छतरपुर जिले के नौगांव थाना पुलिस पर आदिवासी युवकों के साथ बर्बरता का गंभीर आरोप सामने आया है। आदिवासी समुदाय के चार युवक चोरी के संदेह में हिरासत में लिए गए, जहां उनके साथ थाने के भीतर बेरहमी से मारपीट की गई। पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें उल्टा लटकाया गया, निर्वस्त्र कर गुप्तांगों में मिर्च डाली गई और उनकी चमड़ी तक उधेड़ दी गई।
घटना के विरोध में पीड़ित युवक और उनके परिजन शनिवार रात छतरपुर जिला मुख्यालय स्थित एसपी कार्यालय पहुंचे और वहां धरने पर बैठ गए। पीड़ितों की स्थिति गंभीर थी, उनके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान साफ देखे जा सकते थे। कई युवक अर्धनग्न अवस्था में थे, जो पुलिस ज्यादती की भयावह तस्वीर पेश कर रहे थे।
धरने के दौरान, पूर्व विधायक नीरज दीक्षित और भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष नीरज चतुर्वेदी भी पीड़ितों के समर्थन में एसपी ऑफिस पहुंचे और पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। धरना देर रात एक बजे तक चला, जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई का आश्वासन देते हुए सभी पीड़ितों को बस की व्यवस्था कर गांव वापस भेजा। इस मामले में रविवार को छतरपुर एसपी अगम जैन ने कार्रवाई करते हुए नौगांव थाने के तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। निलंबित पुलिसकर्मी हैं:
- एएसआई शिवदयाल
- प्रधान आरक्षक अरविंद शर्मा
- आरक्षक राम जाट
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घटना में प्रमुख आरोपी माने जा रहे थाना प्रभारी (टीआई) पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे आदिवासी समाज और जनप्रतिनिधियों में नाराजगी बनी हुई है। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट कर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने लिखा, “एमपी पुलिस की एसटी-एससी पर की जा रही बर्बरता का एक और उदाहरण। थाना प्रभारी नौगांव के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” मेडिकल जांच रिपोर्ट में गुप्तांगों में मिर्च डालने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चोटों के निशान और पीड़ितों की स्थिति को देखकर पुलिस बर्बरता से इनकार नहीं किया जा सकता।