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भारतीय वायुसेना की वर्तमान फ्लीट में 522 फाइटर जेट्स हैं और स्क्वाड्रन संख्या अक्टूबर से घटकर 29 रह जाएगी. भले ही यह संख्या 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता से कम है. लेकिन गुणवत्ता और अपग्रेडेशन के मामले में भारत ने बीते दशक में जो योजनाएं बनाई हैं वे आने वाले सालों में निर्णायक रूप से असर दिखाएंगी.
मिग-21 एक ऐसा फाइटर जेट था जिसने दशकों तक भारत की सुरक्षा में योगदान दिया. लेकिन इसके साथ जुड़ी क्रैश घटनाओं और पायलट हानियों ने इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ की उपाधि दिला दी. अब जब इसे फेजआउट किया जा रहा है तो यह न केवल सुरक्षा की दृष्टि से सही कदम है, बल्कि यह IAF की प्रोफेशनल मेकओवर का हिस्सा भी है.
मिग-21 एक ऐसा फाइटर जेट था जिसने दशकों तक भारत की सुरक्षा में योगदान दिया.
पाकिस्तान से मुकाबला? भारत आज भी कई कदम आगे
पाकिस्तान के पास लगभग 450 फाइटर जेट्स और 25 स्क्वाड्रन हैं. भारत के पास फिलहाल 29 स्क्वाड्रन होंगे. संख्या में फर्क कम है, लेकिन क्वालिटी और तकनीकी दृष्टि से भारतीय वायुसेना बहुत आगे है.
चीन का खतरा और भारत की तैयारी
चीन के पास करीब 1,200 फाइटर जेट्स और 66 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें दो 5वीं जनरेशन फाइटर J-20 और J-31 शामिल हैं. भारत अभी 5वीं जनरेशन फाइटर पर काम कर रहा है AMCA, जिसकी टेस्टिंग और डिलीवरी में समय लगेगा.
यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का रोल देखने के बाद कई जानकार मानते हैं कि फाइटर जेट्स की भूमिका घट सकती है. लेकिन भारत का युद्ध परिदृश्य यूक्रेन से बिलकुल अलग है. यहां दो फ्रंट चीन और पाकिस्तान से खतरा है. ऐसे में भारी पेलोड, लंबी दूरी और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से लैस फाइटर जेट्स की जरूरत बनी रहेगी. भारत ड्रोन तकनीक पर काम कर रहा है, लेकिन यह अभी पूरक शक्ति है, मुख्य हथियार नहीं.
‘अबकी बार जवाब पुराना नहीं होगा, हमला नया होगा’
हकीकत ये है कि भारतीय वायुसेना केवल संख्या पर नहीं, कौशल, अपग्रेड और स्वदेशीकरण पर भरोसा कर रही है. मिग-21 की विदाई इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है. तो पाकिस्तान, ध्यान रहे… मिग-21 की रिटायरमेंट भारत की कमजोरी नहीं, उसके नए हमलावर अवतार की शुरुआत है. और जब जवाब आएगा, तो झटके में सब साफ हो जाएगा.
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