दो घंटे में सैकड़ों मरीज परेशान हुए, परिजनों ने धकेला स्ट्रेचर, अनिश्चित हड़ताल से गड़बड़ाएगी स्वास्थ्य सेवा | Hundreds of patients were upset in two hours, relatives pushed the stretcher, indefinite strike from tomorrow

नर्मदापुरम36 मिनट पहले
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जिला अस्पताल में ओपीडी में डॉक्टर के इंतजार में खड़े मरीज और परिजन।
नर्मदापुरम समेत प्रदेशभर में मंगलवार से सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स की हड़ताल शुरू हो गई है। बुधवार 3 मई से डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। मंगलवार को करीब दो घंटे ही हड़ताल रही। नर्मदापुरम जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने मात्र दो घंटे में ही अपना ट्रेलर दिखा दिया। सुबह 11 बजते ही डॉक्टर्स कुर्सियों से उठ गए। ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और आईपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट) बंद कर दी। अस्पताल में ओपीडी के बाहर मरीज व उनके परिजन लंबी कतार लगाकर डॉक्टर के इंतजार में खड़े रहे। अस्पताल में डॉक्टर्स तो ठीक, वार्डवॉय तक नहीं दिखे। जिससे परिजनों को ही मरीज को स्ट्रैचर पर ले जाते दिखे। दो घंटे की हड़ताल से जब जिला अस्पताल का से हाल है तो अंदाजा लगा सकते है कि 3 मई से शुरू हो रही अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा जाएगी।
हालांकि नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर विजयवर्गीय बंधपत्र डॉक्टर्स और मेडीकल के स्टुडेंस से काम कराने की बात कर रहे है। अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर रहेंगे। ताकि स्वास्थ्य सेवाएं चलती रहे।
पूरे मप्र में डॉक्टर्स डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसन नीत लागू करने, मेडिकल डिपार्टमेंट्स के तकनीकी मामलों में प्रशासनिक दखल करने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे है। मंगलवार को सुबह 11 से 1 बजे तक डॉक्टर्स की सांकेतिक हड़ताल पर रहे। जिसके चलते अस्पतालों के वार्डों में भर्ती मरीजों को ट्रीटमेंट के लिए परेशान होना पड़ा।
दो घंटे से खड़े, नहीं आएं डॉक्टर

भीलपुरा क्षेत्र से आई महिला सुमन कहार ने बताया बेटे के पैर में फ्रैक्चर है। उसे दिखाने के लिए सुबह 10 बजे से अस्पताल आई। लेकिन यहां कुर्सी पर डॉक्टर आएं ही नहीं। ग्वालटोली से आई बुजुर्ग जानकी बाई यादव ने कहा दो घंटे से खड़ी हूं। लेकिन कोई भी डॉक्टर और न नर्स यहां आया। मेरे गले में गठान है। जो काफी दर्द दे रही।
वार्डबाय लापता, स्ट्रेचर धकेलते दिखे परिजन

अस्पताल में डॉक्टर्स दो घंटे की हड़ताल पर रहे। लेकिन वार्डबाय भी नजर नहीं आएं। अस्पताल में भर्ती, इमरजेंसी मरीजों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर परिजन ही धकेलते नजर आएं। जिला अस्पताल में यह नजारा कोई नया नहीं है। अस्पताल में अक्सर परिजन ही स्ट्रेचर, व्हीलचेयर को धकेलते है।
डॉक्टर्स ने जताया आक्रोश, नारेबाजी की

जिला अस्पताल में सभी डॉक्टर्स ने एकत्र होकर सिविल सर्जन ऑफिस के पास नारेबाजी कर आक्रोश जताया। डॉक्टर शिवेंद्र चंदेल,डॉक्टर सुनील जैन, डॉ. संजय अग्रवाल समेत अन्य उपस्थित रहे।
अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था बनाई
सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर विजयवर्गीय ने बताया प्रदेशव्यापी हड़ताल से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है। हमारें पास आयुवैदिक डॉक्टर्स है, स्टुडेंस, बाँडेट डॉक्टर्स और कुछ प्रायवेट डॉक्टर्स की टीम तैयार की है। मैं स्वयं भी मरीजों को देखूंगा। इमरजेंसी समेत सारी व्यवस्था चलाने की कोशिश करेंगे।
डॉक्टरों की यह हैं मांगें…
-केंद्र, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए DACP योजना का प्रावधान।
- – स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर हों।
- -चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की -MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए।
- -जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है को कम किया जाए।
- -विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किया जाए।
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