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Elephant Corridor: खतरे में गजराज… 45 दिन में 7 की गई जान, कैसे झारखंड-बंगाल ‘एलिफेंट कॉरिडोर’ बन गया हाथियों के लिए मौत का गलियारा

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Elephant Corridor: झारखंड के कोल्हान प्रमंडल और बंगाल के ‘एलिफेंट कॉरिडोर’ में 45 दिनों में सात हाथियों की मौत हुई है. ट्रेन, करंट और बारूदी सुरंग से हाथियों की जान गई. वन विभाग ने रेलवे को चेतावनी दी थी.

कैसे झारखंड-बंगाल 'एलिफेंट कॉरिडोर' बन गया हाथियों के लिए मौत का गलियारा?

कई कारणों से हाथियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है.

हाइलाइट्स

  • 45 दिनों में 7 हाथियों की मौत हुई.
  • हाथियों की मौत ट्रेन, करंट और बारूदी सुरंग से हुई.
  • वन विभाग ने रेलवे को चेतावनी दी थी.
जमशेदपुर. झारखंड के कोल्हान प्रमंडल से लेकर बंगाल तक फैले ‘एलिफेंट कॉरिडोर’ में गजराज खतरे में हैं. बीते 45 दिनों में महज 100 किलोमीटर के दायरे में सात हाथियों की मौत हो चुकी है. किसी की करंट, किसी की ट्रेन से कुचलकर तो किसी की जान बारूदी सुरंग ने ले ली.

जंगल हाथियों के लिए मौत का गलियारा बनते जा रहे हैं. ताजा घटना 17-18 जुलाई 2025 की दरमियानी रात की है. झारखंड के घाटशिला अनुमंडल से सटे पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले में बांसतोला स्टेशन के पास ट्रेन की चपेट में आकर तीन हाथियों की मौत हो गई.

बताया गया कि रात करीब एक बजे जनशताब्दी एक्सप्रेस जब इस स्टेशन से गुजरी, उसी समय हाथियों का झुंड ट्रैक पार कर रहा था. तीन हाथी ट्रेन की चपेट में आ गए. मौके पर ही उनकी मौत हो गई. मरने वालों में एक वयस्क हाथी के अलावा दो बच्चे शामिल थे. उनके शव रातभर रेलवे ट्रैक पर पड़े रहे. हादसे की वजह से हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग घंटों बाधित रहा. शुक्रवार को जेसीबी से शव हटाए गए, तब जाकर यातायात बहाल हुआ. हाथियों का यह झुंड कई दिनों से बांसतोला के जंगलों में घूम रहा था.

वन विभाग का कहना है कि रेलवे को पहले ही इसकी जानकारी दी थी, लेकिन ट्रेन की रफ्तार कम नहीं की गई. घटना की रात ग्रामीण और वनकर्मी मशाल जलाकर हाथियों के झुंड को रिहायशी इलाके से खदेड़ रहे थे. हाथी रेलवे ट्रैक पर जा पहुंचे और इसी बीच तेज रफ्तार ट्रेन उनमें से तीन को काटते हुए पार हो गई.

झाड़ग्राम के डीएफओ उमर इमाम ने कहा कि समय रहते सावधानी बरती जाती तो हादसा रोका जा सकता था. इससे पहले, 10 जुलाई 2025 को पश्चिम सिंहभूम जिले की सेरेंगसिया घाटी में एक जंगली हाथी मृत पाया गया था. आशंका जताई गई कि उसकी मौत खेत में बिछाए गए बिजली के करंट से हुई.

5 जुलाई 2025 को इसी जिले के सारंडा जंगल में छह साल के हाथी की मौत हो गई. वह हाथी 24 जून 2025 को नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी विस्फोट में घायल हुआ था. सारंडा के लोग उसे ‘गडरू’ नाम से जानते थे. घायल गडरू को बचाने के लिए वन विभाग और गुजरात की वन्यजीव संस्था ‘वनतारा’ की टीम ने इलाज शुरू किया था, लेकिन अंततः उसने दम तोड़ दिया. 24 जून 2025 की रात सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल वन क्षेत्र अंतर्गत हेवन गांव में एक मादा हाथी करंट लगने से मारी गई. खेत की सुरक्षा के लिए लगाए गए तार में बिजली दौड़ाई गई थी. मादा हाथी उसके चपेट में आ गई और मौके पर ही तड़पकर मर गई.

जांच में पुष्टि होने पर आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी वन क्षेत्र में 5 जून 2025 को आमबेड़ा के पास एक और हाथी खेत में मृत पाया गया था. तीन साल में कोल्हान प्रमंडल के अलग-अलग इलाकों में 20 से अधिक हाथियों की मौत हुई है. नवंबर 2023 में पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी में करंट लगने से पांच हाथी मरे थे. जुलाई 2024 में बहरागोड़ा के भादुआ गांव में एक हथिनी मृत मिली थी. संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले पांच वर्षों में 528 हाथियों की अप्राकृतिक कारणों से मौत हुई है, जिनमें 30 हाथी केवल झारखंड में करंट लगने से मरे.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें

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