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Elephant Corridor: झारखंड के कोल्हान प्रमंडल और बंगाल के ‘एलिफेंट कॉरिडोर’ में 45 दिनों में सात हाथियों की मौत हुई है. ट्रेन, करंट और बारूदी सुरंग से हाथियों की जान गई. वन विभाग ने रेलवे को चेतावनी दी थी.
कई कारणों से हाथियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है.
हाइलाइट्स
- 45 दिनों में 7 हाथियों की मौत हुई.
- हाथियों की मौत ट्रेन, करंट और बारूदी सुरंग से हुई.
- वन विभाग ने रेलवे को चेतावनी दी थी.
जंगल हाथियों के लिए मौत का गलियारा बनते जा रहे हैं. ताजा घटना 17-18 जुलाई 2025 की दरमियानी रात की है. झारखंड के घाटशिला अनुमंडल से सटे पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले में बांसतोला स्टेशन के पास ट्रेन की चपेट में आकर तीन हाथियों की मौत हो गई.
वन विभाग का कहना है कि रेलवे को पहले ही इसकी जानकारी दी थी, लेकिन ट्रेन की रफ्तार कम नहीं की गई. घटना की रात ग्रामीण और वनकर्मी मशाल जलाकर हाथियों के झुंड को रिहायशी इलाके से खदेड़ रहे थे. हाथी रेलवे ट्रैक पर जा पहुंचे और इसी बीच तेज रफ्तार ट्रेन उनमें से तीन को काटते हुए पार हो गई.
5 जुलाई 2025 को इसी जिले के सारंडा जंगल में छह साल के हाथी की मौत हो गई. वह हाथी 24 जून 2025 को नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी विस्फोट में घायल हुआ था. सारंडा के लोग उसे ‘गडरू’ नाम से जानते थे. घायल गडरू को बचाने के लिए वन विभाग और गुजरात की वन्यजीव संस्था ‘वनतारा’ की टीम ने इलाज शुरू किया था, लेकिन अंततः उसने दम तोड़ दिया. 24 जून 2025 की रात सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल वन क्षेत्र अंतर्गत हेवन गांव में एक मादा हाथी करंट लगने से मारी गई. खेत की सुरक्षा के लिए लगाए गए तार में बिजली दौड़ाई गई थी. मादा हाथी उसके चपेट में आ गई और मौके पर ही तड़पकर मर गई.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें
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