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ASW CRAFT ‘AJAY’ : गहरे समंदर में गोता लगाने वाली सबमरीन सबसे खतरनाक हथियार मानी जाती है. नेवी ने दुश्मन के उन्हीं सबमरीन के लिए एक ठोस इलाज भी शामिल कर लिया है. एंटी सबमरीन वॉरफेयर में माहिर शैलो वॉटरक्राफ्ट क…और पढ़ें
ASW अजय हुआ लॉन्चहाइलाइट्स
- ASW अजय का हुआ सी लॉन्च, जल्द नौसेना में शामिल होगा.
- भारतीय नौसेना में कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट शामिल होंगे.
- आत्मनिर्भर भारत की आत्मनिर्भर नेवी तेजी से आगे बढ़ रही है.
INS अर्णाला के बाद आंद्रोत जल्द होगा शामिल
भारतीय नौसेना में कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट शामिल होने हैं, जिनमें से 8 का निर्माण GRSE शिपयार्ड कोलकाता और 8 का कोचिन शिपयार्ड में हो रहा है. 18 जून को विशाखापत्तनम नेवल डॉकयार्ड में एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने देश के पहले स्वदेशी एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को नौसेना में शामिल किया था. इसी प्रोजेक्ट का दूसरा ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट आंद्रोत भी जल्द नौसेना में शामिल होगा. आंद्रोत के सभी सी ट्रायल पूरे हो चुके हैं और डिलीवरी के लिए तैयार है.
एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट की खासियत है कि यह तट से 100 से 150 नॉटिकल मील दूरी पर दुश्मन की सबमरीन का पता लगा सकती है. सबमरीन का इस्तेमाल डिफेंसिव और ऑफेंसिव ऑपरेशन के लिए किया जाता है. यह आसानी से 30-40 मीटर की गहराई वाले इलाकों में ऑपरेट कर सकती है. अगर दुश्मन की सबमरीन तट के पास भारतीय जंगी जहाज को निशाना बनाने की कोशिश करेगी, तो शैलो वॉटर क्राफ्ट उसका पता लगाएगी और उसे खत्म कर देगी. यह वॉरशिप नेवल हार्बर से मूव करने वाले बड़े वॉरशिप के लिए रूट को क्लियर करता है. इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, लाइट वेट टॉरपीडो, 30 mm नेवल गन, ASW कॉम्बेट सूट, हल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरियेबल डेप्थ सोनार से लैस है. यह 25 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से मूव कर सकता है और एक बार में 3300 किलोमीटर तक सेल कर सकता है.
स्वदेशी है ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट
आत्मनिर्भर भारत की आत्मनिर्भर नेवी तेजी से आगे बढ़ रही है. सबसर्फेस सर्वेलांस, सर्च एंड रेस्क्यू मिशन और कम तीव्रता वाले मेरिटाइम ऑपरेशन के लिए बनाया गया है. 1490 टन भारी ASW अजेय की लंबाई 77 मीटर है. साल 2013 में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने भारतीय नौसेना के लिए कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट खरीदने की मंजूरी दी थी. जून 2014 में बाय एंड मेक इंडिया के तहत टेंडर जारी किया गया था. 2019 में कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत हुए. 16 में से 8 कोचिन शिपयार्ड में और 8 GRSE शिपयार्ड कोलकाता में बनाए जा रहे हैं. नौसेना में शामिल अर्णाला GRSE कोलकाता ने तैयार किया है. नए आधुनिक ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पुराने हो चुके अभय क्लास कोर्वेट को रिप्लेस करेंगे. 16 में से एक नौसेना में शामिल हो चुका है. 11 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पानी में लॉन्च हो चुके हैं, जबकि 3 का अभी निर्माण जारी है. सभी भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की डेडलाइन 2026 तक की है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 13,500 करोड़ रुपये के करीब है.
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