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‘करोड़ बन गया कबाड़’! सरकारी पैसों की बर्बादी देखनी हो तो Ranchi Veterinary College आइए

हाइलाइट्स

झारखंड के रांची में सरकारी पैसों की बर्बादी का बड़ा मामला आया सामने.
रांची वेटनरी कॉलेज में बिना उपयोग सड़ रही करोड़ों की एनिमल एंबुलैट्री वैन.

रांची. राजधानी रांची और आसपास के जिलों के पशुपालकों की सुविधा को ध्यान में रखकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तहत रांची वेटरनरी कॉलेज (Ranchi Veterinary College) की स्थापना की गई थी. वेटरनरी कॉलेज में पशुपालकों के पशुओं के इलाज की हर मुकम्मल सुविधा के लिए सरकार बजट में करोड़ों रुपए खर्च करती है. बावजूद इसके पशुपालकों के पशुओं की जिंदगी सुरक्षित नहीं.

दरअसल, वर्ष 2019 में रांची वेटरनरी कॉलेज में करीब एक करोड़ रुपए की लागत से दो एम्बुलेटरी वैन खरीदे गए थे. इसका मकसद यह था कि रांची और आसपास के जिलों के वैसे पशुपालक जो आपने जानवरों को इलाज के लिए वेटरनरी कॉलेज लेकर नहीं पहुंच सकते. उन्हें उनके गांव में ही एक सेंटर की स्थापना कर उनके पशुओं का इलाज संभव किया जा सके.

सिर्फ इतना ही नहीं जिन पशुओं का इलाज गांव में नहीं हो सके. उन्हें बकायदा एनिमल कैरी वैन के जरिए रांची वेटरनरी कॉलेज तक पहुंचाने की सुविधा का इंतजाम भी सरकार ने किया था, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका. आज यह दोनों वैन सिस्टम की उदासीनता की वजह से रांची वेटरनरी कॉलेज के गैरेज में पड़े पड़े सड़ने को मजबूर है.

आपके शहर से (रांची)

एम्बुलेटरी वैन और एनिमल कैरी वैन के परिचालन की जिम्मेदारी डॉ अभिषेक के जिम्मे है. वे बताते हैं कि दोनों एंबुलेंस के लिए न तो नियमित ड्राइवर है और न ही कॉलेज में दवा उपलब्ध हैच सिर्फ इतना ही नहीं रांची और आसपास के इलाकों में पशुपालकों के बीच दोनों मेडिकल वैन को लेकर कोई जागरूकता या फिर प्रचार प्रसार कार्यक्रम भी नहीं चलाया गया.

वैन के अंदर की स्थिति को देखकर साफ लगता है कि कई महीनों से इसका परिचालन नहीं किया गया. ऐसे में दूर-दूर से लोग अपने पेट को लेकर वेटरनरी कॉलेज पहुंचने को मजबूर हैं. 63 लाख की इस एम्बुलेटरी वैन में ईसीजी मशीन, x-ray, वैक्सीन कैरी बैग समेत दूसरी कई मशीनें और सुविधाएं हैं, जिसे आप एक चलते-फिरते छोटे अस्पताल के रूप में समझ सकते हैं.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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