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मानवाधिकार की बात करनेवाले लोगों को सेलुलर जेल विजिट करवाना चाहिए: केंद्रीय मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि आजादी की जंग में अहिंसा आंदोलन ने बहुत योगदान दिया, लेकिन देश की स्वतंत्रता के लिए और भी कई वजह थे, जिन्हें याद रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आजादी का नरेटिव सेट किया, पर इसमें अन्य लोगों का भी योगदान है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. वे संजीव सान्याल द्वारा लिखित किताब Revolutionaries: The other story of how India won its freedom के विमोचन पर बोल रहे थे.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘इतिहास कई सारी मान्यताओं को जन्म देता है. परंतु इतिहास हार और जीत के आधार पर नहीं लिखा जा सकता. प्रयासों के भी कई डायमेंशन होते हैं. इतिहास को वास्तविकता के आधार पर लिखना चाहिए. प्रयासों के मूल्यांकन के आधार पर लिखना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि यह किताब इसी नए नरेटिव को सेट करती है. अमित शाह ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने गुलामी की निशानी से मुक्ति पर जोर दिया. इसमें सबसे जरूरी है हमारे देश के पुराने इतिहास को गुलामी से मुक्त कराना. लेखक इस कड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं, ये काम शुरू हुआ है और इसका स्वागत होना चाहिए.’

केंद्रीय मंत्री ने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा, ‘कई इतिहासकारों ने कुछ लोगों को कम महत्व दिया… जब भगत सिंह को फांसी दी गई तो लाहौर से कन्याकुमारी तक चूल्हा नहीं जला था… समूचे सशस्त्र क्रांति का आजादी में योगदान रहा… सशस्त्र क्रांति आंदोलन से ही कांग्रेस का आजादी आंदोलन सफल हुआ. आजादी के बाद हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का मूल्यांकन करने की जिनकी जिम्मेदारी थी, उसमें चूक हुई… अंग्रेज तो चले गए, लेकिन उनके चश्मे से लिखा गया इतिहास यहीं रह गया.’

गृह मंत्री ने कहा, ‘देश के विद्यार्थियों को गौरवशाली भारतीय इतिहास की व्याख्या करनी होगी, ऐसे 300 व्यक्तियों को खोजना होगा जिन्होंने आजादी में योगदान दिया.’ उन्होंने बताया कि मुगलों के अलावा भी 30 ऐसे साम्राज्य हैं जिन्होंने 200 साल से ज्यादा समय तक भारत पर राज किया. उन्होंने कहा, ‘इतिहास को यह स्वीकार करना ही होगा कि सशस्त्र क्रांति का आजादी में बहुत बड़ा योगदान था. सशस्त्र क्रांति करनेवाले लोगों ने मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए हिंसा का रास्ता अपनाया, लेकिन उनके योगदान को भुला दिया गया, जिन्होंने हाथ में हथियार उठाया था.’

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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