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मऊगंज में रीवा से करीब 60 किलोमीटर दूर देवतालाब गांव में एक अनोखा शिव मंदिर है, जिसे लोग देवतालाब शिव मंदिर के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में विशाल चट्टान को काटकर बनाया था।
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आज सावन के दूसरे सोमवार पर तकरीबन 50 हजार भक्तों ने मंदिर में जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की।
श्रृंगेश्वरनाथ नाम से प्रसिद्ध है शिवलिंग
यह जगह धार्मिक रूप से बहुत खास मानी जाती है। कहा जाता है कि त्रेता युग में यहां ऋषि श्रृंगी और महर्षि मार्कण्डेय ने तपस्या की थी। ऋषि श्रृंगी की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने यहां स्वयं प्रकट होकर शिवलिंग की स्थापना की थी। इस शिवलिंग को श्रृंगेश्वरनाथ कहा जाता है और इसे सोमनाथ के स्वरूप जैसा पवित्र माना जाता है।
समय-समय पर बदलता है शिवलिंग का रंग
मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस शिवलिंग की खास बात यह है कि इसका रंग समय-समय पर बदलता रहता है, जिसे लोग चमत्कार मानते हैं।
मंदिर के नीचे एक तहखाना है जिसे अब बंद कर दिया गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक वहां नागों और एक चमत्कारी मणि की रक्षा होती है। पहले यहां से सांप निकलने की घटनाएं सामने आती थीं।
भक्तों का कहना है कि देवतालाब को रामेश्वरम के समान महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि चारधाम यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक यात्री गंगोत्री से लाया गया जल यहां शिवलिंग पर न चढ़ा दें।
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