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सबसे पहले जानिए उपराष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज से होता है. लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य इसमें मतदान करते हैं. खास बात, नामिनेटेड मेंबर भी इसमें वोट देते सकते हैं. इस चुनाव में विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती. मतदान सीक्रेट बैलेट से होता है और इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) सिस्टम अपनाया जाता है. उम्मीदवार के जीतने के लिए बहुमत (50%+1) ही पर्याप्त होता है.
लोकसभा: 542 (543 में से 1 सीट खाली)
राज्यसभा: 240 (245 में से 5 सीट खाली, जिनमें 4 जम्मू-कश्मीर की हैं)
कुल वोटर = 782
बहुमत की जरूरत: 392 वोट
NDA को कितना समर्थन
लोकसभा: 293 सदस्य NDA के समर्थन में
राज्यसभा: 129 सदस्य (भाजपा+सहयोगी+4 नॉमिनेडेट) लेकिन कई दलों का साथ मिलना तय.
कुल NDA समर्थन = 457
साफ बात, यह आंकड़ा बहुमत से 65 अधिक है, जो एनडीए को निर्णायक बढ़त देता है. यानी एनडीए आसानी से अपने कैंडिडेट जिता सकता है.
राज्यसभा में कुल 12 नामित सदस्य होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति लिट्रेचर, साइंस, आर्ट और सोशल सर्विस के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों में से चुनते हैं. इन सदस्यों को भी उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट देने का अधिकार होता है. हाल ही में चार नए नामित सदस्य राज्यसभा में शामिल किए गए हैं, जिनके NDA समर्थक होने की संभावना मानी जा रही है.
विपक्ष कहां खड़ा है?
विपक्षी INDIA अलायंस को लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर लगभग 325 के आसपास वोट मिलने की संभावना है, जो बहुमत से काफी पीछे है. कुछ दल जैसे BSP, YSRCP और BJD का रुख अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन पिछली बार इनका झुकाव NDA की ओर रहा था.
आगे क्या होगा?
नामांकन प्रक्रिया और चुनाव की तारीख की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा जल्द की जाएगी. बीजेपी के पार्लियामेंटरी बोर्ड की बैठक में संभावित उम्मीदवारों के नामों पर विचार शुरू हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा के बाद उम्मीदवार का नाम तय किया जाएगा.
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