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बाबा महाकाल की दो सवारियां सोमवार को निकल चुकी हैं। इसके लिए चांदी की नई पालकी का उपयोग किया गया था। ये पालकी 8 माह पहले भक्त ने दान में दी थी। नई पालकी वजनी होने के कारण अब फैसला लिया गया है कि पुरानी चांदी की पालकी में ही बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाएगी।
पालकी भारी होने और भीड़ होने के कारण यात्रा में समय लग रहा है। सोमवार की सवारी भी लेट हो गई थी। बताया गया है कि कहारों ने नई पालकी का वजन अधिक होने की शिकायत की है। सजावट के बाद नई पालकी का कुल वजन करीब 200 किलो हो रहा है जबकि पुरानी पालकी सजावट के बाद 180 किलो की होती है।
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मंदिर समिति के उप प्रशासक एस. एन. सोनी ने बताया कि नई पालकी में साज-सज्जा और हैलोजन लाइट के कारण उसका वजन 200 किलो तक पहुंच जाता है। इसके अलावा, सवारी के दौरान पालकी के डोलने की समस्या भी सामने आती है। इन कारणों को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने पुरानी पालकी की मरम्मत और आवश्यक सुधार करवा लिए हैं। अब श्रावण और भादों महीने की शेष सभी सवारियां पुरानी पालकी में ही निकाली जाएंगी।
समिति के अनुसार नई पालकी में चांदी की परत चढ़ाई गई है। लकड़ी से बनी ये पालकी का वजन 100 किलो है। इसमें 20 किलो चांदी की परत चढ़ने के बाद वजन 120 किलो हो जाता है। इसमें लगे स्टील के पाइप वजन को और बढ़ाकर करीब 150 किलो तक कर देते हैं। इसके बाद पालकी को सजाया जाता है। सजावट में कई तरह का सामान बाबा महाकाल के रूपों के साथ होता है। ऐसे में कुल वजन 200 किलो तक हो जाता है। नई पालकी की लंबाई पांच फीट और चौड़ाई तीन फीट है। पालकी को उठाने वाले हत्थों पर सिंहमुख की आकृति बनाई गई है, जबकि चांदी के आवरण पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और दो शेरों की सुंदर नक्काशी की गई है।
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