[ad_1]
बुरी तरह फंस गए आम लोग
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई की तरफ से यह एक्शन लिया गया है. ये FIR सीबीआई की आर्थिक अपराध इकाई ने दर्ज की हैं. मामला सबवेंशन स्कीम पर केंद्रित है, जिसमें बैंकों ने होमबायर्स के लिए स्वीकृत कर्ज की राशि को सीधे डेवलपर्स को दे दिया, जिन्हें फ्लैट की डिलीवरी तक EMI का भुगतान करना था. हालांकि, डेवलपर्स द्वारा बड़े पैमाने पर डिफॉल्ट के बाद, बैंकों ने होमबायर्स से EMI की वसूली शुरू कर दी, भले ही उन्हें फ्लैट का कब्जा नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने सीबीआई की मेहनत की सराहना की, जिसने 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की और 58 परियोजना स्थलों का दौरा किया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक्शन
कोर्ट ने 1,200 से अधिक होमबायर्स की याचिकाओं पर सुनवाई की, जिन्होंने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि बिना कब्जे के उनसे EMI वसूली जा रही है. अप्रैल 2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सात प्रारंभिक जांच (PE) शुरू करने का निर्देश दिया था. तीन महीने में छह जांच पूरी कर सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर कोर्ट ने 22 नियमित मामले दर्ज करने की अनुमति दी. सातवीं जांच, जो एनसीआर के बाहर (मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली और इलाहाबाद) की परियोजनाओं से संबंधित है, अभी जारी है.
[ad_2]
Source link

