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Jagdeep Dhankhar education: उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ की कहानी काफी दिलचस्प है. उनकी कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव से शुरू होती है और भारत के शीर्ष संवैधानिक पदों तक पहुंचती है. र…और पढ़ें
Jagdeep Dhankar, education, Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ का इस्तीफा.हाइलाइट्स
- राजस्थान के रहने वाले हैं धनखड़.
- सैनिक स्कूल से की पढ़ाई.
- वकालत के बाद की राजनीति में एंट्री.
Jagdeep Dhankhar Personal Life, Education: गांव के स्कूल से हुई पढ़ाई
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में हुआ. एक साधारण जाट परिवार में पैदा हुए धनखड़ ने बचपन से ही पढ़ाई में रुचि दिखाई. उनकी प्रारंभिक शिक्षा किठाना के सरकारी प्राथमिक स्कूल से शुरू हुई. फिर घर्धाना के सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ाई जारी रखी. 1962 में उन्होंने चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा पास की और फुल मेरिट स्कॉलरशिप पर दाखिला लिया. ये उनके लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था जहां से उनका आत्मविश्वास और बढ़ा.
बीएससी के बाद किया एलएलबी
कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां, बने सबसे युवा अध्यक्ष
धनखड़ का करियर वकालत से शुरू हुआ. 1987 में वह राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के सबसे युवा अध्यक्ष बने.1990 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला और वह सुप्रीम कोर्ट समेत कई हाईकोर्ट्स में केस लड़ते रहे. राजनीति में कदम रखते हुए 1989-91 में वह जनता दल से झुंझुनूं लोकसभा सीट से सांसद बने और 1990 में केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री भी रहे. 1993-98 में वह किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा के विधायक रहे.
राज्यपाल से बने उपराष्ट्रपति
अब अचानक दे दिया इस्तीफा
आज धनखड़ ने एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दे दिया जिसे संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत स्वीकार किया गया. इस्तीफे में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला दिया. अपने पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों का धन्यवाद किया.साथ ही भारत की आर्थिक प्रगति में योगदान देने पर गर्व जताया. ये फैसला उनके 11 अगस्त 2027 तक के कार्यकाल से पहले आया है जिसने राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू कर दी है.
युवाओं के लिए मिसाल हैं धनखड़
धनखड़ की कहानी बताती है कि शिक्षा और मेहनत किसी को भी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है. सैनिक स्कूल से शुरूआत कर राजस्थान यूनिवर्सिटी तक का सफर फिर वकालत और राजनीति में शीर्ष पद तक पहुंचना तमाम युवाओं के लिए प्रेरणादायक है.
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य…और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य… और पढ़ें
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