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आइसलैंड में आखिर क्यों बार-बार फट रहा है ज्वालामुखी, इस आईलैंड कंट्री में क्यों हो रहा ऐसा

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Iceland Volcano: बुधवार को आइसलैंड में 2021 के बाद से लगातार ज्वालामुखी विस्फोट हो रहे हैं. इसका कारण ये है कि ये देश मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थित है और यहां टेक्टोनिक प्लेटें अलग हो रही हैं.

आइसलैंड में आखिर क्यों बार-बार फट रहा है ज्वालामुखी, किस वजह से हो रहा ऐसा

दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड बुधवार को सूर्योदय से पहले एक और ज्वालामुखी विस्फोट से जाग उठा.

हाइलाइट्स

  • आइसलैंड में साल 2021 से 12वां ज्वालामुखी विस्फोट हुआ
  • आइसलैंड की मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थिति इसकी वजह
  • ज्वालामुखी फटने का कारण टेक्टोनिक प्लेटों का अलग होना है
Iceland Volcano: आइसलैंड जिसे अक्सर ‘आग और बर्फ की भूमि’ कहा जाता है अपनी ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए कुख्यात है. यह नॉर्डिक आईलैंड कंट्री मध्य-अटलांटिक रिज के ऊपर स्थित है. इस जगह पर उत्तरी अमेरिकी और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें अलग हो रही हैं. यह भूवैज्ञानिक स्थिति इस क्षेत्र में लगातार हो रहे ज्वालामुखी विस्फोटों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है. इसी का नतीजा था जो बुधवार को आइसलैंड में एक और ज्वालामुखी विस्फोट हुआ. यह 2021 के बाद से 12वां ज्वालामुखी विस्फोट है. इन विस्फोटों को दरार विस्फोट के रूप में जाना जाता है. इनमें लावा का प्रवाह पृथ्वी की पपड़ी में स्थित लम्बी दरारों से निकलता है, न कि किसी केंद्रीय गड्ढे से.

दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड बुधवार को सूर्योदय से पहले एक और ज्वालामुखी विस्फोट से जाग उठा. सुबह 3:54 बजे मैग्मा ने रेक्जेनेस प्रायद्वीप पर पृथ्वी की पपड़ी को चीर दिया, जिससे अंधेरे परिदृश्य में पीला और नारंगी लावा निकल आया. आइसलैंडिक मौसम विज्ञान कार्यालय (IMO) ने बताया कि मैग्मा के कारण 700 से 1,000 मीटर लंबी एक दरार खुल गई. आईएमओ ने कहा, “इससे इस समय किसी भी बुनियादी ढांचे को कोई खतरा नहीं है. यह अपेक्षाकृत छोटा विस्फोट था.”

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भौगोलिक और भूवैज्ञानिक कारण
मिड-अटलांटिक रिज एक पर्वत श्रृंखला है जो अटलांटिक महासागर के मध्य से होकर गुजरती है. यह बड़े पैमाने पर महासागर के पानी में डूबी हुई है. आइसलैंड अनोखे ढंग से इस रिज के एक हिस्से के ठीक ऊपर स्थित है. इसकी विशेषता उच्च ज्वालामुखी गतिविधियां है. टेक्टोनिक प्लेटों के झुकाव से पृथ्वी के मेंटल से मैग्मा ऊपर उठता है. जिससे नई क्रस्टल सामग्री बनती है. परिणामस्वरूप यहां बार-बार ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं.

टेक्टोनिक हलचलें और हॉटस्पॉट गतिविधि
मिड-अटलांटिक रिज एक डाइवरजेंट टेक्टोनिक प्लेट है, जिसका अर्थ है कि प्लेटें एक दूसरे से दूर जा रही हैं. यह हलचल पृथ्वी के मेंटल के भीतर से मैग्मा को ऊपर उठने और खाली जगह को भरने की अनुमति देती है, जिससे ज्वालामुखी गतिविधि होती है. यह प्रक्रिया एक समान नहीं है. इसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के विस्फोट और ज्वालामुखीय गतिविधियां हो सकती हैं. 

