अजब गजब

कभी रहते थे किराए के मकान में, अब खरीदा 66 करोड़ का घर, मेहनत के बूते दिलीप सुराना ने पलटी किस्‍मत

हाइलाइट्स

दिलीप सुराणा के पिता राजस्‍थान से बेंगलुरु नौकरी की तलाश में आए थे.
जीसी सुराणा ने 70 के दशक में माइक्रो लैब्‍स की स्‍थापना की थी.
दिलीप सुराणा अपने मेहनत से कंपनी को नई उंचाइयों पर ले गए.

नई दिल्‍ली. बुखार की मशहूर दवा डोलो 650 (Dolo 650) बनाने वाली दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक दिलीप सुराणा (Micro Labs MD Dilip Surana) बेंगलुरु में एक महंगा घर खरीदने के कारण आजकल चर्चा में है. दिलीप सुराणा ने यह डील 66 करोड़ रुपये में की है. यह बेंगलुरू के फेयर फील्ड लेआउट (Fair Field Layout) एरिया में स्थित है. इस सौदे में 12,043.22 स्क्वेयर फीट का भूखंड और 8,373.99 स्क्वेयर फीट का बंगला शामिल है. बहुत कम लोगों को पता है कि सुराणा परिवार 20 साल तक बेंगलुरु में किराए के मकान में रहता था. दिलीप के पिता का मानना था कि मकान या प्रॉपर्टी में पैसा लगाने की बजाय इसे कंपनी में लगाएं. सुराणा परिवार ने उनकी बात को मानते हुए बहुत साल कोई मकान नहीं खरीदा.

दिलीप सुराणा के पिता जीसी सुराणा साल 1973 में राजस्‍थान से बेंगलुरु नौकरी की तलाश में आए थे. यहां उन्‍होंने अकाउंटेंट की नौकरी की. कुछ समय बाद जीसी सुराणा दिल्‍ली बेस्‍ट दवा कंपनी के डिस्‍ट्रीब्‍यूटर बन गए. यह काम भी उन्‍होंने जल्‍द ही छोड़ दिया और माइक्रो लैब्‍स नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी. शुरुआत में कंपनी सिर्फ 5 ही प्रोडक्‍ट बनाती थी. जीसी सुराणा क्‍वालिटी को बहुत अहमियत देते थे. यही कारण था कि उन्‍होंने क्‍वांटिटी को ज्‍यादा अहमियत नहीं दी.

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दिलीप ने माइक्रो लैब्‍स को दी नई ऊंचाइयां
दिलीप सुराणा ने 1983 में अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाना शुरू किया. उनके सपने बड़े थे. वे माइक्रो लैब्‍स के प्रोडक्‍ट पूरे भारत में फैलाना चाहते थे. क्‍वालिटी के साथ कोई समझौता न करते हुए उन्‍होंने कंपनी के काम में विस्‍तार किया. नए प्रोडक्‍ट लॉन्‍च किए. क्‍वालिटी बेहतर होने के कारण कंपनी फेमस हो गई. अब दिलीप सुराणा अपने भाई आनंद सुराणा के साथ मिलकर माइक्रो लैब्‍स चला रहे हैं. माइक्रो लैब्‍स की 17 फैक्‍टरियां हैं और इसका कारोबार 50 देशों में फैला हुआ है. इस फार्मा कंपनी का सालाना रेवेन्‍यू अब 4,000 करोड़ रुपये है. सुराणा परिवार की कुल नेटवर्थ अब 26,600 करोड़ रुपये है.

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1 साल में 400 करोड़ रुपये की बिकी डोलो
माइक्रो लैब्‍स कंपनी कोरोना महामारी के दौरान काफी चर्चा में रही थी. कंपनी के पैरासिटामोल ब्रांड डोलो 650 की महामारी के दौरान खूब बिक्री हुई थी. साल 2020 में कंपनी ने 400 करोड़ रुपये मूल्‍य की डोलो 650 ही बेच दी. कंपनी को पहचान दिलाने में डोलो का बहुत बड़ा हाथ है. माइक्रो लैब्स हृदय, मधुमेह के इलाज में काम आने वाली दवाओं के साथ ही दर्द निवारक सहित कई तरह की मेडिसिन बनाती है.

Tags: Business news in hindi, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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