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क्या कांग्रेस विधायक के काफिले पर हमले में हुई चूक का नतीजा है दंतेवाड़ा नक्सली अटैक?

Ankur Sharma

नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada Naxalite Attack) में एक बार फिर नक्सलियों ने सुरक्षा बल को जवानों को निशाना बनाया. अरनपुर में हुए आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) में 10 जवान शहीद हो गए. अब सवाल उठ रहा है कि क्या दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले के तारे कांग्रेस विधायक पर हुए अटैक से तो नहीं जुड़े है? क्या दोनों हमलों के बीच कुछ कनेक्शन है? बता दें कि 18 अप्रैल को बीजापुर जिले में कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने हमला किया था. हमले में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा था क्योंकि हमलावर की बंदूक कथित तौर पर जाम हो गई थी. मौका मिलते ही विधायक की कार का ड्राइवर घटनास्थल से तेजी से भागने में सफल रहा.

दंतेवाड़ा में तैनात केंद्रीय बलों के एक प्रारंभिक आकलन के अनुसार, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर नक्सलियों द्वारा किए गए सबसे बड़े अटैक में से दंतेवाड़ा हमला था. पिछले दो सालों में नक्सलियों ने इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाया था. बुधवार को हुए आईईडी ब्लास्ट में जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के 10 कर्मी और एक चालक की मौत हो गई थी. हमला अरनपुर थाना क्षेत्र में दोपहर 1 बजे से 1:30 बजे के बीच हुआ था.

8 दिन पहले क्या हुआ था
सूत्रों ने कहा कि बीजापुर के विधायक मंडावी पर विफल हमले के बाद जिला रिजर्व गार्ड ने नक्सलियों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था. इसी ऑपरेशन के लिए टीम अरनपुर की तरफ गई थी. सुरक्षाकर्मी दंतेवाड़ा शहर में अपने मुख्यालय से अरनपुर पुलिस थाने के लिए निकल गए. टीम ने दो दिनों के लिए स्टेशन पर अपने वाहनों को छोड़ दिया था. बताया जा रहा है कि डीआरजी टीम ने अपने ऑपरेशन के दौरान 2 नक्सलियों को हिरासत में लेने में कामयाबी हासिल की थी. गिरफ्तार किए गए दोनों नक्सली जवानों के साथ थे जब हमले हुआ. हमलावरों को कथित तौर पर पता था कि डीआरजी टीम ने उनके वाहनों को अरनपुर पुलिस स्टेशन में छोड़ दिया था. दंतेवाड़ा शहर में मुख्यालय वापस जाने के लिए उन्हें गाड़ी वापस लाने के लिए सीधे अरनपुर आना होता.

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क्या स्थानीय लोगों से मिली मदद?
हालांकि, डीआरजी टीम के लिए कोई रोड ओपनिंग पार्टी का गठन नहीं किया गया था. रोड ओपनिंग पार्टी को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संवेदनशील काफिले को सुरक्षित करने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर तैनात किया जाता है. सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि शुरुआती आकलन में पुष्टि हुई है कि नक्सलियों ने स्थानीय लोगों की मदद से डीआरजी कमांडो को निशाना बनाया. सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार नक्सलियों को ले जा रहे काफिले के पहले वाहन को पास दिया गया था, लेकिन दूसरे वाहन को कुछ स्थानीय लोगों ने आमा उत्सव के लिए चंदा मांगने के बहाने रोक लिया था. सूत्रों ने यह भी पुष्टि की कि डीआरजी कमांडो को ले जाने वाले वाहनों में हथियार भी थे, जिन्हें नक्सलियों ने कथित तौर पर विस्फोट के बाद लूटने की कोशिश की थी. लेकिन दूसरी वैन में सवार जवानों ने जब जवाबी कार्रवाई तो नक्सली भाग खड़े हुए. डीआरजी की टीम ने इलाके में सर्च ऑपरेशन भी चलाया, लेकिन हमलावर भागने में सफल रहे.

Tags: Chhattisgarh news, Dantewada news, IED Blast, Naxal attack


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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