रिज के अलावा, आइसलैंड एक हॉटस्पॉट के ऊपर भी स्थित है. सतह की ओर उठता हुआ गर्म मेंटल का एक टुकड़ा. हॉटस्पॉट अपेक्षाकृत स्थिर माने जाते हैं, और जैसे-जैसे टेक्टोनिक प्लेटें उनके ऊपर से गुजरती हैं वे ज्वालामुखियों की श्रृंखलाएं बना सकती हैं. हवाई द्वीप इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण हैं. आइसलैंड के मामले में हॉटस्पॉट रिज के कारण पहले से ही उत्पन्न ज्वालामुखी गतिविधि को बढ़ा देता है. जिससे बार-बार और कभी-कभी अधिक तीव्र विस्फोट होते हैं.

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ग्लेशियर की बर्फ का प्रभाव
द्वीप की ज्वालामुखी गतिविधि और उसके ग्लेशियर बर्फ आवरण के बीच का अंतर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जब ज्वालामुखी बर्फ की चोटियों के नीचे फटते हैं, तो गर्म मैग्मा और ठंडी बर्फ के बीच की परस्पर क्रिया से खतरनाक विस्फोट हो सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठंडा होता लावा तेजी से सिकुड़ता है और टुकड़ों और राख में बिखर जाता है. इसके अलावा पिघलती बर्फ से जोकुलहाप्स नामक भीषण बाढ़ आ सकती है. जिससे पर्यावरण और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हो सकता है.

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आइसलैंड में ज्वालामुखी का लंबा इतिहास
आइसलैंड में ज्वालामुखी का लंबा इतिहास है. 9वीं शताब्दी में द्वीप के बसने के बाद से यहां ज्वालामुखी की गतिविधियां चलती रही हैं. 1783 में लाकी विस्फोट और 2010 में एजफ्याल्लाजोकुल विस्फोट जैसे उल्लेखनीय विस्फोटों का न केवल आइसलैंड पर, बल्कि यूरोपीय और वैश्विक मौसम पैटर्न और विमानन पर भी गहरा प्रभाव पड़ा था. रेक्जेनेस प्रायद्वीप को अनोखा बनाने वाली बात यह है कि यह सब शुरू होने से पहले यह कितने समय तक सोया रहा. यह प्रायद्वीप लगभग 800 वर्षों तक सुप्त रहा. फिर 2021 में मैग्मा फिर से बाहर निकलने लगा. तब से एक दर्जन विस्फोटों ने इस क्षेत्र की दरारों वाली काली चट्टानों और काई से ढके मैदानों को रोशन कर दिया है. दिसंबर 2023 के बाद से यह नौवां विस्फोट है. ज्यादातर विस्फोट एक ही पैटर्न पर होते हैं. अचानक भूकंपीय झंझावात जमीन को हिला देते हैं. मैग्मा ऊपर की ओर उठता है, एक दरार फट जाती है और लावा चमकीले फीतों के रूप में बाहर निकलता है.

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चुनौतियां और अवसर
आइसलैंड में लगातार ज्वालामुखी गतिविधि, खासकर विमानन और स्थानीय समुदायों के लिए चुनौतियां पेश करती है. हालांकि यह अवसर भी प्रदान करती है. उदाहरण के लिए जियोथर्मल एनर्जी भूमिगत मैग्मा से उत्पन्न हीट से प्राप्त होती है. जो देश के कुल बिजली उत्पादन का लगभग 25 फीसदी प्रदान करती है और लगभग 90 प्रतिशत घरों को गर्म करती है. आइसलैंड का आकार अमेरिका के केंटकी राज्य के लगभग  बराबर है. उसकी जनसंख्या 400,000 से भी कम है. लेकिन इस देश में 30 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं. यह बात उत्तरी यूरोपीय द्वीप को ज्वालामुखी पर्यटन के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन बनाती है. एक ऐसा विशिष्ट क्षेत्र जो हर साल मेक्सिको और ग्वाटेमाला से लेकर सिसिली, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड तक के हजारों रोमांच चाहने वालों को आकर्षित करता है.

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