है कि अगर पत्‍नी के होते हुए भी कपड़े धोने, खाना बनाने से लेकर घर के सभी काम खुद ही करने पड़ेंगे तो ऐसी शादी के कोई मायने नहीं हैं. वहीं, महिलाओं का मानना है कि अगर पति के होते हुए भी खर्च के लिए पैसे जुटाने पड़े तो शादी करने का कोई फायदा नहीं है.

सेपरेशन मैरिज को लेकर क्‍या कहते हैं आंकड़े
टोक्यो फैमिलीज की रिपोर्ट कहती है कि जापानी गोरमेट वेबसाइट गाइड, गुरुनवी ने सेपरेशन मैरिज या वीकेंड मैरिज को लेकर 2017 में एक सर्वेक्षण किया था. इसमें 20 से 69 साल के 1,662 जोड़ों को शामिल किया गया था. इस सर्वेक्षण में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए थे. सर्वे से आए नतीजों के मुताबिक, जापान में केवल 29.20 फीसदी शादीशुदा जोड़े ही एक बेड पर सोते हैं. दूसरे शब्‍दों में कहा जाए तो जापान में 70 फीसदी से ज्‍यादा कपल्‍स अलग-अलग सोते हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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