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Gold Price : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट ने सोने में निवेश करने वालों की नींद उड़ा दी है. रिपोर्ट कहती है कि चीन ने जून 2025 में करीब 90 टन सोना बेच दिया, और इसी के साथ वैश्विक गोल्ड मार्केट में हलचल मच गई. इस बड़े कदम का असर भारत तक भी पहुंचा है, जहां सोने की कीमतें पहले ही आसमान छू रही थीं.

गोल्ड मार्केट में एक नया खेल शुरू हो गया है. इस खेल को शुरू चीन ने किया है और सांसें ग्लोबल गोल्ड मार्केट्स की चढी हुई हैं. चीन की नई चाल से सोने की कीमतों पर क्या असर होगा, , इसे लेकर उत्सुकता बनी हुई है.

सोने की कीमतों को लेकर लोगों की दिलचस्पी हमेशा बनी रहती है. लेकिन इस बार चीन से आई एक बड़ी खबर ने वैश्विक सोने के बाजार को हिला दिया है, जिसका असर भारत में सोने की कीमतों पर भी दिखाई देने लगा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में चीन ने 90 टन सोने की बिक्री की है. यह आंकड़ा पिछले 10 वर्षों की औसत निकासी से काफी कम है.

जून में सोने के आभूषणों की थोक मांग में 10 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि सोने की कीमत बढ़ गई, उपभोक्ता सोना खरीदने से कतराने लगे और लोग नई खरीदारी से बच रहे थे.

चीन के केंद्रीय बैंक ने लगातार आठवें महीने सोना खरीदा है, और पहली छमाही में 19 टन सोना खरीदा है. चीन के पास अब 2,299 टन सोना है. जून में सोने का वायदा कारोबार थोड़ा धीमा रहा, लेकिन पहली छमाही में औसत दैनिक कारोबार 534 टन रहा, जो पिछले छह महीनों में सबसे ज़्यादा है.

चीन ने मई 2025 में 89 टन सोना आयात किया, जो अप्रैल से 21% और पिछले साल मई से 31% कम है. इसका मुख्य कारण आभूषणों की कम माँग है.

अब चीन में सोना केवल आभूषण के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि एक रणनीतिक निवेश विकल्प के तौर पर तेजी से उभर रहा है. उपभोक्ता अब बाय ज्वेलरी की बजाय ETFs और गोल्ड बार-कॉइन जैसे विकल्पों में ज्यादा निवेश कर रहे हैं. इसी वजह से केंद्रीय बैंक भी सोने को एक मजबूत निवेश विकल्प मान रहे हैं.

चीन के निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में सोना खरीदे जाने से वैश्विक मांग बढ़ गई है, जिसका सीधा असर भारत की कीमतों पर भी पड़ता है. ऐसे में भारत में सोना और महंगा हो सकता है. अगर कीमतें और चढ़ती हैं, तो त्योहारों और शादियों के मौसम में सोने की बिक्री घट सकती है, जिससे ज्वेलर्स और छोटे व्यापारियों पर असर पड़ेगा.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि से सोने की कीमतों पर दबाव पड़ सकता है. यदि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और रिटेल निवेश की मांग में गिरावट आती है, तो मीडियम टर्म में सोने की कीमतों में गिरावट संभव है.
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